प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर एस.ए.आर गिलानी को सोमवार को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। उन पर प्रेस क्लब में आयोजित एक कार्यक्रम के सिलसिले में देशद्रोह का मामला दर्ज था।
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘गिलानी को हिरासत में ले लिया गया है और उनसे संसद मार्ग थाने में पूछताछ की जा रही है।’’ जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार की विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित एक कार्यक्रम के लिए देशद्रोह मामले में गिरफ्तार किए जाने को लेकर गतिरोध के बीच उनको हिरासत में लिया गया है।
प्रेस क्लब में दस फरवरी को आयोजित एक कार्यक्रम में समूह ने कथित तौर पर अफजल गुरु के समर्थन में नारेबाजी की थी जिसके बाद पुलिस ने गिलानी एवं अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ भादंसं(IPC) की धारा 124 ए (देशद्रोह), 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र) और 149 (अवैध रूप से एकत्रित होना) के तहत मामला दर्ज किया था।
पुलिस ने दावा किया था कि उसने मीडिया के क्लिप का स्वत: संज्ञान लेते हुए प्राथमिकी दर्ज की थी। पुलिस ने यह भी दावा किया कि गिलानी पर इसलिए मामला दर्ज किया गया कि उन्हें समारोह का ‘‘मुख्य आयोजक’’ माना गया।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा था, ‘‘प्रेस क्लब में हॉल बुक करने का आग्रह गिलानी के ई-मेल के माध्यम से हुआ और समारोह की प्रकृति आम बैठक की थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।’’ प्राथमिकी दर्ज होने के बाद प्रेस क्लब के सदस्य और डीयू के प्रोफेसर अली जावेद से पुलिस ने लगातार दो दिनों तक पूछताछ की जिन्होंने कार्यक्रम के लिए हॉल बुक किया था।
गिलानी को 2001 में संसद हमला मामले में गिरफ्तार किया गया था लेकिन दिल्ली उच्च न्यायालय ने ‘‘साक्ष्य की कमी’’ के चलते अक्टूबर 2003 में उन्हें बरी कर दिया और उच्चतम न्यायालय ने अगस्त 2005 में इस फैसले को बरकरार रखा था।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘गिलानी को हिरासत में ले लिया गया है और उनसे संसद मार्ग थाने में पूछताछ की जा रही है।’’ जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार की विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित एक कार्यक्रम के लिए देशद्रोह मामले में गिरफ्तार किए जाने को लेकर गतिरोध के बीच उनको हिरासत में लिया गया है।
प्रेस क्लब में दस फरवरी को आयोजित एक कार्यक्रम में समूह ने कथित तौर पर अफजल गुरु के समर्थन में नारेबाजी की थी जिसके बाद पुलिस ने गिलानी एवं अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ भादंसं(IPC) की धारा 124 ए (देशद्रोह), 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र) और 149 (अवैध रूप से एकत्रित होना) के तहत मामला दर्ज किया था।
पुलिस ने दावा किया था कि उसने मीडिया के क्लिप का स्वत: संज्ञान लेते हुए प्राथमिकी दर्ज की थी। पुलिस ने यह भी दावा किया कि गिलानी पर इसलिए मामला दर्ज किया गया कि उन्हें समारोह का ‘‘मुख्य आयोजक’’ माना गया।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा था, ‘‘प्रेस क्लब में हॉल बुक करने का आग्रह गिलानी के ई-मेल के माध्यम से हुआ और समारोह की प्रकृति आम बैठक की थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।’’ प्राथमिकी दर्ज होने के बाद प्रेस क्लब के सदस्य और डीयू के प्रोफेसर अली जावेद से पुलिस ने लगातार दो दिनों तक पूछताछ की जिन्होंने कार्यक्रम के लिए हॉल बुक किया था।
गिलानी को 2001 में संसद हमला मामले में गिरफ्तार किया गया था लेकिन दिल्ली उच्च न्यायालय ने ‘‘साक्ष्य की कमी’’ के चलते अक्टूबर 2003 में उन्हें बरी कर दिया और उच्चतम न्यायालय ने अगस्त 2005 में इस फैसले को बरकरार रखा था।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
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