
बिहार में राजनीति ने एक दिलचस्प करवट ली है। एक-दूसरे के धुर विरोधी रहे लालू और नीतीश अब साथ आ गए हैं। आज बिहार विधानसभा में जीतन मांझी सरकार के विश्वास मत के दौरान लालू प्रसाद यादव की आरजेडी सत्ताधारी जेडीयू के साथ खड़ी रही। जीतन मांझी सरकार ने विधानसभा में विश्वास मत हासिल कर लिया है।
नीतीश कुमार के इस्तीफे के बाद नई सरकार को विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए बुलाए गए विशेष सत्र की कार्यवाही शुरू होते ही मांझी को सदन का नेता चुना गया, इसके बाद उन्होंने विश्वास मत पेश किया। इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने सत्तापक्ष और विपक्ष के सदस्यों को इस पर चर्चा करने के लिए तीन घंटे का समय निर्धारित किया।
पक्ष-विपक्ष के सदस्यों द्वारा चर्चा के बाद मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी जब जवाब दे रहे थे, तब प्रतिपक्ष के नेता नंदकिशोर यादव ने सरकार को अन्य दलों द्वारा दिए गए समर्थन पर बोलने की मांग की। इस मुद्दे पर बोलने का मौका नहीं दिए जाने पर बीजेपी के सभी सदस्य सदन से वॉकआउट कर गए। बीजेपी के सदस्यों के जाने बाद विश्वास मत ध्वनिमत से पारित हो गया। मांझी को विश्वास मत हासिल हो जाने के बाद विधानसभा को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया।
लालू ने गुरुवार को कहा था कि बिहार में जेडीयू सरकार को उनकी पार्टी का बिना शर्त समर्थन का उद्देश्य राज्य में सत्ता हासिल करने के बीजेपी के इरादे को नाकाम करना है, लेकिन उन्होंने नीतीश कुमार की पार्टी के साथ भविष्य की संभावनाओं के बारे में पूछे गए सवाल को टाल दिया।
लालू ने गुरुवार शाम नई दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी मुलाकात की और समझा जाता है कि इस मुलाकात के दौरान उन्होंने बिहार में चुनाव के बारे में उन्हें जानकारी दी। बिहार में हाल के चुनाव में आरजेडी, कांग्रेस और एनसीपी गठबंधन ने लोकसभा की 40 में से 7 सीटों पर सफलता प्राप्त की।
लालू ने कहा, हम सांप्रदायिक ताकतों को रोकने के लिए केंद्र में लंबे समय से कांग्रेस को समर्थन दे रहे हैं। बिहार में जीतन राम मांझी सरकार को हमारा समर्थन भी बीजेपी को रोकने और राज्य में सत्ता हासिल करने के उसके इरादे को नाकाम करने के लिए है। यह बिना शर्त समर्थन है, लेकिन हम सरकार के कामकाज पर निगरानी बनाए रखेंगे।
(इनपुट आईएएनएस से)
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