भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ जब एक तरफ भारत-पाकिस्तान के रिश्तों पर बातचीत कर रहे थे, मोदी के दफ्तर के राज्यमंत्री धारा-370 पर बयानबाजी कर रहे थे और इस तरह मोदी सरकार के पहले दिन ही इस मुद्दे की गूंज श्रीनगर तक पहुंच गई। विवाद बढ़ता देख जितेंद्र सिंह सफाई भी दी कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री के हवाले से कुछ नहीं कहा।
दरअसल, जितेंद्र सिंह ने सोमवार को पद और गोपनीयता की शपथ ली और प्रधानमंत्री कार्यालय के राज्यमंत्री का ओहदा संभालने के बाद धारा-370 खत्म करने के लिए बातचीत करने की बात करने लगे।
नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री कार्यालय के मंत्री के बयान को श्रीनगर पहुंचने में देर नहीं लगी। नवाज शरीफ को न्योता देकर मोदी सरकार की तारीफ करने वाले जम्मू−कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट किया...
'मेरे शब्द याद रखें और यह ट्वीट सेव करके रख लें। जब मोदी सरकार सुदूर अतीत में जा चुकी होगी, तब भी या तो धारा 370 बनी रहेगी या फिर जम्मू−कश्मीर भारत का हिस्सा नहीं रह जाएगा। धारा-370 जम्मू−कश्मीर और भारत के बीच इकलौता सूत्र है। इसे हटाने की बात गैर-ज़िम्मेदाराना है।'
वहीं महबूबा मुफ्ती ने एक बयान जारी कर कहा कि धारा 370 पर गैर-ज़िम्मेदार बयान फौरन बंद होने चाहिए, क्योंकि जम्मू−कश्मीर में इसके गंभीर असर होंगे। साथ ही शांति और समावेश का माहौल बिगड़ने का खतरा है, जो केंद्र में नई सरकार अपने आगमन के साथ बनाने का लक्ष्य लेकर चल रही है।
मोदी सरकार की पहली कैबिनेट बैठक के बाद जब पत्रकारों ने कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद से इस पर राय मांगी तो वह सीधे जवाब से बचते दिखे। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार इस संबंध में सोच-समझकर फैसला लेगी। जाहिर है मोदी कम से कम अभी ऐसे सवालों से बचना चाहेंगे, लेकिन देर−सबेर उन्हें अपनी पार्टी की विचारधारा और अपनी सरकार की प्राथमिकताओं के बीच कुछ तो चुनना ही होगा।
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