रानीखेड़ा गांव में डंपिंग साइट के विरोध में महापंचायत हुई
नई दिल्ली:
दिल्ली में कूड़े को लेकर बवाल मचा हुआ है. शुक्रवार को गाजीपुर लैंडफिल साइट का एक हिस्सा ढहने से दो लोगों की मौत हो गई थी. इसके बाद उपराज्यपाल अनिल बैजल ने नगर निगम के साथ बैठक करके आदेश दिया कि अब गाजीपुर में कोई कूड़ा नहीं डाला जाएगा. अस्थायी तौर पर बाहरी दिल्ली के मुंडका के रानीखेड़ा गांव की जमीन पर एक हफ्ते के लिए कूड़ा डालने का फैसला किया गया. लेकिन वहां के लोगों ने इसका जमकर विरोध किया और रविवार को वहां कूड़ा डालने आए ट्रक की हवा निकाल दी. सोमवार को भी रानीखेड़ा और उसके आसपास की कॉलोनी के लोग प्रस्तावित कूड़ा डालने की जगह पर जमे रहे. रानीखेड़ा गांव के पदम सिंह ने कहा, 'ये सिर्फ कहने की बात है कि कूड़ा केवल एक हफ्ते के लिए डालने दिया जाएगा. एक बार यहां कूड़ा डालना शुरू हो गया तो फिर वो चलता रहेगा. गाजीपुर में कूड़ा डालना बंद हो गया है, भलस्वा में भी कूड़ा नहीं डालने दे रहे हैं, तो ऐसे में बचा सिर्फ रानीखेड़ा. इसलिए हम बिल्कुल भी अपने यहां कूड़ा नहीं डालने देंगे.'
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कूड़ा विरोधी आंदोलन में महिलाएं भी बड़ी संख्या में शामिल होने प्रदर्शन स्थल पर पहुंच रही है. कोई ट्रैक्टर से तो कोई कार से तो कोई पैदल. महिलाओं ने बताया कि वो रविवार सुबह से वहां बैठी हैं और रातभर से वहीं हैं, लेकिन कोई हमारी बात नहीं सुन रहा. महिलाओं के मुताबिक बाहरी दिल्ली के इस इलाके में कोई सुविधा नहीं, लेकिन फिर भी हमको कोई शिकायत नहीं थी, क्योंकि यहां जीने के लिए साफ हवा तो थी, लेकिन सरकार से वो भी देखा नहीं गया. गाजीपुर में कूड़ा डालना मना है, रानीखेड़ा में डालने नहीं दे रहे, ऐसे में कूड़ा उठाये ड्राइवर गाजीपुर प्लांट पर कूड़ा डालने आए, जहां कूड़े से बिजली बनती है लेकिन बताते हैं कि सुबह से खड़े हैं अब तक यहां कूड़ा नहीं डाल पाए. श्याम सिंह नाम के ड्राइवर ने बताया कि आमतौर पर हम दिन में 4 चक्कर लगाते हैं, लेकिन आज पहला चक्कर ही शाम तक नहीं हुआ.
VIDEO : कहां डलेगा गाजीपुर का कूड़ा?
गाजीपुर के प्लांट पर ट्रक की लंबी लाइन दिखी. वहां मौजूद दूसरे ड्राइवर ने बताया कि हम मोहल्लों, कॉलोनियों और सोसाइटियों के पास बने ढलाव पर जो कूड़ा होता है, उसको उठाकर यहां लाते हैं. अब जब हम कहीं कूड़ा डाल ही नहीं पाएंगे तो ढलाव में कूड़े का अंबार लगना तय है.
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कूड़ा विरोधी आंदोलन में महिलाएं भी बड़ी संख्या में शामिल होने प्रदर्शन स्थल पर पहुंच रही है. कोई ट्रैक्टर से तो कोई कार से तो कोई पैदल. महिलाओं ने बताया कि वो रविवार सुबह से वहां बैठी हैं और रातभर से वहीं हैं, लेकिन कोई हमारी बात नहीं सुन रहा. महिलाओं के मुताबिक बाहरी दिल्ली के इस इलाके में कोई सुविधा नहीं, लेकिन फिर भी हमको कोई शिकायत नहीं थी, क्योंकि यहां जीने के लिए साफ हवा तो थी, लेकिन सरकार से वो भी देखा नहीं गया. गाजीपुर में कूड़ा डालना मना है, रानीखेड़ा में डालने नहीं दे रहे, ऐसे में कूड़ा उठाये ड्राइवर गाजीपुर प्लांट पर कूड़ा डालने आए, जहां कूड़े से बिजली बनती है लेकिन बताते हैं कि सुबह से खड़े हैं अब तक यहां कूड़ा नहीं डाल पाए. श्याम सिंह नाम के ड्राइवर ने बताया कि आमतौर पर हम दिन में 4 चक्कर लगाते हैं, लेकिन आज पहला चक्कर ही शाम तक नहीं हुआ.
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गाजीपुर के प्लांट पर ट्रक की लंबी लाइन दिखी. वहां मौजूद दूसरे ड्राइवर ने बताया कि हम मोहल्लों, कॉलोनियों और सोसाइटियों के पास बने ढलाव पर जो कूड़ा होता है, उसको उठाकर यहां लाते हैं. अब जब हम कहीं कूड़ा डाल ही नहीं पाएंगे तो ढलाव में कूड़े का अंबार लगना तय है.
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