रंगों-उमंगों का त्यौहार रंगोत्सव (Rangotsav) ब्रज में वसंत पंचमी (Vasant Panchmi) के दिन से शुरु हो जाएगा. भारत तथा विभिन्न देशों में मनाया जाने वाला यह उत्सव अगले पचास दिन तक चलेगा. ब्रज में बसंत पंचमी (Basant Panchami) के दिन मंदिरों में ठाकुरजी को गुलाल अर्पण कर, रसिया, धमार आदि होली गीतों का गायन प्रारम्भ हो जाता है और मंदिरों में दर्शन के लिए आने वाले भक्तों पर भी गुलाल के छींटे डाले जाते हैं.
प्राचीन परम्पराओं के अनुसार, मंदिरों में होली की तैयारियों के साथ ही आम समाज में भी होली का आगाज़ हो जाता है. फाल्गुन शुक्ल पूर्णमासी की रात होली जलाए जाने वाले चौराहों पर डांढ़ा गाड़ दिया जाता है जो इस बात का प्रतीक होता है कि ब्रज में अब होली के पारम्परिक आयोजन शुरु हो गए हैं.
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डांढ़ा लकड़ी का एक टुकड़ा होता है जिसके आसपास होलिका सजाई जाती है. इसी दिन, राधारानी के गांव बरसाना में पहली चौपई यानि चौपहिया बैलगाड़ियों पर शोभायात्रा निकाली जाएगी. चौपई के साथ बरसानावासी होली के गीत गाते-नाचते पूरे कस्बे का भ्रमण करेंगे. महाशिवरात्रि (Maha Shivratri) पर्व पर दूसरी और फाल्गुन शुक्ल नवमी के दिन तीसरी चौपई निकाली जाएगी. फाल्गुन शुक्ल नवमी के दिन बरसाना में लठामार होली खेली जाती है जो ब्रज की 50 दिन चलने वाली होली का मुख्य आकर्षण होती है.
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उत्तर प्रदेश सरकार इस वर्ष भी बरसाना में इस आयोजन को बहुत ही भव्य एवं आकर्षक बनाना चाहती है. इसके लिए उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद की अगुआई में तैयारियां जोरों पर हैं. सूत्रों ने बताया कि सरकार इस आयोजन को पर्यटन विकास के एक वृहद् मौके का रूप देना चाहती है. श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव कपिल शर्मा (Kapil Sharma) के अनुसार, रंगभरनी एकादशी (Rangbhari Ekadashi) के अवसर पर जन्मस्थान के लीलामंच प्रांगण में भी परम्परानुसार मनाए जाने वाले होलिकोत्सव की तैयारियां चरम पर हैं.
ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर (Thakur Bankey Bihari Temple) के प्रबंधक उमेश सारस्वत ने बताया कि फाल्गुन शुक्ल एकादशी को रंगपंचमी (Rang Panchami) भी कहा जाता है. ‘‘इस दिन वृन्दावन में ठा. बांकेबिहारी मंदिर सहित सभी मंदिरों में गुलाल के स्थान पर ठाकुरजी को टेसू के फूलों से बने रंग के छींटे देकर ब्रज में गीले रंगों की होली की शुरु की जाती है. यही रंग प्रसाद रूप में भक्तजनों पर भी छिड़का जाता है. इसी दिन वृन्दावन में ठा. राधारमण लाल जी का डोला (नगर भ्रमण) निकाला जाता है.''
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इसके बाद 20 मार्च को फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा के दिन रात्रि के अंतिम प्रहर में मथुरा से 50 किमी दूर फालैन गांव में पण्डा समाज का प्रतिनिधि ‘भक्त प्रहलाद' के रूप में करीब 20-25 फीट ऊंची होली की लपटों के बीच से निकल कर दिखाएगा. गतवर्ष उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने बरसाना की होली में शरीक होकर राज्य के पर्यटन विकास का संकल्प उजागर किया था. इसी उद्देश्य से इस बार यह जिम्मेदारी ब्रज तीर्थ विकास परिषद को सौंपी गई है जो बड़े आयोजनों के साथ-साथ अभी तक स्थानीय स्तर पर भी होली के प्रचार प्रसार का प्रयास करेगी.
परिषद के उपाध्यक्ष शैलजाकांत मिश्र एवं सीईओ नागेंद्र प्रताप ने बताया, ‘‘इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए उन सभी आयोजनों की सूची बना ली गई है, जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन सकते हैं. इन स्थानों तक पहुंचने एवं वहां पर पर्यटक हितैषी आधारभूत सुविधाएं मुहैया कराने के प्रयास जारी हैं,'' उन्होंने बताया, ‘‘इन सभी जगहों को पर्यटन मानचित्र पर लाने की योजना बनाई गई है. होली पर तमाम स्थानों पर पुलिस एवं प्रशासनिक व्यवस्था के साथ आवागमन की सुविधाएं उपलब्ध कराने की तैयारी की जा रही है. होली के आयोजनों की वीडियोग्राफी के साथ उसका लाइव प्रसारण कराने की भी योजना है.
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