
देश में कृषि उत्पादकता और फसलों के विविधीकरण को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना लागू करने का फैसला किया है.केंद्रीय कैबिनेट ने में छह साल की अवधि के लिए इस योजना को मंजूरी दे दी. ये योजना 2025-26 से 100 जिलों में लागू होगी. नीति आयोग के आकांक्षी जिला कार्यक्रम की तर्ज पर तैयार ये योजना कृषि क्षेत्र पर केंद्रित भारत सरकार की पहली योजना है. सरकार जुलाई महीने भर के भीतर इन 100 जिलों का चयन कर लेगी. नीति आयोग इस स्कीम की प्रगति रिपोर्ट की जिम्मेदारी संभालेगा.
पंचायत-ब्लॉक लेवल पर भंडारण
कृषि मंत्रालय के अनुसार, योजना का उद्देश्य खेती की उपज बढ़ाना है. गेहूं-चावल और गन्ने के अलावा दलहन-तिलहन की फसलों और नकदी फसलों पर सरकार का जोर है. सरकार इस योजना के जरिये पंचायत और ब्लॉक स्तर पर ही फसलों के भंडारण क्षमता तैयार करेगी, ताकि स्थानीय स्तर पर ही इन्हें सुरक्षित रखकर खर्च बचाया जा सके. इसमें छोटे किसानों को सस्ता कर्ज मुहैया कराया जाएगा. साथ ही सिंचाई योजनाओं का दायरा बढ़ाया जाएगा. प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना के तहत 100 जिले लाए गए हैं.
11 विभागों की 36 योजनाएं शामिल
इस जंबो स्कीम के तहत 11 विभागों की 36 मौजूदा कृषि योजनाओं को शामिल किया जाएगा. योजनाओं के एकीकरण से इसका संचालन बेहतर तरीके से किया जा सकेगा. निजी क्षेत्र को भी भागीदारी भी इसमें होगी.सरकार चाहती है कि केंद्र के साथ राज्य सरकार की कृषि योजनाओं को भी इसमें मिलाकर लागू किया जाए. हर राज्य का कम से कम एक जिला इसमें शामिल होगा. कृषि मंत्रालय के मुताबिक, हर जिले के लिए एक नोडल अफसर होगा. इसका चयन जुलाई में ही हो जाएगा.
उत्पादकता में बराबरी लाने पर जोर
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री धन-धान्य योजना को बड़ी पहल बताया है. उन्होंने कहा, खाद्यान्न में हमारा उत्पादन 40 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ा है. फल-दूध और सब्जियों के उत्पादन में भी उछाल है. फिर भी राज्यों की उत्पादकता में काफी अंतर है. राज्य के भीतर भी एक जिले की दूसरे जिले से उत्पादकता कम है. जिन जिलों में फसलों की उपज कम है. किसान आधुनिक कृषि उपकरणों और तकनीकों के लिए लोन बहुत कम लेते हैं, ऐसे जिलों को योजना में लाया जाएगा.
सिंगल विंडो सिस्टम जैसा लाभ
इन चिन्हित जिलों में 11 विभागों कीयोजनाओं को समाहित करके सिंगल विंडो सिस्टम के तहत एक ही जगह सारे लाभ दिए जाएंगे.यानी जिन जिलों में उपज कम होगी, फसलों की सघनता और कर्ज वितरण कम होगा, वो इसके दायरे में होंगी.इस महत्वाकांक्षी योजना को लागू करने के लिए स्टेट और नेशनल लेवल के साथ जिला स्तर पर समिति बनाई जाएंगी. समितियों में किसान प्रतिनिधि भी शामिल होंगे.
प्रोग्रेस रिपोर्ट तैयार करेगा नीति आयोग
नीति आयोग चयनित जिलों के लिए कुछ पैमाने तय करेगा, जिनके आधार पर प्रोग्रेस रिपोर्ट तैयार की जाएगी. इसकी निगरानी के लिए एक डैशबोर्ड बनाया जाएगा. ये अभियान अक्टूबर के रबी सीजन से शुरू होगा. जिला स्तर की समिति को ग्राम पंचायत या जिला क्लेक्टर द्वारा चलाया जाएगा. केवल जिले में ही नहीं, राज्य स्तर पर भी टीम बनेगी. राज्य स्तर टीम की जिम्मेदारी जिले में योजनाओं के सही तरीके से एकीकरण पर ध्यान देने की होगी. केंद्रीय स्तर पर केंद्रीय मंत्रियों की और सचिव की अध्यक्षता में अन्य विभागों के अधिकारियों की टीम होगी.
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