चैत्र नवरात्रि: छठवें दिन होती है मां कात्यायनी की पूजा, पढ़ें मंत्र
नई दिल्ली:
मां दुर्गा के नौ रूपों में से एक है कात्यायनी, इन्हें नवरात्रि के छठवें दिन पूजा जाता है. इन्हें गौरी, उमा, हेमावती और इस्वरी नाम से भी जाना जाता है. एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार कत नाम के एक प्रसिद्ध महर्षि थे. उनके पोते कात्यायन ने पुत्री प्राप्ति के लिए कड़ी तपस्या की थी. उसी दौरान राक्षस महिषासुर का अत्याचार बढ़ा, इसके विनाश के लिए ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों भगवानों ने मिलकर एक देवी उत्पन्न की. महर्षि कात्यायन से ही इनकी पूजा की. इसी वजह से वह देवी कात्यायनी कहलाईं. कथा के अनुसार यही देवी महर्षि कात्यायन को पुत्री के रूप में मिलीं.
पौराणिक मान्यता है मां कात्यायनी ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं. गोपियों ने श्रीकृष्ण को पाने के लिए इनकी ही पूजा की थी. इसी कारण से यह माना जाता है कि जिन लड़कियों की शादी में देरी हो, वह मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए कात्यायिनी माता की पूजा करती है. इसके अलावा सभी नौ देवियों में मां कात्यायनी को सबसे फलदायिनी माना जाता है. इनकी पूजा से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है.
चैत्र नवरात्रि को क्यों कहते हैं 'राम नवरात्रि', जानें क्या है इसका महत्व
चैत्र नवरात्रि चल रहे हैं. यह 18 मार्च से 26 मार्च तक चलेंगे. इन पूरे नौ दिनों में हर दिन मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा होगी. यह हिंदुओं का प्रमुख त्यौहार है, इसीलिए यह पूरे भारत वर्ष और कुछ जगह विदेशों में यह बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. माता की पूजा के अलावा चैत्र नवरात्रि के नौवें दिन को राम जी के जन्मदिन के तौर पर मनाया जाता है. इसे राम नवमी भी बोलते हैं. चैत्र नवरात्रि को राम नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है. इसी के साथ यह नवरात्रि वसंत के बाद गर्मियों की शुरुआत मानी जाती है. नवरात्रि के पहले दिन शैलपुत्री की पूजा की गई. दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी की, तीसरे दिन चंद्रघंटा माता को पूजा गया, चौथे दिन कूष्माण्डा माता, पांचवे दिन स्कंदमाता और आज छठवें दिन कात्यायनी की पूजा की जाएगी. सातवें दिन कालरात्रि, आठवें दिन महागौरी और नौवें दिन सिद्धिदात्री को पूजा जाता है. इसी के साथ नौवें दिन राम जी की पूजा भी करते हैं.
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ऐसे करें मां कात्यायनी की पूजा
पंडित विवेक गैरोला ने बताया कि गोधूलि वेला के समय यानी जब सूर्यास्त हो रहा हो, तब इनकी पूजा करना सबसे अच्छा होता है. मां को पीले फूल और पीली मिठाई अपर्ति करें. उन्हें चांदी या मिट्टी के पात्र के रखकर शहद अर्पित करना भी काफी शुभ होता है. घी का दीपक जलाएं. मां को लाल और पीले वस्त्र भी अर्पित करें. इसके बाद मंत्र का जप करें.
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मां कात्यायिनी का मंत्र
'या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
इसका अर्थ है : हे मां! सर्वत्र विराजमान और शक्ति -रूपिणी प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है.
वहीं, यह भी मान्यता है कि जिन लड़कियों की शादी में विलम्ब हो रहा हो, वे इस दिन मां कात्यायनी की पूजा करें...इस मंत्र के साथ. ऐसा करने से उन्हें मनचाहे वर की प्राप्ति होती है.
शादी के लिए मंत्र
ॐ कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरि ! नंदगोपसुतम् देवि पतिम् मे कुरुते नम:।
देखें वीडियो - देशभर में नवरात्रि के अवसर मंदिरों में रौनक
पौराणिक मान्यता है मां कात्यायनी ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं. गोपियों ने श्रीकृष्ण को पाने के लिए इनकी ही पूजा की थी. इसी कारण से यह माना जाता है कि जिन लड़कियों की शादी में देरी हो, वह मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए कात्यायिनी माता की पूजा करती है. इसके अलावा सभी नौ देवियों में मां कात्यायनी को सबसे फलदायिनी माना जाता है. इनकी पूजा से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है.
चैत्र नवरात्रि को क्यों कहते हैं 'राम नवरात्रि', जानें क्या है इसका महत्व
चैत्र नवरात्रि चल रहे हैं. यह 18 मार्च से 26 मार्च तक चलेंगे. इन पूरे नौ दिनों में हर दिन मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा होगी. यह हिंदुओं का प्रमुख त्यौहार है, इसीलिए यह पूरे भारत वर्ष और कुछ जगह विदेशों में यह बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. माता की पूजा के अलावा चैत्र नवरात्रि के नौवें दिन को राम जी के जन्मदिन के तौर पर मनाया जाता है. इसे राम नवमी भी बोलते हैं. चैत्र नवरात्रि को राम नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है. इसी के साथ यह नवरात्रि वसंत के बाद गर्मियों की शुरुआत मानी जाती है. नवरात्रि के पहले दिन शैलपुत्री की पूजा की गई. दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी की, तीसरे दिन चंद्रघंटा माता को पूजा गया, चौथे दिन कूष्माण्डा माता, पांचवे दिन स्कंदमाता और आज छठवें दिन कात्यायनी की पूजा की जाएगी. सातवें दिन कालरात्रि, आठवें दिन महागौरी और नौवें दिन सिद्धिदात्री को पूजा जाता है. इसी के साथ नौवें दिन राम जी की पूजा भी करते हैं.
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पंडित विवेक गैरोला ने बताया कि गोधूलि वेला के समय यानी जब सूर्यास्त हो रहा हो, तब इनकी पूजा करना सबसे अच्छा होता है. मां को पीले फूल और पीली मिठाई अपर्ति करें. उन्हें चांदी या मिट्टी के पात्र के रखकर शहद अर्पित करना भी काफी शुभ होता है. घी का दीपक जलाएं. मां को लाल और पीले वस्त्र भी अर्पित करें. इसके बाद मंत्र का जप करें.
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मां कात्यायिनी का मंत्र
'या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
इसका अर्थ है : हे मां! सर्वत्र विराजमान और शक्ति -रूपिणी प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है.
वहीं, यह भी मान्यता है कि जिन लड़कियों की शादी में विलम्ब हो रहा हो, वे इस दिन मां कात्यायनी की पूजा करें...इस मंत्र के साथ. ऐसा करने से उन्हें मनचाहे वर की प्राप्ति होती है.
शादी के लिए मंत्र
ॐ कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरि ! नंदगोपसुतम् देवि पतिम् मे कुरुते नम:।
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