Dev Diwali 2024 : देव दिवाली हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो विशेष रूप से भगवान विष्णु (Lord Vishnu) और देवी लक्ष्मी की पूजा से जुड़ा हुआ है. यह पर्व दीपावली (Diwali) के 15 दिन बाद मनाया जाता है, और इसे "देवों की दिवाली" भी कहा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु और लक्ष्मी की पूजा का खास महत्व है, साथ ही यह दिन पवित्रता, समृद्धि और खुशी का प्रतीक भी माना जाता है. आइए जानते हैं देव दीवाली (Dev Diwali) के धार्मिक महत्व, इस दिन किए जाने वाले खास कार्य और उनके लाभ के बारे में.
क्या है देव दिवाली, क्या है इसका धार्मिक महत्व?
मान्यता है कि इस दिन देवता पृथ्वी पर आकर दिव्य प्रकाश से वातावरण को आलोकित करते हैं. हिंदू धर्म के अनुसार, देव दीपावली का दिन भगवान शिव के कैलाश पर्वत पर निवास करने के बाद उनके भक्तों को आशीर्वाद देने के लिए होता है. इसे भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा का दिन भी माना जाता है. खासतौर पर इस दिन दीप जलाने और अपने घर को स्वच्छ करने की परंपरा है, ताकि घर में समृद्धि और सुख-शांति बनी रहे.
क्या करना चाहिए इस मौके पर और क्या लाभ है इसका?
भगवान विष्णु और लक्ष्मी पूजन
देव दिवाली के दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का पूजन किया जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है, वहीं देवी लक्ष्मी की पूजा से आर्थिक समृद्धि का वास होता है. पूजा के दौरान दीपकों का विशेष महत्व है, जिन्हें घर में प्रत्येक स्थान पर रखा जाता है.
पवित्र नदी स्नान
देव दिवाली के दिन पवित्र नदियों में स्नान करना अत्यधिक शुभ माना जाता है. मान्यता है कि इस दिन सच्ची श्रद्धा और प्रायश्चित के भाव के साथ गंगा, यमुना, नर्मदा, या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने से व्यक्ति के पाप धुल जाते हैं और आत्मिक शांति प्राप्त होती है. यह भी माना जाता है कि इस दिन स्नान करने से देवता प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है.
दीपदान
देव दिवाली पर दीपदान की परंपरा का विशेष महत्व है. घरों और मंदिरों में दीप जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. यह परंपरा घर में लक्ष्मी का वास और बुरी शक्तियों का नाश करने के लिए की जाती है. दीप जलाने से वातावरण शुद्ध होता है और दिव्यता का अनुभव होता है.
व्रत-उपवास
देव दिवाली के दिन व्रत और उपवास रखने का भी महत्व है. इस दिन उपवास रखने से शरीर को शुद्धि मिलती है और मानसिक शांति भी प्राप्त होती है. उपवास से व्यक्ति के शरीर और मन में सामर्थ्य और संतुलन बना रहता है, जो जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है.
दान-पुण्य
इस दिन दान-पुण्य करने का विशेष महत्व है. गरीबों और जरूरतमंदों को खाद्य सामग्री, वस्त्र, धन और अन्य उपयोगी चीजें दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. दान से न केवल व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि आती है, बल्कि यह समाज में भी सकारात्मक बदलाव लाने का काम करता है.
तुलसी पूजन
देव दीवाली के दिन तुलसी पूजन की परंपरा भी है. तुलसी का पौधा धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र माना जाता है. तुलसी की पूजा करने से घर में लक्ष्मी का वास होता है और परिवार के सदस्य स्वस्थ रहते हैं. तुलसी के पौधे को घर में रखना भी शुभ माना जाता है, क्योंकि यह घर में शांति और सुख का माहौल बनाता है.
ब्रह्मचर्य
इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है. यह दिन संयम और आत्म-नियंत्रण का होता है, जो व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक रूप से सशक्त बनाता है. ब्रह्मचर्य का पालन करने से आत्मा की शुद्धि होती है और व्यक्ति के जीवन में दिव्यता का वास होता है.
भूमि पर सोना
देव दीवाली के दिन भूमि पर सोने की भी परंपरा है. यह माना जाता है कि भूमि पर सोने से व्यक्ति का जीवन कठिनाइयों से मुक्त होता है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. यह परंपरा शांति और संतुलन के प्रतीक के रूप में की जाती है.
देव दीवाली एक ऐसा पर्व है जो न केवल धार्मिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण है, बल्कि एक सकारात्कम और आध्यात्मिक ऊर्जा भी प्रदान करता है. इस दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा, दीपदान, व्रत-उपवास, दान-पुण्य और तुलसी पूजन जैसे कार्यों से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है. इस दिन किए गए कार्य न केवल आत्मिक शांति प्रदान करते हैं, बल्कि व्यक्ति को हर क्षेत्र में सफलता और समृद्धि प्राप्त होती है. अत: इस पर्व को श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाना चाहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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