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Karwa Chauth 2025: कहां है चौथ माता का मंदिर, जहां दर्शन और पूजन से मिलता है पति की लंबी आयु का वरदान

Karwa Chauth 2025: हिंदू धर्म में महिलाएं अपने सुहाग की लंबी उम्र के लिए जिस करवा चौथ का व्रत रखती हैं, उससे जुड़ी देवी यानि चौथ माता का ​मंदिर कहा हैं? चौथ माता के दर्शन और पूजन का क्या महत्व? चौथ माता मंदिर से जुड़ी अहम जानकारी पाने के लिए पढ़ें ये लेख.

Karwa Chauth 2025: कहां है चौथ माता का मंदिर, जहां दर्शन और पूजन से मिलता है पति की लंबी आयु का वरदान
Chauth Mata Temple Barwada Rajasthan
चौथ माता का मंदिर - चौथ का बरवाड़ा

Chauth Mata Ka Mandir kahan per hai: हिंदू धर्म में कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी को करवा चौथ व्रत के लिए जाना जाता है. इस पावन व्रत को सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं. अखंड सुहाग की मनोकामना को पूरा करने के लिए महिलाएं इस साल 10 अक्टूबर 2025 को तब तक निर्जल व्रत रखेंगी, जब तक वह रात को चंद्र देवता का दर्शन नहीं कर लेंगी. जिस करवा चौथ के कठिन व्रत को करने से न सिर्फ पति की आयु बढ़ती है, बल्कि दापंत्य जीवन भी सुखमय बनता है, उससे जुड़ी देवी का मंदिर राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में हैं. 

करवा चौथ पर जुटती है सुहागिनों की भीड़

करवा चौथ के पर्व पर बरवाड़ा कस्बे में सिद्धपीठ चौथ माता के मंदिर में बड़ी संख्या में सुहागिन महिलाएं यहां दर्शन करने के लिए पहुंचती हैं. लोगों की मान्यता है कि देवी के इस मंदिर में दर्शन और पूजन से पति की लंबी आयु का वरदान मिलता है. मान्यता है कि जो भी महिलाएं चौथ माता का आशीर्वाद लेती हैं, उनके पति की आयु क्षीण नहीं होती. ये मंदिर अरावली पर्वत की पहाड़ियों पर बसा है और मंदिर के प्रांगण तक पहुंचने के लिए भक्तों को लंबी सीढ़ियों को चढ़कर जाना होता है. करवाचौथ के मौके पर इस मंदिर में महिलाओं की भीड़ उमड़ जाती है.

कौन हैं चौथ माता?

हिंदू मान्यता के अनुसार चौथ माता, मां गौरी का दूसरा रूप हैं. मान्यता है कि चौथ माता के मंदिर में मांगी गई इच्छा कभी अधूरी नहीं रहती. नवरात्रि के मौके पर भी मंदिर में खास भीड़ रहती है. ये मंदिर इसलिए भी खास है क्योंकि इस मंदिर का निर्माण शासक भीम सिंह ने कराया था. मंदिर की बनावट राजस्थान की कला और पुराने पारंपरिक काल को दर्शाती है.

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उज्जैन में भी है चौथ माता का मंदिर

बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में भी मां पार्वती को समर्पित करवा चौथ माता का मंदिर है. ये मंदिर उन्हेल बायपास के पास के जीवनखेड़ी गांव में बना है, लेकिन फिर भी यहां की मान्यता बहुत ज्यादा है. इस मंदिर में मां पार्वती अपनी दोनों बहुएं, ऋद्धि और सिद्धि, के साथ विराजमान हैं, और भगवान गणेश भी साथ हैं. इस मंदिर की खास बात ये है कि ये मंदिर सिर्फ करवाचौथ के दिन ही खुलता है और साल के बाकी दिन बंद रहता है. ये मंदिर डॉ. कैलाश नागवंशी नाम के शख्स ने बनाया है और मंदिर को अपनी मां को समर्पित किया है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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