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This Article is From Feb 02, 2022

बुधवार को पढ़ें यह व्रत कथा, बनी रहेगी बुधदेव की कृपा

बुधवार के दिन गणेश जी (Lord Ganesha) की पूजा करने का विधान है. बुध देव की कृपा पाने के लिए आज के दिन व्रत रखा जाता है. बुध ग्रह को वाणी, बुद्धि और व्यापार का कारक माना गया है. मान्यता है कि बुध देव की कृपा से व्यापार और वाणी से जुड़े कार्यों में सफलता मिलती है. आइए पढ़ते हैं बुधवार व्रत कथा.

बुधवार को पढ़ें यह व्रत कथा, बनी रहेगी बुधदेव की कृपा
बुधवार को किया जाता है इस व्रत कथा का पाठ
नई दिल्ली:

हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार प्रत्येक वार अलग अलग देवी देवताओं को समर्पित हैं. बुधवार (Wednesday) गणेश भगवान (God Ganesha) को समर्पित माना जाता है. बुधवार के दिन गणेश जी (Lord Ganesha) की पूजा करने का विधान है. कहते हैं कि कुंडली में बुध दोष (Budh Dosh) को दूर करने के लिए आज के दिन बुधवार का व्रत रखा जाता है. आज के दिन गौरी गणेश का विधि-विधान से पूजन और व्रत किया जाता है. बुध देव की कृपा पाने के लिए आज के दिन व्रत रखा जाता है. बुध ग्रह को वाणी, बुद्धि और व्यापार का कारक माना गया है.

मान्यता है कि बुध देव की कृपा से व्यापार और वाणी से जुड़े कार्यों में सफलता मिलती है. व्रत के दिन बुध ग्रह से संबंधित वस्तुओं का दान (Daan) करना शुभ माना जाता है. आज के दिन पूजा के समय बुधवार व्रत कथा का श्रवण करना उत्तम माना जाता है, कहते हैं ऐसा करने से व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है. मान्यता है कि आज के दिन व्रत रखने वाले लोगों को हरा कपड़ा, हरी मूंग दाल, हरा चारा आदि दान करना चाहिए. आइए पढ़ते हैं बुधवार व्रत कथा.

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बुधवार व्रत कथा | Wednesday Vrat Katha

पौराणिक कथा के अनुसार, समतापुर नगर में मधुसूदन नाम का एक व्यक्ति रहता था. उसका विवाह पास के ही बलरामपुर की संगीता से हुआ था, जो बेहद सुंदर और सुशील थी. एक समय की बात है जब मधुसूदन अपनी पत्नी को साथ लाने के लिए अपने ससुराल पहुंचे और उस ही दिन मायके से पत्नी को विदा करने की जिद पर अड़ गए. कहते हैं कि उस दिन बुधवार था, सभी ने मधुसूदन को बहुत समझाया कि बुधवार के दिन यात्रा न करे, लेकिन मधुसूधन मानने को तैयार ही नहीं थे. तब मधुसूधन की जिद्द के कारण संगीता के मायके वालों को उसे विदा करना पड़ा.

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मायके से विदा होकर संगीता और मधुसूदन बैलगाड़ी में बैठकर घर की ओर जा रहे थे, तभी रास्ते में बैलगाड़ी का एक पहिया टूट गया, जिसके बाद दोनों को पैदल ही यात्रा करना पड़ा. इसी बीच संगीता को प्यास लगने लगी. मधुसूदन पानी लेने चला गया. जब वह पानी लेकर वापस आया, तो उसने देखा की उसका ही एक हमशक्ल उसकी पत्नी के साथ बैठा है. उसने हमशक्ल से पूछा कि वो कौन है? इस पर उसके हमशक्ल ने जवाब दिया कि वो तो मधुसूदन है और संगीता उसकी पत्नी है. तब मधुसूदन ने हमशक्ल से कहा कि वह झूठ बोल रहा है, वह पानी लेने गया था. तब हमशक्ल ने कहा कि वह तो पानी लाकर अपनी पत्नी को पिला भी दिया.

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इस बीच मधुसूधन और हमशक्ल के बीच झगड़ा होने लगा कि आखिकार कौन है संगीता का असली पति. तभी राजा के सिपाही वहां आ गए. उन्होंने संगीता से पूछा कि उसका असली पति कौन है, तब वह जवाब नहीं दे पाई, क्योंकि वो खुद दुविधा में पड़ गई थी. इस पर सिपाहियों ने उनको राजा के दरबार में पेश किया. पूरी बात सुनने के बाद राजा ने दोनों को जेल में डालने का आदेश हुआ. तब मधुसूदन घबरा गया और बुधदेव को याद कर क्षमा मांगने लगा. तब आकाशवाणी हुई कि मधुसूदन! तुमने अपने ससुर और उनके परिवार की बात नहीं मानी, बुधवार को यात्रा की. यह सब भगवान बुधदेव के नाराज होने से हो रहा है.

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भगवान बुधदेव की बातों को सुनकर मधुसूदन को अपनी गलती का एहसास हुआ. मधुसूदन ने कहा कि हे महाराज! मुझसे बड़ी गलती हो गई है. अब से मैं कभी भी बुधवार को यात्रा नहीं करूंगा. हमेशा बुधवार का व्रत करूंगा. क्षमा मांगने पर बुधदेव शांत हो गए और मधुसूदन को क्षमा कर दिया. राजा के दरबार से मधुसूदन का हमशक्ल गायब हो गया. बुधदेव की कृपा से राजा ने मधुसूदन और संगीता को विदा कर दिया. वहां से जब वे आगे बढ़े, तो रास्ते में बैलगाड़ी भी सही सलामत हालत में मिल गई. उससे वे दोनों समतापुर नगर पहुंच गए. फिर वे हर बुधवार का व्रत रखने लगे, जिससे उनका जीवन सुखमय हो गया. उनके कामकाज में भी उन्नति होने लगी.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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