बिहार-झारखण्ड में सूर्य आराधना का 'चैती छठ' और बंगाल में 'नील षष्ठी' पर्व आज

बिहार-झारखण्ड में सूर्य आराधना का 'चैती छठ' और बंगाल में 'नील षष्ठी' पर्व आज

कल संपन्न हुई चैती छठ खरना पूजन

आज बिहार और झारखण्ड में चैत्र माह में मनाई जाने वाली छठ सूर्य पूजा का संध्या अर्घ्य दिया जाएगा, जबकि बंगाली समुदायों में आस्था और विश्वास के साथ नील षष्ठी पर्व मनाया जा रहा है।
 
बिहार और झारखण्ड में भगवान सूर्य को समर्पित छठ पूजा कार्तिक माह के अतिरिक्त चैत्र माह में भी मनाई की जाती है। इस समय भी सूर्य-पूजा के सारे विधि-विधान कार्तिक माह जैसे ही होते हैं।
 
चैत्र माह के छठ पूजा कार्तिक माह से अधिक कठिन
चैती छठ पूजा भी नहाय-खाय से शुरू होता है और फिर खरना, षष्ठी तिथि को संध्या अर्घ्य और उसके अगले दिन प्रातःकाल में फल-फूल, मिष्टान्न से अर्घ्य देकर उगते सूर्य की पूजा की जाती है।
 
कार्तिक माह की अपेक्षा इस माह की छठ पूजा अधिक कठिन मानी जाती है। क्योंकि, इस समय सूर्य की किरणें प्रखर हो जाती हैं और गर्मी की वजह से व्रत करने वाले को प्यास बहुत लगती है।
 
भगवान शिव को समर्पित है नील षष्ठी पर्व
भगवान नील यानी शिव को समर्पित नील षष्ठी पर्व विशेष तौर पर बंग समुदाय द्वारा मनाई जाती है। इस दिन अधिकांश बंगाली स्त्रियां अपने संतान की सुख की कामना से उपवास रखती हैं। मंदिरों में पूजा करती हैं, फिर शाम को विधिवत पूजा-पाठ के बाद प्रसाद ग्रहण करती हैं।

अनेक लोगों मानना है कि नील भगवान की पूजा करने से संतान की प्राप्ति होती है और संतान के सुख, स्वास्थ्य और आयु में वृद्धि होती है, साथ ही परिवार में भी सुख-समृद्धि-शांति रहती है।

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com