दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
पूर्वी दिल्ली नगर निगम में सफाई कर्मचारियों की बीते 25 दिन से हड़ताल चल रही है जिसके चलते पूरे इलाके में जगह-जगह कूड़े के ढेर दिखाई दे रहे हैं. पूर्वी दिल्ली नगर निगम को बीजेपी चला रही है और उसका कहना है की दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने पैसे नहीं दिए हैं जिसके चलते नगर निगम की हालत खस्ता है. जबकि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल लगातार दावा कर रहे हैं कि नगर निगमों को पहले से 3 गुना पैसा दिया जा रहा है लेकिन उसके बावजूद भी अगर सफाई कर्मचारियों के पैसे निगम नहीं दे रहा, इसका मतलब सारा पैसा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा है.
अब इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी के बीच टि्वटर युद्ध शुरू हो गया है. सबसे पहले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 4 अक्टूबर यानी गुरुवार को ट्वीट कर कहा, 'दिल्ली की सफ़ाई व्यवस्था को लेकर मैं बेहद चिंतित हूं. भाजपा की केंद्र और MCD की सरकारों ने दिल्ली की सफ़ाई व्यवस्था को पूरी तरह अस्त व्यस्त कर दिया है. मैं अपने सफ़ाई कर्मचारियों को लेकर भी बेहद चिंतित हूं. हर दो महीनों में इनको अपनी तनख़्वाह लेने के लिए हड़ताल करनी पड़ती है.'
इस ट्वीट के जवाब में दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने ट्वीट कर कहा, 'नर्क में भी जगह नहीं मिलेगी अरविंद केजरीवाल जी जितनी घिनौनी साज़िश आप कर रहे हैं..! सर आपको चिंतित नहीं होना है, 10 हज़ार करोड़ का MCD का केंद्र से भेजा फ़ंड ट्रान्सफर करना है. 2014 में दिल्ली को केंद्र से 36776 करोड़ मिलता था अब 48000 करोड़ मिलता है.'
तिवारी के ट्वीट के जवाब में केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा, 'हमारे हिसाब से केंद्र ने दिल्ली को केवल 325 करोड़ रुपए दिए हैं. पर बहस करने की ज़रूरत नहीं है. आप केंद्र को कह दीजिए कि MCD के ये 10 हज़ार करोड़ सीधे MCD को भेज दें. हमारे ज़रिए भेजने की ज़रूरत नहीं है. तो अब आगे से तो MCD को दिल्ली सरकार से कोई पैसा देने की ज़रूरत नहीं होगी ना?'
इस ट्वीट के जवाब में मनोज तिवारी ने सीधा जवाब न देते हुए केजरीवाल को पेट्रोल- डीजल पर वैट घटाने के मुद्दे पर घेरने की कोशिश की और ट्वीट कर कहा, 'अरविंद केजरीवाल जी क्योंकि अब आपने मेरे ट्वीट पढ़ने शुरू कर दिए हैं तो मैं आपसे निवेदन करूंगा कि आप पेट्रोल-डीजल पर कम से कम 5 रुपये प्रति लीटर घटाएं जिससे कि दिल्ली वालों को राहत मिले. कम कर दो आप को तो 28 रुपये/लीटर मिलता है. फन्ड पे डिबेट का समय भी बता दो.'
इससे पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बाकायदा एक लिखित बयान जारी करके दावा किया कि केंद्र सरकार से उनको सालों से केवल 325 करोड़ रुपए मदद के तौर पर दिए जा रहे हैं. जबकि दिल्ली टैक्स के रूप में पहले से कहीं ज़्यादा पैसा दे रही है.
बयान के मुताबिक साल 2008-2009 में दिल्ली को भारत सरकार से केंद्रीय सहायता के रूप में 325 करोड़ रुपए दिए गए जबकि साल 2018-2019 के लिए भी 325 ही आवंटित किए गए हैं. साल 2008-2009 में दिल्ली ने 54705 करोड़ रुपए का टैक्स सेंट्रल पूल में दिया जो 2016-2017 में बढ़कर 108882.50 करोड तक पहुंच गया. साल 2008-2009 में दिल्ली का बजट करीब 20200 करोड़ रुपए था जो 2018-2019 में 53000 करोड़ रुपए तक पहुंच गया.
