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This Article is From Mar 14, 2022

Lord Hanuman: क्या आप जानते हैं कैसे हुआ था अंजनीपुत्र हनुमान का जन्म, ये है पौराणिक कथाएं

Lord Hanuman Birth: हनुमान जी की शरारतों के किस्से-कहानियां तो आपने खूब पढ़े होंगे, लेकिन उनके जन्म से जुड़ी ये रोचक पौराणिक कथाएं आपने शायद ही सुनी होंगी.

Lord Hanuman: क्या आप जानते हैं कैसे हुआ था अंजनीपुत्र हनुमान का जन्म, ये है पौराणिक कथाएं
Bajrangbali के जन्म से जुड़ी रोचक कथा पढ़ें यहां.

Lord Hanuman: उन्हें हम पवनपुत्र कहते हैं क्योंकि वे वायु के पुत्र हैं. उन्हें अंजनीसुत और केसरीनंदन के नाम से भी पहचाना जाता है  क्योंकि वे माता अंजनी और वानरराज केसरी (Kesari) की संतान हैं. वे कोई और नहीं बल्कि भगवान हनुमान हैं. आपने हनुमान जी की शरारतों के बारे में बहुत कुछ सुना होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि हनुमान जी (Hanuman Ji) का जन्म किस तरह हुआ था और इन कथाओं में क्या-क्या समाहित है? असल में संकटमोचन बजरंगबली (Bajrangbali) के जन्म के पीछे बहुत ही रोचक पौराणिक कहानियां छुपी हैं. आइए जानते हैं कौन-कौन सी हैं ये कथाएं.

माना जाता है कि एक बार इंद्रलोक में देवों और ऋषि दुर्वासा के बीच कोई महत्वपूर्ण मंत्रणा चल रही थी. उसी मंत्रणा के बीच इंद्रलोक की एक अप्सरा जिसका नाम पुंजिकास्थली था अनजाने में कुछ व्यवधान उत्पन्न कर गई. ऋषि दुर्वासा काफी क्रोधी स्वभाव के थे, उन्होंने कुपित होकर पुंजिकास्थली को श्राप दे दिया की वह वानर के रूप में परिवर्तित हो जाएगी. दुर्वासा का श्राप सुनकर पुंजिकास्थली दुखी हो गई. उसने ऋषिवर से क्षमा मांगते हुए कहा कि उसकी मंशा किसी तरह का व्यवधान उत्पन्न करने की नहीं थी. तब ऋषि दुर्वासा ने कहा कि दुखी मत हो, नियति के अनुसार तुम अगले जन्म में वानरराज की पत्नी बनोगी और एक दिव्य और महान पुत्र तुम्हारे गर्भ से जन्म लेगा. पौराणिक कथाओं के अनुसार कालांतर में पुंजिलास्थली का जन्म अंजनी के रूप में हुआ और उनका विवाह वानरराज केसरी से हुआ और उन्होंने हनुमान जी (Lord Hanuman) को जन्म दिया. 

एक और प्रचलित कथा के अनुसार, अयोध्या के राजा दशरथ संतान प्राप्ति के यज्ञ कर रहे थे. इस यज्ञ से प्राप्त प्रसाद को उनकी तीनों रानियों कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी में बांट दिया गया था. इसी दौरान एक पक्षी इस प्रसाद का एक अंश लेकर उड़ गया. प्रसाद का ये अंश संतान के लिए तप कर रही अंजनी की गोद में पड़ा जिसे उन्होंने ग्रहण किया और इसी प्रसाद के प्रभाव से भगवान मारुति (Maruti) का जन्म हुआ.

इसी प्रकार एक अन्य कथा के अनुसार, शंखबल का एक गज ऋषियों की तपस्या में विघ्न उत्पन्न कर रहा था. वानर राज केसरी ने उस विशालकाय हाथी का वध कर उसके आतंक को समाप्त किया. इसके बाद ऋषियों ने वानरराज केसरी को वरदान दिया कि उन्हें सैकड़ों हाथियों के बल वाले एक दिव्य पुत्र की प्राप्ति होगी जो स्वयं रुद्र का अवतार होगा.  इस प्रकार हनुमान जी ने केसरीनंदन के रूप में जन्म लिया. वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि अंजनी और केसरी ने शिव स्तुति की और स्वयं भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और कहा कि वायुदेव पवन के माध्यम से वे स्वयं अपने रुद्रावतार में उनकी संतान के रूप में जन्म लेंगे. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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