आज सोमवार यानी भोलेनाथ का दिन है. सोमवार का दिन भोलेनाथ को समर्पित है. कहते हैं कि भगवान शिव एक ऐसे देव हैं, जो भक्तों की पूजा-पाठ से बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं. सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है. मान्यता है कि आज के दिन भगवान शिव शंकर और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजन और व्रत करने से अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है. हिंदू धर्म ग्रन्थों के मुताबिक, भगवान शिव बेहद दयालु हैं. कहते हैं सच्चे मन से भोलेनाथ की पूजा करने से वे अपने भक्त को निराश नहीं करते हैं और उन्हें मनचाहा वरदान देते हैं. भोलेनाथ को आदि और अनंत माना गया है. जो धरती से लेकर आकाश और जल से लेकर अग्नि हर तत्व में विराजमान है.
कहते हैं शिव जी अपने भक्तों की श्रृद्धा और भक्ति से आसानी से प्रसन्न हो जाते हैं, इसीलिए उन्हें भोले बाबा भी कहा जाता है. हालांकि, शिव जी को प्रसन्न करना जितना आसान है, उतने ही जल्दी वे पूजा में हुई हल्की सी चूक से नाराज भी हो जाते हैं, इसलिए शिव जी की पूजा करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. आइए जानते हैं भगवान शिव की पूजा करते समय किन बातों का खास ध्यान रखना चाहिए.
भगवान शिव की पूजा के समय न करें ये गलतियां
सोमवार के दिन पूजा करते समय कभी भी काले रंग के कपड़े ना पहनें.
शिव जी को प्रसन्न करने के लिए पूजा में हरा, लाल, सफेद, केसरिया, पीला या आसमानी रंग का वस्त्र पहन सकते हैं.
सोमवार का व्रत और पूजा करते हैं तो इस दिन किसी भी तरह का गलत या अनैतिक काम ना करें.
भोलेनाथ के पूजन में तुलसी का प्रयोग भूलकर भी ना करें.
पूजा के समय महादेव को नारियल चढ़ाना शुभ होता है, लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि नारियल का पानी कभी भी भोलेनाथ को ना चढ़ाएं.
पूजा के समय भोलेनाथ को चावल (अक्षत) अवश्य अर्पित करें. इस बात का विशेष ध्यान रखें कि चावल का दाना टूटा हुआ नहीं होना चाहिए.
सोमवार के दिन की जाने वाली पूजा में यदि बिल्व पत्र, अक्षत, चंदन, धतूरा और आंकड़े का फूल शामिल किया जाए तो भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होकर मनोकामना पूरी करते हैं.
पूजा के समय भूलकर भी शिवजी को केतकी का फूल ना चढ़ाएं. तुलसी और केतकी भगवान गणेश जी को भी नहीं चढ़ाया जाता.
भगवान शिव की पूजा के समय कभी भी शंख न बजाएं. इसके बजाय आप डमरू या घंटी बजा बजाएं.
शिव जी की पूजा करते समय तिल का प्रयोग ना करें. मान्यता है कि तिल भगवान श्री हरि विष्णु के मैल से उत्पन्न हुआ है, इसलिए इसे केवल भगवान विष्णु को ही अर्पित किया जा सकता है.
भोलेनाथ को पूजा के समय कभी भी हल्दी और कुमकुम ना चढ़ाएं.
ऐसे बरसेगी भोलेनाथ की कृपा
सोमवार के दिन महामृत्युंजय मंत्र का जाप कम से कम108 बार करें.
भगवान शिव शंकर को चंदन, अक्षत, बिल्व पत्र, धतूरा या आंकड़े के फूल चढ़ाएं. ये सभी चीजें भगवान शिव की प्रिय हैं.
सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा और व्रत का विशेष महत्व होता है. इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर साफ वस्त्र ग्रहण करें.
संभव हो तो मंदिर में जाकर शिवलिंग का जलाभिषेक करने के बाद व्रत का संकल्प लें.
भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के समय व्रत की कथा जरूर सुनें.
हिंदू शास्त्रों के अनुसार, सोमवार के व्रत में तीन पहर में एक बार ही भेजना करना चाहिए. व्रत में फलाहार लिया जा सकता है.
शिवलिंग पूजा में जलाभिषेक का खास नियम होता है.
पूजा में शुद्ध जल, दूध आदि से शिवलिंग पर जलाभिषेक किया जाता है, लेकिन कभी भी तांबे के कलश से शिवलिंग पर दूध का जलाभिषेक न करें.
शिवलिंग पर दूध, दही, शहद या कोई भी वस्तु चढ़ाने के बाद जल जरूर चढ़ाएं तभी जलाभिषेक पूर्ण होता है.
शिवलिंग की परिक्रमा करते वक्त ध्यान रखें कि कभी भी पूरी परिक्रमा न लगाएं. जहां से दूध बहता है वहां रूक जाएं फिर वापस घूम जाएं.
शिवपुराण के अनुसार, शिव ने शंखचूण नाम के राक्षस का वध किया था, इसलिए भगवान शिव की पूजा में कभी भी शंख नहीं बजाना चाहिए. इसके बजाय आप डमरू या घंटी बजा बजाएं.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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