गुरुवार का व्रत विधि-विधान से करना चाहिए. ऐसे में व्रत वाले दिन उठकर स्नाने के बाद बृहस्पति देव का पूजन करना चाहिए. बृहस्पति देव की पूजा में पीले फूल, पीली वस्तुएं, चने की दाल, पीली मिठाई, मुनक्का, पीले चावल और हल्दी चढ़ाकर किया जाता है. साथ ही गुरुवार व्रत के दौरान केले के पेड़ की पूजा की जाती है. गुड़ और चने का भोग लगाया जाता है. इसके अलावा हल्दी में जल डालकर बृहस्पति देव का अभिषेक किया जाता है. पूजन के बाद हाथ में चना और गुड़ लेकर गुरुवार व्रत कथा का पाठ किया जाता है और फिर आरती की जाती है. आरती के बाद फलाहार का सेवन किया जाता है.
बृहस्पति देव की आरती (Shri Brihaspati Dev Ji Ki Aarti)
जय बृहस्पति देवा
ऊँ जय बृहस्पति देवा
छिन छिन भोग लगाऊं
कदली फल मेवा
ऊँ जय बृहस्पति देवा
जय बृहस्पति देवा
तुम पूरण परमात्मा
तुम अन्तर्यामी
जगतपिता जगदीश्वर
तुम सबके स्वामी
ऊँ जय बृहस्पति देवा
जय वृहस्पति देवा
चरणामृत निज निर्मल
सब पातक हर्ता
सकल मनोरथ दायक
कृपा करो भर्ता
ऊँ जय बृहस्पति देवा
जय वृहस्पति देवा
तन, मन, धन अर्पण कर
जो जन शरण पड़े
प्रभु प्रकट तब होकर
आकर द्वार खड़े
ऊँ जय बृहस्पति देवा
जय बृहस्पति देवा
दीनदयाल दयानिधि
भक्तन हितकारी
पाप दोष सब हर्ता
भव बंधन हारी
ऊँ जय बृहस्पति देवा
जय बृहस्पति देवा
सकल मनोरथ दायक
सब संशय हारो
विषय विकार मिटाओ
संतन सुखकारी
ऊँ जय बृहस्पति देवा
जय बृहस्पति देवा
जो कोई आरती तेरी
प्रेम सहित गावे
जेठानन्द आनन्दकर
सो निश्चय पावे
ऊँ जय बृहस्पति देवा
जय बृहस्पति देवा
सब बोलो विष्णु भगवान की जय
बोलो बृहस्पति देव भगवान की जय
सिटी सेंटर: हनुमान मंदिर के सेवादार यूसुफ पेश कर रहे भाईचारे की मिसाल
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. एनडीटीवी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)