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This Article is From Oct 17, 2018

Ashtami 2018: विवाह में आ रही बाधांओं को दूर करती हैं मां गौरी, इनके दमकते रंग को लेकर है रोचक कहानी

Ashtami 2018: मां दुर्गा का आठवां रूप है महागौरी (Mahagauri). नवरात्रि के इसी आठवें दिन अष्टमी पूजी (Ashtami Puja) जाती है. इस दिन लोग अपने घरों में कन्याओं को भोजन के लिए बुलाते हैं.

Ashtami 2018: विवाह में आ रही बाधांओं को दूर करती हैं मां गौरी, इनके दमकते रंग को लेकर है रोचक कहानी
Mahagauri: मां दुर्गा का आठवां रूप है महागौरी, जानिए उनकी पूरी कहानी
नई दिल्ली: Ashtami 2018: मां दुर्गा का आठवां रूप है महागौरी (Mahagauri). नवरात्रि के इसी आठवें दिन अष्टमी पूजी (Ashtami Puja) जाती है. इस दिन लोग अपने घरों में कन्याओं को भोजन के लिए बुलाते हैं. उन्हें हलवा-पूड़ी और चना खिलाते हैं. इसके साथ ही कंजकों को खाने के बाद तोहफे और पैर छूकर विदा करते हैं. (यहां जानिए पूरी कन्या पूजन विधि). इस बार अष्टमी 17 अक्टूबर को इस मुहूर्त पर मनाई जाएगी. इस दिन कन्या पूजन के सिर्फ एक ही नहीं बल्कि दो मुहूर्त हैं. यहां जानिए अष्टमी के दिन पूजी जाने वाली माता महागौरी के बारे में सबकुछ.

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कौन हैं मां महागौरी?
मां गौरी की प्रसिद्ध दो में से एक कथा के मुताबिक भगवान शिव द्वारा मां पार्वती के सांवले रंग पर किए गए शब्दों से नाराज़ होकर पार्वती जी कठोर तपस्या करने चली गईं. वर्षों की तपस्या के बाद भगवान शिव जब पार्वती जी की तपस्या को पूरा करने पहुंचे तो वह पार्वती को के रंग को देखकर आश्चर्य चकित रह गए. क्योंकि पार्वती जी का रंग पहले जैसा सांवला नहीं था बल्कि चांदनी की तरह श्वेत और चमकदार हो गया था. माता पार्वती के रूप-रंग से खुश होकर भगवान शिव ने उन्हें 'गौर वर्ण' का वरदान दिया और तभी से मां पार्वती के एक रूप का नाम गौरी पड़ा.

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वहीं, दूसरी कथा के मुताबिक माता सीता ने श्रीराम की प्राप्ति के लिए महागौरी की पूजा की थी और इनकी पूजा करने से शादी-विवाह के कार्यों में आ रही बाधा खत्‍म हो जाती हैं. कहा जाता है कि विवाह संबंधी तमाम बाधाओं के निवारण में इनकी पूजा जरूर करनी चाहिए. 

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मां महागौरी का रूप 
बैल पर सवार चार भुजाओं वाली मां का नाम है महागौरी. इनके एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे में डमरू होता है. दाहिना हाथ अभय मुद्रा और बायां हाथ वर-मुद्रा में होता है. गले में सफेद पुष्पों की माला और सफेद साड़ी ही मां महागौरी का श्रृंगार है. इसके अलावा सिर पर मुकूट चारों हाथों में चूड़ियां और ऊपर के दोनों हाथों में बाजूबंद ही मां के जेवर हैं.

कैसे करें महागौरी की पूजा?
मां गौरी की पूजा के दौरान महिलाएं चुनरी भेंट करें और जो लोग अष्टमी के दिन कन्याओं को भोजन करा रहे हैं वो शुभ मुहूर्त का ध्यान रखें. 

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मां महागौरी ध्‍यान मंत्र
जय महागौरी जगत की माया।
जया उमा भवानी जय महामाया॥

हरिद्वार कनखल के पासा।
महागौरी तेरी वहां निवासा॥

चंद्रकली ओर ममता अंबे।
जय शक्ति जय जय माँ जगंदबे॥

भीमा देवी विमला माता।
कौशिकी देवी जग विख्यता॥

हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा।
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा॥

सती {सत} हवन कुंड में था जलाया।
उसी धुएं ने रूप काली बनाया॥

बना धर्म सिंह जो सवारी में आया।
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया॥

तभी माँ ने महागौरी नाम पाया।
शरण आनेवाले का संकट मिटाया॥

शनिवार को तेरी पूजा जो करता।
माँ बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता॥

भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो।
महागौरी माँ तेरी हरदम ही जय हो॥

Videos: वीडियो में देखें आलोक नाथ और विनता नंदा से जुड़ी खबर
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