तिरुमाला मंदिर
अमरावती:
2018 आने ही वाला है और देश भर में नए साल के स्वागत की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं. लेकिन आंध्र प्रदेश को यह मंजूर नहीं तभी तो उसने राज्य भर के सभी मंदिरों में नए साल के जश्न पर पाबंदी लगा दी है. राज्य में धार्मिक मामलों से जुड़े हुए धर्मादा विभाग ने आंध्र प्रदेश के मंदिरों से नए साल का जश्न मनाने के लिए मना किया है . विभाग का कहना है कि यह भारतीय वैदिक संस्कृति का हिस्सा नहीं है.
भगवान वेंकटेश्वर को एक श्रद्धालु ने चढ़ाई बेशकीमती माला
धर्मादा विभाग के तहत आने वाले हिंदू धर्म परिरक्षणा (HDPT) ने इस मामले में धर्मादा आयुक्त वाई यू अनुराधा के निर्देश का हवाला देते हुए सभी मंदिरों को सर्कुलर जारी किया है.
HDPT सचिव सी विजय राघवाचारयूलू ने सर्कुलर में कहा है, 'एक जनवरी को शुभकामनाएं लेना-देना और त्योहार की तरह इसका उत्सव मनाना भारतीय संस्कृति का हिस्सा नहीं है. सिर्फ उगादी (तेलुगु में नए साल का दिन) मनाना ही सही और सबसे अच्छी संस्कृति है.' सर्कुलर में कहा गया है, 'हालांकि भारत को 70 साल पहले ही आजादी मिल गई थी लेकिन हम अब भी अंग्रेजों के ग्रेगोरियन कैलेंडर को मान रहे हैं. भारतीय संस्कृति की अनदेखी करके पश्चिमी संस्कृति का पालन करते हुए एक जनवरी को मंदिरों को सजाने में लाखों रुपये खर्च किए जाते हैं.'
इस मंदिर एक स्तंभ से निकलते हैं संगीत के सातों स्वर, मिलता है अनोखा प्रसाद
न्यास के सचिव ने कहा, 'इसलिए, एक जनवरी को मंदिरों को प्रकाश और फूलों से नहीं सजाना चाहिए और कोई भी उत्सव का महौल नहीं बनाना चाहिए.' आपको बता दें कि आंध्र प्रदेश के ज्यादातर मंदिर एक जनवरी के मौके पर विशेष पूजा और दर्शन का आयोजन करते हैं और वहां यह एक सामान्य सी बात है.
तिरुमाला तिरूपति मंदिर को एक भक्त ने दिया एक करोड़ रूपये का दान
इस दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु तिरुमाला, कनक दुर्गा (विजयवाड़ा), शिव (श्रीसैलम) मंदिरों में भगवान के दर्शन को आते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं. आंध्र प्रदेश के सबसे बड़े मंदिर तिरुमाला में इस दिन खास तौर पर काफी भीड़ होती है. भगवान वेंकेटेश्वर के दर्शन के लिए यहां काफी श्रद्धालु आते हैं.
हालांकि धर्मादा विभाग के सूत्रों ने बताया है कि यह आदेश तिरुमाला मंदिर पर लागू नहीं होगा क्योंकि यह एक स्वतंत्र प्रतिष्ठान है.
VIDEO: शिरडी के सांई को नए साल पर करोड़ों का चढ़ावा इनपुट: भाषा
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धर्मादा विभाग के तहत आने वाले हिंदू धर्म परिरक्षणा (HDPT) ने इस मामले में धर्मादा आयुक्त वाई यू अनुराधा के निर्देश का हवाला देते हुए सभी मंदिरों को सर्कुलर जारी किया है.
HDPT सचिव सी विजय राघवाचारयूलू ने सर्कुलर में कहा है, 'एक जनवरी को शुभकामनाएं लेना-देना और त्योहार की तरह इसका उत्सव मनाना भारतीय संस्कृति का हिस्सा नहीं है. सिर्फ उगादी (तेलुगु में नए साल का दिन) मनाना ही सही और सबसे अच्छी संस्कृति है.' सर्कुलर में कहा गया है, 'हालांकि भारत को 70 साल पहले ही आजादी मिल गई थी लेकिन हम अब भी अंग्रेजों के ग्रेगोरियन कैलेंडर को मान रहे हैं. भारतीय संस्कृति की अनदेखी करके पश्चिमी संस्कृति का पालन करते हुए एक जनवरी को मंदिरों को सजाने में लाखों रुपये खर्च किए जाते हैं.'
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न्यास के सचिव ने कहा, 'इसलिए, एक जनवरी को मंदिरों को प्रकाश और फूलों से नहीं सजाना चाहिए और कोई भी उत्सव का महौल नहीं बनाना चाहिए.' आपको बता दें कि आंध्र प्रदेश के ज्यादातर मंदिर एक जनवरी के मौके पर विशेष पूजा और दर्शन का आयोजन करते हैं और वहां यह एक सामान्य सी बात है.
तिरुमाला तिरूपति मंदिर को एक भक्त ने दिया एक करोड़ रूपये का दान
इस दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु तिरुमाला, कनक दुर्गा (विजयवाड़ा), शिव (श्रीसैलम) मंदिरों में भगवान के दर्शन को आते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं. आंध्र प्रदेश के सबसे बड़े मंदिर तिरुमाला में इस दिन खास तौर पर काफी भीड़ होती है. भगवान वेंकेटेश्वर के दर्शन के लिए यहां काफी श्रद्धालु आते हैं.
हालांकि धर्मादा विभाग के सूत्रों ने बताया है कि यह आदेश तिरुमाला मंदिर पर लागू नहीं होगा क्योंकि यह एक स्वतंत्र प्रतिष्ठान है.
VIDEO: शिरडी के सांई को नए साल पर करोड़ों का चढ़ावा इनपुट: भाषा
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