
Dussehra 2017: दशहरा से जुड़ीं कुछ अनकही बातें
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दशहरा कई रूपों में समृद्धिदायक त्योहार है.
दशहरे से कई रीत-रिवाज भी जुड़े हैं.
द्रविड़ ब्राह्मणों में रावण दहन से पहले उसका पूजन करने की परंपरा है.
रावण के पुतले की अस्थि को माना जाता है शुभ
मंगल भवन-इन के आचार्य भास्कर आमेटा बताते हैं कि मान्यताओं के अनुसार, रावण के वध और लंका विजय के प्रमाण स्वरूप श्रीराम सेना लंका की राख अपने साथ ले आई थी, इसी के चलते रावण के पुतले की अस्थियों को घर ले जाने का चलन शुरू हुआ.
इसके अलावा मान्यता यह भी है कि धनपति कुबेर के द्वारा बनाई गई स्वर्णलंका की राख तिजोरियों में रखने से घर में स्वयं कुबेर का वास होता है और घर में सुख समृधि बनी रहती है. यही कारण है कि आज भी रावण के पुतले के जलने के बाद उसके अस्थि-अवशेष को घर लाना शुभ माना जाता है और इस से नकारात्मक शक्तियां घर में प्रवेश नहीं करती हैं.
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दहन से पहले होती है रावण की पूजा
आश्विनस्य सिते पक्षे दशम्यां तारकोदये.
स कालो विजयो श्रद्धेय: सर्वकार्यार्थसिद्धये॥
अर्थात क्वार माह में शुक्लपक्ष की दशमी को तारों के उदयकाल में मृत्यु पर भी विजयफल दिलाने वाला काल माना जाता है. सनातन संस्कृति में दशहरा विजय और अत्यंत शुभता का प्रतीक है, बुराई पर अच्छाई और सत्य पर असत्य की विजय का पर्व, इसीलिए इस पर्व को विजयादशमी भी कहा गया है. दक्षिण भारत के द्रविड़ ब्राह्मणों में रावण के पुतले के दहन से पहले उसका पूजन करने की परंपरा है.
राम ने भी की थी रावण के विद्वता की प्रसंशा
पृथ्वी पर अकेला प्रकांड विद्वान रावण में त्रिकाल दर्शन की क्षमता थी. रावण के ज्ञान और विद्वता की प्रसंशा श्रीराम ने भी की. यही वजह है कि द्रविड़ ब्राह्मणों में रावण पूजन की परंपरा को उत्तम माना गया है, कई जगह पर रावण दहन के दिन उपवास रखने की भी प्रथा है.
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दशहरे पर इन 10 बुराइयों को छोड़ सकते हैं आप
दशहरे के पर्व पर मनुष्य अपनी दस प्रकार की बुराइयों को छोड़ सकता है. इनमें मत्सर, अहंकार, आलस्य, काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह, हिंसा और चोरी जैसी शामिल हैं. अगर आपके पास इनमें से कोई भी बुराई है, तो इस दशहरे में उस बुराइ को रावण के पुतले के साथ ही भस्म कर दीजिए.
घर में करें ये उपाय, नहीं होगी धन की कमी
दशहरे के सर्वसिद्धि मुहूर्त में अपने पूरे वर्ष को खुशहाल बनाने के लिए लोग सदियों से उपाय करते रहे हैं. इन उपायों में शमी वृक्ष की पूजा, घर में शमी का पेड़ लगाकर नियमित दीपदान करना शुभ माना जाता है.
माना जाता है कि दशहरे के दिन कुबेर ने राजा रघु को स्वर्ण मुद्रा देते हुए शमी की पत्तियों को सोने का बना दिया था. तभी से शमी को सोना देने वाला पेड़ माना जाता है. दशहरे के दिन नीलकंठ दर्शन को भी शुभ माना जाता है.
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