नयी दिल्ली:
वाषिर्क पवित्र अमरनाथ यात्रा 29 जून से शुरू होने की उम्मीद है और इसमें 13 वर्ष से कम उम्र के बच्चों और 75 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्गो को शामिल होने की अनुमति नहीं दी जायेगी. श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने इस यात्रा के बारे में अपने परामर्श में कहा है कि महिला तीर्थयात्री तीर्थ यात्रा के दौरान साड़ी कतई न पहनें. उन्हें सलवार-कमीज, पैंट शर्ट या ट्रैक सूट पहनने की सलाह दी जाती है. छह सप्ताह से ज्यादा गर्भवती महिलाओं को इस यात्रा में हिस्सा लेने की अनुमति नहीं होगी. इसी प्रकार तेरह साल से कम उम्र के बच्चे और 75 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग व्यक्तियों को इस यात्रा में शामिल होने की अनुमति नहीं होगी.
बोर्ड ने एक महीने तक चलने वाली इस तीर्थयात्रा के बारे में सभी के लिए परामर्श जारी करते हुए कहा है कि वे अपने साथ पर्याप्त मात्रा में उनी कपड़े लेकर चलें क्योंकि कभी-कभी अचानक तापमान काफी गिर जाता है. इसमें कहा गया है कि यात्रा क्षेत्र में मौसम का पूर्वानुमान संभव नहीं है इसलिये वॉटरप्रूफ जूते, रेनकोट , विंड चीटर और छाता साथ ले जायें. इसके अलावा उपयुक्त वॉटरप्रूफ बैग में अपने कपड़े और खाने की सामग्री रखें.
आपात स्थिति को ध्यान में रखकर यात्रा के दिन से ही अपने नाम, पता और मोबाइल फोन नंबर अपनी जेब में जरूर रखें. खुद का पहचान पत्र, ड्राइविंग लाइसेंस और यात्रा अनुमति पत्र अपने साथ रखें, समूह में यात्रा करें और सामान ढोने के लिये कुली, घोड़े या खच्चर का इस्तेमाल करें. परामर्श में यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि तीर्थ यात्रियों की नजरें समूह में शामिल लोगों पर रहें जिससे आप समूह से न बिछड़ने पायें. आपके समूह का कोई सदस्य लापता हो जाये तो तुरंत पुलिस की मदद लें.
बोर्ड के परामर्श में कहा गया है कि चेतावनी लगी सूचनाओं वाली जगहों पर कभी न ठहरें. सिर्फ निर्धारित रास्ते पर ही चलें. यात्रा के दौरान अचानक तापमान गिर जाता है इसलिए हर समय उनी कपड़ों में रहें और नंगे पांव न चलें. पवित्र गुफा के रास्ते बेहद सीधी चढ़ाई वाले होते हैं और ढलान भी तीखी होती हैं इसलिए चप्पलें कभी न पहनें. इस दौरान पहाड़ी रास्तों पर चढ़ाई लायक फीते वाले जूते पहनें.
इसमें कहा गया है कि यात्रा के दौरान कभी भी छोटे रास्तों का प्रयोग करने से बचें. ये खतरनाक हो सकते हैं. खाली पेट यात्रा शुरू न करें. अगर आप ऐसा करते हैं तो आपको स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्या का सामना करना पड़ सकता है. परामर्श में कहा गया है कि जम्मू कश्मीर में प्लास्टिक के थैलों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध है इसलिए इन्हें लेकर यात्रा न करें. ये कानूनी रूप से दंडनीय हैं. अमरनाथ यात्रा 29 जून से 7 अगस्त के बीच होने की उम्मीद है.
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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
बोर्ड ने एक महीने तक चलने वाली इस तीर्थयात्रा के बारे में सभी के लिए परामर्श जारी करते हुए कहा है कि वे अपने साथ पर्याप्त मात्रा में उनी कपड़े लेकर चलें क्योंकि कभी-कभी अचानक तापमान काफी गिर जाता है. इसमें कहा गया है कि यात्रा क्षेत्र में मौसम का पूर्वानुमान संभव नहीं है इसलिये वॉटरप्रूफ जूते, रेनकोट , विंड चीटर और छाता साथ ले जायें. इसके अलावा उपयुक्त वॉटरप्रूफ बैग में अपने कपड़े और खाने की सामग्री रखें.
आपात स्थिति को ध्यान में रखकर यात्रा के दिन से ही अपने नाम, पता और मोबाइल फोन नंबर अपनी जेब में जरूर रखें. खुद का पहचान पत्र, ड्राइविंग लाइसेंस और यात्रा अनुमति पत्र अपने साथ रखें, समूह में यात्रा करें और सामान ढोने के लिये कुली, घोड़े या खच्चर का इस्तेमाल करें. परामर्श में यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि तीर्थ यात्रियों की नजरें समूह में शामिल लोगों पर रहें जिससे आप समूह से न बिछड़ने पायें. आपके समूह का कोई सदस्य लापता हो जाये तो तुरंत पुलिस की मदद लें.
बोर्ड के परामर्श में कहा गया है कि चेतावनी लगी सूचनाओं वाली जगहों पर कभी न ठहरें. सिर्फ निर्धारित रास्ते पर ही चलें. यात्रा के दौरान अचानक तापमान गिर जाता है इसलिए हर समय उनी कपड़ों में रहें और नंगे पांव न चलें. पवित्र गुफा के रास्ते बेहद सीधी चढ़ाई वाले होते हैं और ढलान भी तीखी होती हैं इसलिए चप्पलें कभी न पहनें. इस दौरान पहाड़ी रास्तों पर चढ़ाई लायक फीते वाले जूते पहनें.
इसमें कहा गया है कि यात्रा के दौरान कभी भी छोटे रास्तों का प्रयोग करने से बचें. ये खतरनाक हो सकते हैं. खाली पेट यात्रा शुरू न करें. अगर आप ऐसा करते हैं तो आपको स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्या का सामना करना पड़ सकता है. परामर्श में कहा गया है कि जम्मू कश्मीर में प्लास्टिक के थैलों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध है इसलिए इन्हें लेकर यात्रा न करें. ये कानूनी रूप से दंडनीय हैं. अमरनाथ यात्रा 29 जून से 7 अगस्त के बीच होने की उम्मीद है.
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