Anant Chaturdashi 2019: 12 सितंबर को गणपति वसर्जन (Ganpati Visarjan) और अनंत चर्तुदशी (Anant Chaturdashi) मनाई जा रही है. इस दिन भगवान गणेश और विष्णु जी की पूजा होती है. इस दिन घर में विराजे गणपति बप्पा की प्रतिमा को नदी, तालाब या फिर पानी में विसर्जित किया जाता है. लोग 10 दिनों तक बप्पा की सेवा करने के बाद उन्हें विसर्जित करते हैं. कई लोग गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturdashi) के अगले दिन भी गणेश विसर्जन करते है, जिसे डेढ़ दिन के गणपति का विसर्जन कहा जाता है. लेकिन अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi) के दिन गणपति विजर्सन (Ganpati Visarjan) की परंपरा सबसे ज्यादा प्रचलित है. गणेश चतुर्थी के 10 दिन बाद यानी कि 11वें दिन अनंत चतुर्दशी आती है और इस दिन पूरे धूमधाम से गणपति विसर्जन किया जाता है. अगर आप भी इस बार गणपति जी का विसर्जन करने वाले हैं तो यहां इसकी पूरी प्रक्रिया पढ़ लें.
जानिए अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत कथा और मान्यताएं
कैसे करें गणपति विसर्जन (Ganpati Visarjan)?
गणेश चतुर्थी के दिन गणपति की स्थापना के बाद 10 दिनों तक उनकी खूब सेवा की जाती है. उन्हें नाना प्रकार के व्यंजन, फल और फूल अर्पित किए जाते हैं. साथ ही 10 दिन तक लगातार हर दिन उनके मनपसंद मोदकों का भोग लगाया जाता है. 10 दिन के बाद 11वें दिन यानी कि अनंत चर्तुदशी को बप्पा को गाजे-बाजे के साथ विदा किया जाता है. कहते हैं कि गणपति को ठीक वैसे ही विदा करना चाहिए जैसे हम अपने किसी सगे-संबंधी या रिश्तेदार को यात्रा पर निकलने से पहले विदा करते हैं. यहां पर हम आपको गणेश विसर्जन की पूरी विधि बता रहे हैं:
1. विदा करने से पहले गणेश जी को भोग लगाएं.
2. आरती करने के बाद पवित्र मंत्रों से उनका स्वास्तिवाचन करें.
3. लकड़ी का एक पटरा लें. उसे गंगाजल या गौमूत्र से पवित्र करें.
4. घर की महिला इस पटरे पर स्वास्तिक बनाए.
5. अब इस पटरे पर अक्षत रखने के बाद पीला, गुलाबी या लाल रंग का वस्त्र बिछाएं.
6. अब वस्त्र के ऊपर गुलाब की पंखुड़ियां बिखेरें.
7. पटरे के हर कोने पर एक-एक सुपारी रखें.
8. अब आपने जिस जगह पर गणपति की स्थापना की हैं वहां से उन्हें उठाकर इस पटरे पर रखें.
9. गणेश जी को विराजमान करने के बाद पटरे पर फल, फूल, वस्त्र, दक्षिणा और पांच मोदक रखें.
10. अब एक छोटी लकड़ी लेकर उसमें चावल, गेहूं और पंच मेवा की पोटली बनाकर बांधें. साथ ही सिक्के भी रखें. ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि यात्रा के दौरान गणपति को किसी तरह की परेशानी न हो.
11. नदी या तालाब में गणपति का विसर्जन करने से पहले फिर से उनकी आरती करें.
12. आरती के बाद गणपति से प्रार्थना करें और आपकी जो भी मनोकामना उसे पूर्ण करने का अनुरोध करें. साथ ही 10 दिन तक जाने-अनजाने में हुई भूल के लिए क्षमा मांगें.
13. विजर्सन के समय ध्यान रहे कि गणेश प्रतिमा व अन्य चीजों को फेंके नहीं, बल्कि पूरे मान-सम्मान के साथ धीरे-धीरे एक-एक चीज विसर्जित करें.
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