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This Article is From Jan 21, 2016

अदालत ने विवाहेतर संबंधों पर की व्यक्ति की खिंचाई, बलात्कार के आरोप से बरी किया

अदालत ने विवाहेतर संबंधों पर की व्यक्ति की खिंचाई, बलात्कार के आरोप से बरी किया
प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर
नई दिल्‍ली: दिल्ली की एक अदालत ने विवाहेतर संबंध रखने वाले एक व्यक्ति की खिंचाई करते हुए कहा कि उसे बलात्कार के मामले में जेल में बिताई अवधि को अपने ‘बुरे और शातिराना कृत्य’ के लिए सबक के रूप में लेना चाहिए।

अदालत ने हालांकि उसे यह कहते हुए बलात्कार के आरोप से बरी कर दिया कि आरोपी व्यक्ति और आरोप लगाने वाली महिला के बीच आपसी सहमति से शारीरिक संबंध थे। बलात्कार का आरोप 24 वर्षीय एक महिला ने लगाया था। उसने कहा था कि व्यक्ति ने अपनी शादी की बात छिपाकर उससे धोखे से शादी कर ली।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वीरेंद्र भट्ट ने कहा, ‘यद्यपि आरोपी अपराध का दोषी नहीं है, फिर भी उसका आचरण साफ नहीं रहा है। उसने विवाहेतर संबंध रखकर अपनी पत्नी और अपने बच्चों को धोखा दिया है। उसने अपनी पत्नी का विश्वास तोड़ा है।’ न्यायाधीश ने आगे कहा, ‘आरोपी को इस मामले में अपने द्वारा गुजारी गई जेल अवधि और कठोर मुकदमे को अपने बुरे और शातिराना कृत्य के प्रायश्चित के रूप में लेना चाहिए।’

अदालत ने हालांकि व्यक्ति की पहली पत्नी से उसे वापस अपनाने के लिये कहा ताकि वे खुशी-खुशी पति-पत्नी के रूप में रह सकें। कोर्ट ने कहा कि आरोप लगाने वाली महिला की बातों से यह पूरी तरह स्पष्ट है कि वह आरोपी से मिलने स्वेच्छा से गई थी और उसके साथ स्वेच्छा से मंदिर जाकर ‘अपनी खुद की इच्छा से उससे शादी कर ली।’

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