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This Article is From May 10, 2022

Budhwa Mangal 2022: कब पड़ेगा ज्येष्ठ मास का बुढ़वा मंगल, जानें पूजा विधि और महत्व

Budhwa Mangal 2022: ज्येष्ठ मास में पड़ने वाले प्रत्येक मंगलवार को बुढ़वा मंगल या बड़ा मंगल के नाम से जाना जाता है. इस साल का पहला बुढ़वा मंगल 17 मई को पड़ने वाला है.

Budhwa Mangal 2022: कब पड़ेगा ज्येष्ठ मास का बुढ़वा मंगल, जानें पूजा विधि और महत्व
Budhwa Mangal 2022: बुढ़वा मंगल या बड़ा मंगल के दिन हनुमानजी की विशेष पूजा होती है.

Budhwa Mangal 2022: ज्येष्ठ महीने में पड़ने वाले प्रत्येक मंगलवार (Mangalwar) को बड़ा मंगल (Bada Mangal) या बुढ़वा मंगल (Budhwa Mangal) के नाम से जाना जाता है. मान्यतानुसार, मंगलवार (Mangalwar) का दिन श्रीराम भक्त हनुमान (Hanuman) की पूजा की जाती है. हिंदू धर्म की मान्यता के मुताबिक भगवान हनुमान (Hanuman) जिरंजीवी हैं. मान्यता है कि इनकी पूजा से सभी प्रकार के कष्ट और बाधाओं से मुक्ति मिल जाती है. पौराणिक कथा के अनुसार, भीम को जब अपने बल पर अत्यधिक घमंड हो गया था तो हनुमान जी (HanumanJi) ने बूढ़े वानर का रूप धारण कर भीम (Bheem) का घमंड तोड़ा था. कहते हैं जिस दिन ऐसा हुए उस दिन मंगलवार था, इसलिए इस दिन को बुढ़वा मंगल या बड़ा मंगल कहा जाता है. आइए जानते हैं कि ज्येष्ठ के महीने में बुढ़वा मंगल (Jyeshth Monnth Budwa Mangal) कब-कब पड़ रहा है और इस दिन की पूजा विधि क्या है.


ज्येष्ठ मास में कब-कब पड़ रहा है बड़ा या बुढ़वा मंगल?

  • 17 मई, 2022 मंगलवार 
  • 24 मई, 2022, मंगलवार
  • 31 मई, 2022, मंगलवार
  • 07 जून, 2022, मंगलवार
  • 14 जून, 2022 मंगलवार

बुढ़वा मंगल का क्या है महत्व (Significance of Budhwa Mangal) 

आमतौर पर प्रत्येक मंगलवार के दिन हनुमानजी का व्रत करना लाभकारी बताया गया है. लेकिन ज्येष्ठ मास के बुढ़वा मंगलवार के व्रत का विशेष महत्व बताया गया है. मान्यता है कि इस दिन हनुमानजी की पूजा करना और जरुरतमंदों को दान देना अत्यंत लाभकारी होता है. इसके अलावा इस दिन बजरंगबाण और हनुमान चालीसा का पाठ करना भी अच्छा माना गया है. माना जाता है कि इस दिन ऐसा करने से कष्ट दूर होते हैं. 

बुढ़वा मंगल की पूजा विधि (Budhwa Mangal Puja Vidhi) 

मान्यतानुसार, इस दिन सुबह स्नान करने के बाद हनुमानजी की प्रतिमा या तस्वीर के सामने लाल फूल चढ़ाया जाता है. साथ ही हनुमानजी को लाल चंदन का टीका लगाकर हनुमान चालीसा का पाठ किया जाता है. मंगलवार के व्रत में शाम से समय हनुमान जी को प्रसाद चढ़ाकर व्रत का पारण किया जाता है. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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