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This Article is From Oct 09, 2017

पटाखे बेचने पर प्रतिबंध मौलिक अधिकार का हनन, कारोबारियों ने सरकार से की रिव्यू पिटीशन की मांग

दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध को दिल्ली के कारोबारियों ने मौलिक अधिकारों का हनन बताया है.

पटाखे बेचने पर प्रतिबंध मौलिक अधिकार का हनन, कारोबारियों ने सरकार से की रिव्यू पिटीशन की मांग
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर रोक लगा दी थी
नई दिल्ली: पर्यावरण सुरक्षा पर उच्चतम न्यायालय की चिंता से सहमति रखते हुए कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने कहा की दिल्ली-एनसीआर में इस दिवाली पटाखे बेचने पर प्रतिबंध एक तरह से व्यापारियों के व्यापार करने के संवैधानिक अधिकार का हनन है. पटाखों का व्यापार देश में सदियों से चला आ रहा है और पूर्ण रूप से कानून सम्मत होने के कारण भारतीय संविधान के अनुसार इसको इजाज़त है.  

पढ़ें: इतने खतरनाक तरीके से बनाए जाते हैं पटाखे, रोशनी डालने के लिए करते हैं ऐसा          

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा की उच्चतम न्यायालय ने पटाखे बेचने पर प्रतिबंध लगाया है, लेकिन पटाखे जलाने पर नहीं और इसका लाभ उठाते हुए लोग दिल्ली के अलावा अन्य राज्यों से पटाखे ख़रीदकर यहां आतिशबाजी कर सकते हैं और यदि ऐसा होता है तो यह दिल्ली के व्यापारियों के साथ अन्याय होगा क्योंकि उनका व्यापार अन्य राज्यों में चला जाएगा जो न्याय की दृष्टि से उचित नहीं है. इसके अतिरिक्त बड़ी मात्रा में पर्यावरण को हानि नहीं पहुंचाने वाले पटाखे भी आते हैं लेकिन प्रतिबंध के कारण वे भी बेचे नहीं जा सकेंगे. बहुत से व्यापारियों ने इस दिवाली के लिए पटाखों का स्टॉक भी मांगा लिया होगा लेकिन अचानक प्रतिबंध लगने से उन व्यापारियों को बहुत ज्यादा नुकसान उठाना पड़ेगा.

VIDEO:चीन के बने पटाखों को रोकने की मुहिम
देश में आतिशबाजी जलाने का सिलसिला सदियों से चला आ रहा है. मान्यता के अनुसार भगवान श्रीराम के वनवास के बाद अयोध्या लौटने पर दीप जलाए गए और आतिशबाज़ी की गयी वहीं दिवाली के मौक़े पर लक्ष्मी के स्वागत में पटाखे फोड़े जाते हैं. वर्तमान में कोई भी बड़ा उत्सव हो या खेलों का आरम्भ या इसी प्रकार का कोई आयोजन, पटाखे फोड़कर ख़ुशी का प्रदर्शन किया जाता है . पर्यावरण को नुक़सान केवल पटाखों से नहीं बल्कि अन्य अनेक कारणों से भी होता है इस दृष्टि से इस मुद्दे पर व्यापक अध्ययन कर एक नीति बनाई जाना समय की मांग है. इस मुद्दे को देखते हुए सरकार को उच्चतम न्यायालय में रिव्यू पिटिशन दाख़िल कर कम से कम इस दिवाली के लिए प्रतिबंध वापिस लेने का आग्रह करना चाहिए.
 

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