भगवान दास और उनका बेटा कुलदीप (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के जाफरपुर कला इलाके के खेड़ा डाबर गांव के 50 साल के भगवान दास, उनकी 48 साल की पत्नी शारदा और 20 साल की बेटी सरिता ने अपने घर में जहरीला पदार्थ खाकर आत्महत्या कर ली. बताया जा रहा है कुछ दिन पूर्व भगवान दास के इकलौते बेटे कुलदीप की हार्ट अटैक से मौत हो गई थी. वह रूस में मेडिकल की पढ़ाई कर रहा था. इस घटना से पूरा परिवार सदमे में था .
दिल्ली पुलिस के मुताबिक उसे जानकारी मिली कि एक ही परिवार के तीन लोगों ने आत्महत्या कर ली है. तीनों को अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने भगवान दास और उनकी बेटी सरिता की मृत घोषित कर दिया. बाद में शारदा को भी मृत घोषित कर दिया गया.
पुलिस के मुताबिक मौत से पहले भगवान दास ने सात पेज का सुसाइड नोट लिखा है जिसमें उन्होंने बेटे को डॉक्टर बनाने के सपने से लेकर कुछ और बातों का जिक्र किया है. सुसाइड नोट में उन्होंने खुदकुशी के लिए उन लोगों को जिम्मेदार ठहराया जिन्होंने 2014 में उनके बेटे कुलदीप का मेडिकल में एडमिशन करवाने के नाम पर 35 लाख रुपये लिए थे और न तो एडमिशन करवाया और न ही पूरे रुपये वापस किए.
इस सुसाइड नोट के हर पेज पर भगवान दास के हस्ताक्षर हैं. उन्होंने नोएडा के आलोक सिन्हा, नदीम और रोहिणी व बुराड़ी के कुछ दफ्तरों का जिक्र किया है जिन्होंने साल 2014 में उनके बेटे कुलदीप का मेडिकल में एडमिशन करवाने के नाम पर 30 लाख रुपये नकद और 5 लाख का डीडी लिया था लेकिन 2015 तक इंतजार करने के बाद भी न तो एडमिशन हुआ और न ही पैसे वापस दिए गए.
सुसाइड नोट के मुताबिक 2015 में कुलदीप ने रूस में एडमिशन लिया और 94 प्रतिशत अंक लेकर पहले साल में फर्स्ट भी आया. इस बार छुट्टियों में जब वह घर आया था तब उसने अपने पैसे इन लोगों से वापस मांगे थे, लेकिन इन लोगों ने कुलदीप को कोई जवाब नहीं दिया. उधर घर वालों की आर्थिक तंगी को देखते हुए कुलदीप बहुत ज्यादा परेशान हो गया और हार्ट अटैक के कारण उसकी मौत हो गई. इसके बाद पूरा परिवार टूट गया था.
सुसाइड नोट में परिवार ने ऐसा कदम उठाने के लिए अपने रिश्तेदारों से माफी मांगी है और पैसा न देने वालों के खिलाफ कार्रवाई की अपील की है.
जाफरपुर के खेरा डाबर गांव के रहने वाले भगवान दास डीटीसी से रिटायर थे. उनका गांव में काफी बड़ा परिवार है. इस घटना से पूरा गांव सदमे में है. सुसाइड नोट में जिनके नाम लिखे हैं पुलिस ने उनके खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज कर लिया है.
दिल्ली पुलिस के मुताबिक उसे जानकारी मिली कि एक ही परिवार के तीन लोगों ने आत्महत्या कर ली है. तीनों को अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने भगवान दास और उनकी बेटी सरिता की मृत घोषित कर दिया. बाद में शारदा को भी मृत घोषित कर दिया गया.
पुलिस के मुताबिक मौत से पहले भगवान दास ने सात पेज का सुसाइड नोट लिखा है जिसमें उन्होंने बेटे को डॉक्टर बनाने के सपने से लेकर कुछ और बातों का जिक्र किया है. सुसाइड नोट में उन्होंने खुदकुशी के लिए उन लोगों को जिम्मेदार ठहराया जिन्होंने 2014 में उनके बेटे कुलदीप का मेडिकल में एडमिशन करवाने के नाम पर 35 लाख रुपये लिए थे और न तो एडमिशन करवाया और न ही पूरे रुपये वापस किए.
इस सुसाइड नोट के हर पेज पर भगवान दास के हस्ताक्षर हैं. उन्होंने नोएडा के आलोक सिन्हा, नदीम और रोहिणी व बुराड़ी के कुछ दफ्तरों का जिक्र किया है जिन्होंने साल 2014 में उनके बेटे कुलदीप का मेडिकल में एडमिशन करवाने के नाम पर 30 लाख रुपये नकद और 5 लाख का डीडी लिया था लेकिन 2015 तक इंतजार करने के बाद भी न तो एडमिशन हुआ और न ही पैसे वापस दिए गए.
सुसाइड नोट के मुताबिक 2015 में कुलदीप ने रूस में एडमिशन लिया और 94 प्रतिशत अंक लेकर पहले साल में फर्स्ट भी आया. इस बार छुट्टियों में जब वह घर आया था तब उसने अपने पैसे इन लोगों से वापस मांगे थे, लेकिन इन लोगों ने कुलदीप को कोई जवाब नहीं दिया. उधर घर वालों की आर्थिक तंगी को देखते हुए कुलदीप बहुत ज्यादा परेशान हो गया और हार्ट अटैक के कारण उसकी मौत हो गई. इसके बाद पूरा परिवार टूट गया था.
सुसाइड नोट में परिवार ने ऐसा कदम उठाने के लिए अपने रिश्तेदारों से माफी मांगी है और पैसा न देने वालों के खिलाफ कार्रवाई की अपील की है.
जाफरपुर के खेरा डाबर गांव के रहने वाले भगवान दास डीटीसी से रिटायर थे. उनका गांव में काफी बड़ा परिवार है. इस घटना से पूरा गांव सदमे में है. सुसाइड नोट में जिनके नाम लिखे हैं पुलिस ने उनके खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज कर लिया है.
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