इन दिनों पूरे देश में दुर्गा पूजा शुरू हो चुकी है. पूरा कोलकाता इस त्योहार के रंग मे जश्न मना रहा है. जगह-जगह पंडाल लगे हुए हैं. ऐसे में गुवाहटी में देवी दुर्गा की एक मूर्ति आकर्षण का केंद्र बनी हुई है. दरअसल इस मूर्ति की ऊंचाई है 100 फीट. इस मूर्ति को स्थानीय कारीगरों द्वारा बनाया गया है.
इस मूर्ति के आर्ट डायरेक्टर 59 वर्षीय नुरद्दीन अहमद 200 से अधिक मूर्तियां बना चुके हैं. अहमद कहते हैं, पिछले साल हमने यहां 86 फुट ऊंची बांस की मूर्ति बनाई थी और फिर हमने सोचा कि हम अपने स्वदेशी बांस के साथ एक विशाल दुर्गा मूर्ति बनाने और गिनीज बुक में अपना नाम दर्ज करने की कोशिश करें. इस मूर्ति को 50 लोगों ने 15 लाख रुपए में बनाया है.
यह 100 फीट ऊंची मूर्ति इको फ्रेंडली है, जिसे सिर्फ जूट और 5000 बांस के डंडों से तैयार किया गया है. मूर्ति की मेजबानी कर रहे गुवाहाटी में बिष्णुपुर दुर्गा पूजा समिति के सचिव पिवाश कांती देव कहते हैं कि हमें इस मूर्ति को लेकर काफी प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं. यहां तक की सोशल मीडिया पर भी इस मूर्ति को लेकर लोग काफी उत्सुक हैं.
यह महत्वाकांक्षी परियोजना उस समय खतरे में पड़ गई थी जब पिछले रविवार को तूफान आया था, इस मूर्ति का फ्रेम लगभग उड़ा गया था.
दीप अहमद कहते हैं, जिस समय तूफान आया उस समय मूर्ति का लगभग 80 प्रतिशत काम पूरा हो गया था. इसके बाद हमने इसे दोबारा बनाने का तय किया, जो काफी चुनौतीपूर्ण काम था. इस काम में पूजा के आयोजकों ने हमें समर्थन दिया और हमारे कारीगरों ने अपना सर्वश्रेष्ठ किया.
इस मूर्ति के आर्ट डायरेक्टर 59 वर्षीय नुरद्दीन अहमद 200 से अधिक मूर्तियां बना चुके हैं. अहमद कहते हैं, पिछले साल हमने यहां 86 फुट ऊंची बांस की मूर्ति बनाई थी और फिर हमने सोचा कि हम अपने स्वदेशी बांस के साथ एक विशाल दुर्गा मूर्ति बनाने और गिनीज बुक में अपना नाम दर्ज करने की कोशिश करें. इस मूर्ति को 50 लोगों ने 15 लाख रुपए में बनाया है.
यह 100 फीट ऊंची मूर्ति इको फ्रेंडली है, जिसे सिर्फ जूट और 5000 बांस के डंडों से तैयार किया गया है. मूर्ति की मेजबानी कर रहे गुवाहाटी में बिष्णुपुर दुर्गा पूजा समिति के सचिव पिवाश कांती देव कहते हैं कि हमें इस मूर्ति को लेकर काफी प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं. यहां तक की सोशल मीडिया पर भी इस मूर्ति को लेकर लोग काफी उत्सुक हैं.
यह महत्वाकांक्षी परियोजना उस समय खतरे में पड़ गई थी जब पिछले रविवार को तूफान आया था, इस मूर्ति का फ्रेम लगभग उड़ा गया था.
दीप अहमद कहते हैं, जिस समय तूफान आया उस समय मूर्ति का लगभग 80 प्रतिशत काम पूरा हो गया था. इसके बाद हमने इसे दोबारा बनाने का तय किया, जो काफी चुनौतीपूर्ण काम था. इस काम में पूजा के आयोजकों ने हमें समर्थन दिया और हमारे कारीगरों ने अपना सर्वश्रेष्ठ किया.
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