
Chaturmas kab se ho raha shuru : हर साल चातुर्मास आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष एकादशी से शुरू होकर कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष एकादशी तक रहता है. आषाढ़ मास शुक्ल एकादशी को देवशयनी एकादशी कहते हैं. उस दिन भगवान विष्णु योग निद्रा में क्षीर सागर में चले जाते हैं और फिर 4 महीने बाद देव प्रबोधिनी एकादशी (देवोत्थान एकादशी) के दिन योग निद्रा से जाग जाते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं आगरा के पंडित डॉ. अरविंद मिश्र से कि चातुर्मास के दौरान किन बातों का खास ख्याल रखना चाहिए...
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चतुर्मास में क्या करें क्या नहीं
पंडित अरविंद मिश्र बताते हैं कि देवशयनी एकादशी से चतुर्मास की शुरुआत होती है. स्कन्द पुराण एवं पद्म पुराण जैसे कई धार्मिक ग्रंथों और शास्त्रों में इसके बारे में बताया गया है. चातुर्मास के दौरान विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश आदि मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं. यहां तक कि बाल, दाढ़ी, कटवाना और लम्बी यात्राएं करना वर्जित रहता है. इन चार महीनो में भगवान का नाम जप, व्रत, तप यज्ञ आदि करना शुभ फलदायी है.
इस दौरान दूध, दही, तेल, बैंगन, पत्तेदार सब्जियों, नमकीन, अधिक मसालेदार भोजन, मिठाई, सुपारी, मांस, मदिरा का सेवन भी नहीं करना चाहिए. चातुर्मास में बरसात होने एवं मौसम में हो रहे बदलावों से हमारे शरीर में लगातार कुछ परिवर्तन होते रहते हैं. जिससे शरीर एवं मन और हमारी पाचन तंत्र की शक्ति भी प्रभावित होती है. इसलिए चातुर्मास में गरिष्ठ भोजन करने से हमारा स्वास्थ्य खराब हो सकता है. ऐसे में हल्का और सुपाच्य भोजन करना चाहिए.
चातुर्मास यानी पूरे 4 महीने में अकारण यात्रा करने से बचना चाहिए क्योंकि आपके आवागमन से कीड़े-मकोड़े को और पेड़ों को हानि पहुंच सकती है. साथ ही मनुष्यों को भी सांप कीड़ों अथवा जलभराव के कारण हानि पहुंच सकती है. पूजा पाठ करने वाले लोगों को अपनी जीवन शैली में मौसम के अनुरूप एवं अपनी आध्यात्मिक उन्नति के लिए पूजा पाठ करने के दौरान विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए.
पूरे 4 महीने में उड़द और चने की दाल का सेवन नहीं करना चाहिए. इस दौरान काले एवं नीले रंग के कपड़े नहीं पहनना चाहिए. खादी अथवा सूती कपड़े पहनना चाहिए. साथ ही ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए, और किसी को अकारण सताना नहीं चाहिए. सभी मनुष्यों एवं जीव जंतुओं की यथाशक्ति सेवा करनी चाहिए.
पुराणों में लिखा है की चातुर्मास में एक अन्न का भोजन करने वाला मनुष्य रोगी नहीं होता है. अर्थात आप सुपाच्य और हल्का भोजन करें.
शास्त्रों में लिखा है कि यदि भगवान के लिए हम किसी चीज का त्याग करते हैं तो हमसे प्रसन्न होते हैं. चातुर्मास के दौरान यदि आप गुड का त्याग करते हैं, उससे आपके जीवन में मधुरता आती है.
इन चार महीनो में जो व्यक्ति पलाश अथवा केले के पत्तों पर भोजन करता है. वह स्वस्थ और सुखी रहता है. इसी तरह तेल का त्याग करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं और विभिन्न प्रकार की समस्याओं से छुटकारा मिलता है. इससे लंबी उम्र मिलती है. इसके अलावा दूध, दही छोड़ने वाले मनुष्य को भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है. उसको मृत्यु के बाद गोलोक प्राप्त होता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)