Eid al-Adha 2021: इस्लाम धर्म में मुख्य रूप से हर साल 2 बड़े त्योहार मनाए जाते हैं. एक ईद-उल-फित्र, जिसे मीठी ईद कहते हैं और दूसरा ईद-उल-अज़हा (Eid al-Adha) , जिसे बकरीद (Bakrid) कहते हैं. बकरीद पर मुस्लिम समुदाय के लोग अल्लाह की राह में कुर्बानी करते हैं. बकरीद भी मीठी ईद की तरह 3 दिन तक मनाई जाती है और इसी के साथ 3 दिन तक ही कुर्बानी का सिलसिला चलता है.
कब है बकरीद
इस्लामिक कैलेंडर (Islamic Calendar) के अनुसार, बकरीद का त्योहार 12वें महीने की 10 तारीख को मनाया जाता है. इस बार ईद-उल-अजहा का प्रमुख त्योहार 21 जुलाई को मनाया जाएगा.
इस्लाम में कुर्बानी करना किस पर फर्ज़ (जरूरी) है?
इस्लाम में कुर्बानी करना हर उस मुसलमान पर फर्ज़ (जरूरी) है, जो ज़कात देने की हैसियत रखता है. माना जाता है कि जिस मुसलमान के पास साढ़े सात तोला सोना या फिर साढ़ 52 तोला चांदी है या फिर इसकी कीमत के जितने पैसे हैं, तो उस शख्स के लिए कुर्बानी करना जरूरी है. इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, अगर कोई शख्स हैसियतमंद होने के बाद भी अल्लाह की राह में कुर्बानी नहीं करता है तो वह गुनाहगारों में शुमार किया जाता है.
कितने महंगे बकरे पर कुर्बानी होना चाहिए?
मुसलमान समुदाय के लोग अपनी हैसियत के मुताबिक, सस्ते या महंगे किसी भी कीमत के जानवरों की कुर्बानी कर सकते हैं. जानवरों की कीमत से कुर्बानी का कोई संबंध नहीं है.
किस जानवर की कुर्बानी में होते हैं कितने हिस्से?
छोटे जानवर जैसे बकरे पर सिर्फ एक शख्स के नाम की कुर्बानी ही हो सकती है, जबकि बड़े जानवर जैसे भैंस और ऊंट में सात लोग हिस्सा लेकर अपने नाम की कुर्बानी कर सकते हैं, यानी बड़े जानवर की कुर्बानी में सात लोग शामिल हो सकते हैं.
कुर्बानी के गोश्त के होते हैं तीन हिस्से
कुर्बानी के गोश्त को तीन हिस्सों में बांटा जाता है. इसमें एक हिस्सा अपने घर के लिए होता है, एक हिस्सा रिश्तेदारों के लिए और एक हिस्से को गरीबों में बांटा जाता है. गरीबों को कुर्बानी का गोश्त बांटने का मकसद यह है कि बकरीद पर कोई गरीब कुर्बानी के गोश्त से महरूम न रहे और सब लोग खुशियों के साथ ये त्योहार मना सकें.
इस्लाम में कुर्बानी के कुछ नियम
- इस्लाम में कुर्बानी के कुछ नियम भी हैं, जिसका हर मुसलमान के लिए पालन करना जरूरी है.
- कुर्बानी सिर्फ हलाल पैसों से ही की जा सकती है, यानि जो पैसे जायज़ तरीके से कमाए गए हों.
- कुर्बानी बकरे, भेड़, ऊंट और भैंस पर की जाती है.
- कुर्बानी के समय जानवर बिल्कुल स्वस्थ होना चाहिए. जानवर को किसी तरह की चोट या बीमारी नहीं होनी चाहिए, क्योंकि बीमार जानवरों पर कुर्बानी जायज़ नहीं है.
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