जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ज़ाहिद अशरफ़ को उत्कृष्ट अनुसंधान के लिए राष्ट्रीय बायोसाइंस अवार्ड-2018 से सम्मानित किया गया है. यह सम्मान भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी की ओर से दिया जाता है. भारत मे रहते हुए अपने करियर में पिछले 5 साल के दौरान बायोसाइंस रिसर्च के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले वैज्ञानिकों को यह सम्मान दिया जाता है. 45 साल से कम की आयु के वह वैज्ञानिक जिन्होंने बायोसाइंस के बेसिक और एप्लाइड क्षेत्र में अलग तरह का अनुसंधान कार्य किया हो उनको ही यह सम्मान दिया जाता है.
प्रो. ज़ाहिद को पुरस्कार के रूप में 3 लाख रुपये, प्रशस्ति पत्र पट्टिका और अनुसंधान में सहायता के लिए 15 लाख रुपये की ग्रांट तीन साल तक दी जायेगी. भारत मे वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र में यह सबसे बड़े पुरस्कारों में से एक है. यह सम्मान, कॉउन्सिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीआईएसआर) द्वारा दिये जाने वाले डॉ.शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार के बराबर माना जाता है. डॉ.अशरफ जामिया के बायोटेक्नोलॉजी विभाग में प्रोफेसर हैं. इससे पहले वह डीआरडीओ(DRDO) के डिफेंस इंस्टिट्यूट ऑफ फिजियोलॉजी एंड अलाइड साइंसेज(DIPAS)में जीनोमिक्स विभाग के अध्यक्ष थे.
सियाचिन जैसे इलाके में ठंड की वजह से सैनिकों में थ्रोम्बोसिस पर उन्होंने बहुत महत्वपूर्ण अनुसंधान कार्य किया था. सियाचिन में सैनिको में ठंड से खून जमने की मिस्ट्री पर प्रोफेसर ज़ाहिद ने कई महत्वपूर्ण कार्य किया जिसके लिए उन्हें पहले भी सम्मानित किया जा चुका है. इस विषय पर अंतरराष्ट्रीय अनुसंधान पत्रिका 'ब्लड'-2014 और प्रोसीडिंग्स ऑफ नेशनल अकादमी ऑफ साइंसेज, अमरीका में उनका रिसर्च पेपर भी छपा था. प्रो. ज़ाहिद का चयन भारत की नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज के लिए भी हो चुका है. प्रो. ज़ाहिद को इस साल उन्हें इंडियन कॉउन्सिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के प्रतिष्ठित बसंती देवी अमीर चंद पुरस्कार भी मिला है.
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