किसानों के दिल्ली कूच करने पर लगा जाम.
नई दिल्ली:
दिल्ली-एनसीआर निवासियों के लिए राहत की खबर है. किसानों ने अपना आंदोलन (Farmer Agitation Delhi) खत्म कर दिया है. सारे किसान दिल्ली यूपी बॉर्डर से रात में ही पहले किसान घाट आए और उसके बाद अब किसान घाट से आंदोलन खत्म करके घर लौट रहे हैं. NH 24 को दोनों तरफ वाहनों के लिए खोल दिया गया है. यातायात सामान्य है. हालांकि किसानों की सड़कों पर आवाजाही को ध्यान में रखते हुए गाजियाबाद के स्कूलों को बंद रखने का प्रबंधन ने फैसला किया है. किसानों के गुजरने वाले स्थान पर एहतियातन पुलिस कड़ी नजर रखे हुए है.
आखिर क्या हैं किसानों की मांगें और क्या कहा सरकार ने? जानिए...
उधर 15 सूत्रीय मांगों को लेकर दिल्ली धमके किसानों को केंद्र सरकार ने बुधवार को तड़के राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रवेश करने की इजाजत दे दी. इससे पुलिस कर्मियों और किसानों के बीच चल रहा गतिरोध समाप्त हो गया. आंदोलनकारियों के दिल्ली के किसान घाट पहुंचने के साथ ही किसानों का आंदोलन खत्म हो गया.दिल्ली में प्रवेश की इजाजत मिलने के बाद भारतीय किसान संघ (बीकेयू) के प्रमुख नरेश टिकैत की अगुआई में हजारों किसान 200 से अधिक ट्रैक्टरों पर सवार होकर किसान घाट पहुंचे. टिकैत ने इसे किसानों की जीत बताया. उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार अपने उद्देश्यों में विफल रही है.
मोदी सरकार ने जय जवान, जय किसान को 'मर जवान, मर किसान' में बदल डाला: लालू यादव
टिकैत ने कहा कि "सभी कठिनाइयों के बावजूद किसान जुटे रहे. हम अब 12 दिनों से मार्च कर रहे हैं. किसान थके हुए हैं. हम सरकार से अधिकारों की मांग जारी रखेंगे, लेकिन अब हम पदयात्रा खत्म कर रहे हैं." उन्होंने कहा कि किसान बुधवार को सुबह जल्दी लौट जाएंगे.उत्तर प्रदेश-दिल्ली सीमा पर सुरक्षा बलों की भारी तैनाती के बीच किसानों को प्रशासन ने दिल्ली में प्रवेश की अनुमति दे दी. इससे वे राष्ट्रीय राजधानी तक की अपनी तय यात्रा पूरी कर सके. भाजपा के विरोध में नारेबाजी करते हुए किसान बुधवार को रात में लगभग दो बजे किसान घाट पहुंचे.
मायावती ने किसानों के ऊपर लाठीचार्ज को लेकर BJP सरकार पर साधा निशाना, कही यह बात...
इससे पहले मंगलवार को हजारों किसानों की पदयात्रा को पुलिस ने दिल्ली-यूपी की सीमा पर रोक दिया था. इस दौरान पुलिस के बल प्रयोग से कुछ किसान घायल भी हो गए.किसानों ने अपनी 15 मांगें सरकार के सामने रखीं जिनमें कर्ज माफी और फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने की मांगें भी शामिल हैं. इन मांगों को अविलंब पूरा किए जाने का आश्वासन सरकार की ओर से दिया गया. आंदोलनकारी किसानों ने 10 दिन पहले हरिद्वार से पदयात्रा शुरू की थी. भारतीय किसान संघ के नेतृत्व में निकली यह पदयात्रा मंगलवार को दिल्ली-यूपी की सीमा पर पहुंची. इस दौरान सीमा पर बड़ी तादाद में सुरक्षा बल की तैनाती की गई थी.
वीडियो-कर्नाटक में कर्ज में डूबे किसान ने परिवार सहित की आत्महत्या
आखिर क्या हैं किसानों की मांगें और क्या कहा सरकार ने? जानिए...
उधर 15 सूत्रीय मांगों को लेकर दिल्ली धमके किसानों को केंद्र सरकार ने बुधवार को तड़के राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रवेश करने की इजाजत दे दी. इससे पुलिस कर्मियों और किसानों के बीच चल रहा गतिरोध समाप्त हो गया. आंदोलनकारियों के दिल्ली के किसान घाट पहुंचने के साथ ही किसानों का आंदोलन खत्म हो गया.दिल्ली में प्रवेश की इजाजत मिलने के बाद भारतीय किसान संघ (बीकेयू) के प्रमुख नरेश टिकैत की अगुआई में हजारों किसान 200 से अधिक ट्रैक्टरों पर सवार होकर किसान घाट पहुंचे. टिकैत ने इसे किसानों की जीत बताया. उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार अपने उद्देश्यों में विफल रही है.
मोदी सरकार ने जय जवान, जय किसान को 'मर जवान, मर किसान' में बदल डाला: लालू यादव
टिकैत ने कहा कि "सभी कठिनाइयों के बावजूद किसान जुटे रहे. हम अब 12 दिनों से मार्च कर रहे हैं. किसान थके हुए हैं. हम सरकार से अधिकारों की मांग जारी रखेंगे, लेकिन अब हम पदयात्रा खत्म कर रहे हैं." उन्होंने कहा कि किसान बुधवार को सुबह जल्दी लौट जाएंगे.उत्तर प्रदेश-दिल्ली सीमा पर सुरक्षा बलों की भारी तैनाती के बीच किसानों को प्रशासन ने दिल्ली में प्रवेश की अनुमति दे दी. इससे वे राष्ट्रीय राजधानी तक की अपनी तय यात्रा पूरी कर सके. भाजपा के विरोध में नारेबाजी करते हुए किसान बुधवार को रात में लगभग दो बजे किसान घाट पहुंचे.
मायावती ने किसानों के ऊपर लाठीचार्ज को लेकर BJP सरकार पर साधा निशाना, कही यह बात...
इससे पहले मंगलवार को हजारों किसानों की पदयात्रा को पुलिस ने दिल्ली-यूपी की सीमा पर रोक दिया था. इस दौरान पुलिस के बल प्रयोग से कुछ किसान घायल भी हो गए.किसानों ने अपनी 15 मांगें सरकार के सामने रखीं जिनमें कर्ज माफी और फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने की मांगें भी शामिल हैं. इन मांगों को अविलंब पूरा किए जाने का आश्वासन सरकार की ओर से दिया गया. आंदोलनकारी किसानों ने 10 दिन पहले हरिद्वार से पदयात्रा शुरू की थी. भारतीय किसान संघ के नेतृत्व में निकली यह पदयात्रा मंगलवार को दिल्ली-यूपी की सीमा पर पहुंची. इस दौरान सीमा पर बड़ी तादाद में सुरक्षा बल की तैनाती की गई थी.
वीडियो-कर्नाटक में कर्ज में डूबे किसान ने परिवार सहित की आत्महत्या
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं