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This Article is From Dec 24, 2015

मिलिए दिल्ली के पड़ोस वाले शहर से जहां पहले से चल रहा है ऑड-ईवन फॉर्मूला...

मिलिए दिल्ली के पड़ोस वाले शहर से जहां पहले से चल रहा है ऑड-ईवन फॉर्मूला...
नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में अगले साल 1 से 15 जनवरी तक ऑड-ईवन फॉर्मूला लागू हो रहा है यानि सड़कों पर सम-विषम नंबर के हिसाब से कारें दौड़ा करेंगी। वैसे तो भारत में दिल्ली पहला शहर है जहां यह नियम बड़े स्तर पर लागू हो रहा है।  इसकी व्यावहारिकता को लेकर काफी प्रश्न भी उठाए जा रहे हैं लेकिन राजधानी से करीब 150 किलोमीटर दूर हरियाणा के जींद में इस फॉर्मूले को ऑटो रिक्शा पर 1 दिसंबर से ही लागू कर दिया गया है। शहर के जिला मजिस्ट्रेट विनय सिंह ने इस पहल को अंजाम दिया जब जींद में ऑटो रिक्शा की संख्या लगातार बढ़ने की वजह से ट्रैफिक बुरी तरह ठप्प पड़ने लगा।

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एनडीटीवी ख़बर से खास बातचीत में विनय सिंह ने कहा था कि ऑटोरिक्शा की वजह से जींद शहर में ट्रैफिक का हाल काफी बिगड़ा हुआ था। गाड़ी तक पार्क करने की जगह नहीं मिल रही थी। इसलिए ऑटो ड्राइवरों के साथ एक बैठक की गई और उन्हें समझाया गया कि एक दिन छोड़कर गाड़ी चलाना उनके लिए क्यों और कैसे फायदेमंद है। डीएम की मानें तो इस नए नियम से ऑटो ड्राइवरों की कमाई में इज़ाफा हुआ है क्योंकि सड़कों पर ऑटो की संख्या कम हो गई है। इस नियम को सिर्फ 15 दिन के लिए ही लागू किया गया था लेकिन इसकी सफलता के चलते इसे फिलहाल जारी रखा जा रहा है।

हालांकि विनय सिंह ने दिल्ली में इस नियम की व्यावहारिकता पर टिप्पणी करने से मना कर दिया लेकिन उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि पर्यावरण और ट्रैफिक में सुधार लाने के लिए अपनी सुविधा का थोड़ा बहुत त्याग करना ही पड़ेगा, तभी बात बन पाएगी। जहां तक की जींद की बात है तो डीएम ने साफ कहा कि 'अगर आप आज मेरे शहर में आएंगे तो आपको सड़क पर सारे ऑटो ईवन नंबर वाले ही मिलेंगे।'
 
 
एक नहीं तो दो गाड़ी सही...
भारत में भले ही इस नियम को पचाने के लिए लोगों को वक्त लगे और एक जनवरी से 15 दिन बाद पता नहीं राजधानी में यह कायम रह पाता है या नहीं लेकिन विदेशी शहरों के लिए यह प्रयोग नया नहीं है। बताया जाता है कि इस तरह का प्रयोग करने वाला पहला शहर मेक्सिको था जिसने 80 के दशक में ही इसे लागू कर दिया था, बस सम-विषम की जगह उन्होंने एक एक नंबर का दिन निर्धारित कर दिया था। शुरूआत में तो प्रदूषण पर काबू पाया गया लेकिन कुछ समय बाद लोगों ने दो दो गाड़ियां खरीदनी शुरू कर दी।

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वहीं बीजिंग में 2008 के ऑलम्पिक्स से पहले वहां की सरकार ने दिल्ली की तर्ज पर ही सम-विषम नियम लागू किया था जिसमें सार्वजनिक परविहन को छोड़ दिया गया था। हालांकि यह बहुत ही सीमित समय के लिए था यानि सिर्फ ऑलम्पिक्स तक के लिए लेकिन एक स्टडी से पता चला कि इसका काफी सकारात्मक असर पर्यावरण पर पड़ा है। जानकारी के मुताबिक सम-विषम से बीजिंग में 20 से 40 प्रतिशत तक प्रदूषण में कमी आई और इसके बाद इसे स्थायी रूप से ट्रैफिक नियमों का हिस्सा बना दिया गया।

वैसे ऑड-ईवन मोटे तौर  पर Road Space Rationing के तहत आता है और जैसा की नाम से ज़ाहिर है इस तरीके के ज़रिए सड़क की सीमित जगह की राशनिंग की जाती है। 2014 में पेरिस में भी बढ़ते प्रदूषण की वजह से यह रूल प्रचलन में आया था और सरकार की तरफ से लोगों को सार्वजनिक वाहनों की मुफ्त सेवा भी दी गई। ब्रिटेन के अखबार गार्डियन के मुताबिक इस नियम को तोड़ने वालों के नाम  4000 जुर्माने की रसीदें काटी गई थीं।

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