नई दिल्ली:
संसदीय सचिव बनाये गए आम आदमी पार्टी के विधायकों का कहना है कि संसदीय सचिव का पद ऑफिस ऑफ़ प्रॉफिट के दायरे में नहीं आता इसलिए उनकी नियुक्ति में कुछ भी गलत नहीं है।
संसदीय सचिव बनाये गए सभी 21 आप विधायकों की सीएम केजरीवाल के साथ हुई बैठक के बाद संसदीय सचिव बनाये गए आप विधायक संजीव झा ने बताया कि "जब हम कोई फायदा सरकार से ले ही नहीं रहे हैं तो फिर ऑफिस ऑफ़ प्रॉफिट का सवाल ही कहां उठता?"
केजरीवाल और पार्टी के दूसरे आला नेताओं की इन 21 संसदीय सचिवों के साथ हुई बैठक में सुप्रीम कोर्ट के अलग-अलग फैसलों का भी ज़िक्र किया गया जो शीर्ष नेतृत्व के अनुसार ये साबित करते हैं कि दिल्ली सरकार की तरफ से हुई इन नियुक्तियों में कुछ भी गलत नहीं है।
आपको बता दें कि बीते साल मार्च में दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने 21 संसदीय सचिवों की नियुक्ति की थी जिसमें किसी तरह का वेतन भत्ता देने की मनाही थी, जिसकी वजह से बताया गया कि इन नियुक्तियों से सरकारी ख़ज़ाने पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
लेकिन प्रशांत पटेल नाम के एक शख्स ने राष्ट्रपति के पास याचिका लगाकर इन नियुक्तियों को ऑफिस ऑफ़ प्रॉफिट के दायरे में बताकर सभी 21 विधायकों की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की मांग की। जिसको राष्ट्रपति ने चुनाव आयोग को भेज दिया। और चुनाव आयोग ने इन 21 संसदीय सचिवों से 11 अप्रैल तक इसपर जवाब मांगा है।
संसदीय सचिव बनाये गए सभी 21 आप विधायकों की सीएम केजरीवाल के साथ हुई बैठक के बाद संसदीय सचिव बनाये गए आप विधायक संजीव झा ने बताया कि "जब हम कोई फायदा सरकार से ले ही नहीं रहे हैं तो फिर ऑफिस ऑफ़ प्रॉफिट का सवाल ही कहां उठता?"
केजरीवाल और पार्टी के दूसरे आला नेताओं की इन 21 संसदीय सचिवों के साथ हुई बैठक में सुप्रीम कोर्ट के अलग-अलग फैसलों का भी ज़िक्र किया गया जो शीर्ष नेतृत्व के अनुसार ये साबित करते हैं कि दिल्ली सरकार की तरफ से हुई इन नियुक्तियों में कुछ भी गलत नहीं है।
आपको बता दें कि बीते साल मार्च में दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने 21 संसदीय सचिवों की नियुक्ति की थी जिसमें किसी तरह का वेतन भत्ता देने की मनाही थी, जिसकी वजह से बताया गया कि इन नियुक्तियों से सरकारी ख़ज़ाने पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
लेकिन प्रशांत पटेल नाम के एक शख्स ने राष्ट्रपति के पास याचिका लगाकर इन नियुक्तियों को ऑफिस ऑफ़ प्रॉफिट के दायरे में बताकर सभी 21 विधायकों की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की मांग की। जिसको राष्ट्रपति ने चुनाव आयोग को भेज दिया। और चुनाव आयोग ने इन 21 संसदीय सचिवों से 11 अप्रैल तक इसपर जवाब मांगा है।
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