यही नहीं 14वें केंद्रीय वित्त आयोग के मुताबिक स्थानीय निकाय को 488 प्रति व्यक्ति के हिसाब से मदद दिए जाने का प्रावधान है. अगर यही फार्मूला दिल्ली पर लागू किया जाए तो लगभग एक करोड़ 67 लाख की आबादी के हिसाब से दिल्ली की 4087 करोड़ रुपए की रकम केंद्र सरकार पर बकाया है और यह मुद्दा दिल्ली सरकार ने केंद्र सरकार के साथ बहुत बार उठाया है कि दिल्ली के स्थानीय निकाय को राज्यों के स्थानीय निकाय के बराबर माना जाए.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को आरडब्लूए संवाद कार्यक्रम के दौरान कहा कि 2013-14 में दिल्ली में कांग्रेस की शीला दीक्षित सरकार थी. उस समय में पूर्वी दिल्ली नगर निगम को 287 करोड़ रुपये दिए गए. जबकि 2014-15 में जब दिल्ली में राष्ट्रपति शासन था यानी बीजेपी का शासन था तब पूर्वी दिल्ली नगर निगम को 396 करोड़ दिए. 2016-17 में हमारी सरकार थी तो हमने दिए 948 करोड रुपये. उसके बावजूद यह लोग कहते हैं कि पैसे नहीं हैं. आखिर यह सारा पैसा कहां गया? उनके समय में एक बार भी हड़ताल नहीं हुई. अब हमने शीला दीक्षित के मुकाबले 3 गुना पैसा दिया है उसके बावजूद भी तनख्वाह नहीं दी जा रही है. इस साल भी हमने पहले 6 महीने में 770 करोड़ रुपये दे दिए हैं. लेकिन हमारी जानकारी है कि सारा पैसा ठेकेदारों को दिया जा रहा है इसलिए कर्मचारी भी दुखी हैं, सफाई कर्मचारी भी दुखी हैं और जनता भी दुखी है.'
VIDEO: दिल्ली में सफाईकर्मचारियों की हड़ताल
गौरतलब है कि दिल्ली सरकार ने जितने विस्तृत रूप से और जितने खुलकर आंकड़े सामने रखे हैं नगर निगम ने उतने खुलकर और विस्तृत रूप से आंकड़े सामने नहीं रखे.
अब इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी के बीच टि्वटर युद्ध शुरू हो गया है. सबसे पहले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 4 अक्टूबर यानी गुरुवार को ट्वीट कर कहा, 'दिल्ली की सफ़ाई व्यवस्था को लेकर मैं बेहद चिंतित हूं. भाजपा की केंद्र और MCD की सरकारों ने दिल्ली की सफ़ाई व्यवस्था को पूरी तरह अस्त व्यस्त कर दिया है. मैं अपने सफ़ाई कर्मचारियों को लेकर भी बेहद चिंतित हूं. हर दो महीनों में इनको अपनी तनख़्वाह लेने के लिए हड़ताल करनी पड़ती है.'
इस ट्वीट के जवाब में दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने ट्वीट कर कहा, 'नर्क में भी जगह नहीं मिलेगी अरविंद केजरीवाल जी जितनी घिनौनी साज़िश आप कर रहे हैं..! सर आपको चिंतित नहीं होना है, 10 हज़ार करोड़ का MCD का केंद्र से भेजा फ़ंड ट्रान्सफर करना है. 2014 में दिल्ली को केंद्र से 36776 करोड़ मिलता था अब 48000 करोड़ मिलता है.'
तिवारी के ट्वीट के जवाब में केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा, 'हमारे हिसाब से केंद्र ने दिल्ली को केवल 325 करोड़ रुपए दिए हैं. पर बहस करने की ज़रूरत नहीं है. आप केंद्र को कह दीजिए कि MCD के ये 10 हज़ार करोड़ सीधे MCD को भेज दें. हमारे ज़रिए भेजने की ज़रूरत नहीं है. तो अब आगे से तो MCD को दिल्ली सरकार से कोई पैसा देने की ज़रूरत नहीं होगी ना?'
