
- भारत और चीन ने दिल्ली में WMCC बैठक में वास्तविक नियंत्रण रेखा की समग्र स्थिति की समीक्षा की.
- दोनों पक्षों ने इस साल के अंत में भारत में विशेष प्रतिनिधि वार्ता के अगले दौर की तैयारी पर चर्चा की.
- दोनों देशों ने सीमा क्षेत्रों में शांति-सौहार्द की स्थिति पर संतोष जताया, नियमित संपर्क बनाए रखने पर सहमति
भारत और चीन ने बुधवार को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर समग्र स्थिति की समीक्षा की और सीमा संबंधी मुद्दों पर विशेष प्रतिनिधियों की वार्ता के लिए आधार तैयार किया. यह समीक्षा दिल्ली में परामर्श एवं समन्वय कार्य तंत्र (WMCC) की बैठक में की गई. यह WMCC वार्ता विदेश मंत्री एस जयशंकर के शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों के सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन की यात्रा के कुछ दिनों बाद हुई है.
विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्षों ने इस साल के अंत में भारत में होने वाली विशेष प्रतिनिधियों की अगले दौर की वार्ता की भी तैयारी की. विशेष प्रतिनिधि वार्ता के लिए चीनी विदेश मंत्री वांग यी के भारत आने की संभावना है. वांग और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल इस वार्ता के विशेष प्रतिनिधि हैं. विशेष प्रतिनिधि वार्ता का आखिरी एपिसोड पिछले साल दिसंबर में बीजिंग में आयोजित किया गया था.
मंत्रालय ने कहा, 'प्रभावी सीमा प्रबंधन को आगे बढ़ाने और शांति एवं सौहार्द बनाए रखने के उद्देश्य से, दोनों पक्षों ने विशेष प्रतिनिधि वार्ता के पिछले 23वें दौर के दौरान सुझाए गए विभिन्न उपायों पर विचार-विमर्श किया.' WMCC वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (पूर्वी एशिया प्रभाग) गौरांगलाल दास ने किया. चीनी पक्ष का नेतृत्व चीनी विदेश मंत्रालय के सीमा और समुद्री मामलों के विभाग के महानिदेशक होंग लियांग ने किया.
भारत-चीन संबंधों को सामान्य बनाने में लगे हैं
पिछले साल अक्टूबर में एलएसी पर सैन्य झड़प खत्म करने के बाद पिछले नौ महीनों से भारत और चीन अपने संबंधों को सामान्य बनाने में लगे हुए हैं. दोनों देशों ने टकराव वाले स्थानों से अपने सैनिकों को हटा लिया है, लेकिन उन्होंने अभी भी सीमा से अग्रिम पंक्ति के बलों को वापस बुलाकर तनाव को सामान्य नहीं किया है. पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में एलएसी पर दोनों देशों के पास वर्तमान में लगभग 50,000 से 60,000 सैनिक हैं.
पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध मई 2020 में शुरू हुआ और उसी साल जून में गलवान घाटी में एक घातक झड़प के बाद दोनों पड़ोसियों के बीच संबंधों में गंभीर तनाव आ गया. पिछले साल 21 अक्टूबर को अंतिम रूप दिए गए समझौते के तहत डेमचोक और देपसांग के अंतिम दो तनाव बिंदुओं से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद टकराव प्रभावी रूप से समाप्त हो गया है लेकिन स्थिति पूरी तरह सामान्य नहीं हुआ है.
अलग-अलग संवाद तंत्रों को फिर से जिंदा करने का निर्णय पिछले साल अक्टूबर में रूसी शहर कजान में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच एक बैठक में लिया गया था. मोदी-शी की बैठक भारत और चीन द्वारा देपसांग और डेमचोक में सैनिकों की वापसी के समझौते पर सहमति के दो दिन बाद हुई थी.
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