इस ट्वीट के जवाब में मनोज तिवारी ने सीधा जवाब न देते हुए केजरीवाल को पेट्रोल- डीजल पर वैट घटाने के मुद्दे पर घेरने की कोशिश की और ट्वीट कर कहा, 'अरविंद केजरीवाल जी क्योंकि अब आपने मेरे ट्वीट पढ़ने शुरू कर दिए हैं तो मैं आपसे निवेदन करूंगा कि आप पेट्रोल-डीजल पर कम से कम 5 रुपये प्रति लीटर घटाएं जिससे कि दिल्ली वालों को राहत मिले. कम कर दो आप को तो 28 रुपये/लीटर मिलता है. फन्ड पे डिबेट का समय भी बता दो.'
इससे पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बाकायदा एक लिखित बयान जारी करके दावा किया कि केंद्र सरकार से उनको सालों से केवल 325 करोड़ रुपए मदद के तौर पर दिए जा रहे हैं. जबकि दिल्ली टैक्स के रूप में पहले से कहीं ज़्यादा पैसा दे रही है.
बयान के मुताबिक साल 2008-2009 में दिल्ली को भारत सरकार से केंद्रीय सहायता के रूप में 325 करोड़ रुपए दिए गए जबकि साल 2018-2019 के लिए भी 325 ही आवंटित किए गए हैं. साल 2008-2009 में दिल्ली ने 54705 करोड़ रुपए का टैक्स सेंट्रल पूल में दिया जो 2016-2017 में बढ़कर 108882.50 करोड तक पहुंच गया. साल 2008-2009 में दिल्ली का बजट करीब 20200 करोड़ रुपए था जो 2018-2019 में 53000 करोड़ रुपए तक पहुंच गया.
यही नहीं 14वें केंद्रीय वित्त आयोग के मुताबिक स्थानीय निकाय को 488 प्रति व्यक्ति के हिसाब से मदद दिए जाने का प्रावधान है. अगर यही फार्मूला दिल्ली पर लागू किया जाए तो लगभग एक करोड़ 67 लाख की आबादी के हिसाब से दिल्ली की 4087 करोड़ रुपए की रकम केंद्र सरकार पर बकाया है और यह मुद्दा दिल्ली सरकार ने केंद्र सरकार के साथ बहुत बार उठाया है कि दिल्ली के स्थानीय निकाय को राज्यों के स्थानीय निकाय के बराबर माना जाए.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को आरडब्लूए संवाद कार्यक्रम के दौरान कहा कि 2013-14 में दिल्ली में कांग्रेस की शीला दीक्षित सरकार थी. उस समय में पूर्वी दिल्ली नगर निगम को 287 करोड़ रुपये दिए गए. जबकि 2014-15 में जब दिल्ली में राष्ट्रपति शासन था यानी बीजेपी का शासन था तब पूर्वी दिल्ली नगर निगम को 396 करोड़ दिए. 2016-17 में हमारी सरकार थी तो हमने दिए 948 करोड रुपये. उसके बावजूद यह लोग कहते हैं कि पैसे नहीं हैं. आखिर यह सारा पैसा कहां गया? उनके समय में एक बार भी हड़ताल नहीं हुई. अब हमने शीला दीक्षित के मुकाबले 3 गुना पैसा दिया है उसके बावजूद भी तनख्वाह नहीं दी जा रही है. इस साल भी हमने पहले 6 महीने में 770 करोड़ रुपये दे दिए हैं. लेकिन हमारी जानकारी है कि सारा पैसा ठेकेदारों को दिया जा रहा है इसलिए कर्मचारी भी दुखी हैं, सफाई कर्मचारी भी दुखी हैं और जनता भी दुखी है.'
VIDEO: दिल्ली में सफाईकर्मचारियों की हड़ताल
गौरतलब है कि दिल्ली सरकार ने जितने विस्तृत रूप से और जितने खुलकर आंकड़े सामने रखे हैं नगर निगम ने उतने खुलकर और विस्तृत रूप से आंकड़े सामने नहीं रखे.
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