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पराली जलाने की घटनाएं रुकने के बाद भी दिल्ली में क्यों बढ़ जाता है प्रदूषण? जान लें इसकी वजह

CAQM ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि साल 2025 में सभी हितधारकों के निरंतर, ठोस और लगातार प्रयासों ने दिल्ली में सामान्य वायु गुणवत्ता में सुधार करने में मदद की है. 2025 के दौरान 79 दिन दिल्ली-एनसीआर में AQI 100 या उससे नीचे रिकॉर्ड किया गया, यानी 'अच्छी' और 'संतोषजनक' श्रेणियों में AQI दर्ज़ किया गया.

पराली जलाने की घटनाएं रुकने के बाद भी दिल्ली में क्यों बढ़ जाता है प्रदूषण? जान लें इसकी वजह
  • CAQM की रिपोर्ट के अनुसार 2025 में दिल्ली-एनसीआर में पीएम 10 और पीएम 2.5 प्रदूषण का स्तर सबसे कम रहा
  • दिल्ली-NCR में 2025 में 79 दिन ऐसे थे जिनका एयर क्वालिटी इंडेक्स सौ या उससे कम था
  • वर्ष 2025 में गंभीर से गंभीर+ प्रदूषण वाले दिनों की संख्या आठ रही, जो 2018 के बाद सबसे कम है
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नई दिल्ली:

दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के लिए पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के खेतों में पराली जलाए जाने को एक वजह माना जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि पराली जलाने की घटनाएं रुकने के बाद दिल्ली में प्रदूषण का स्तर इस साल दिसम्बर में और बढ़ गया? पर्यावरण पर नजर रखने वाली संस्था सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) ने दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में प्रदूषण पर अपनी ताजा रिपोर्ट में ये अहम खुलासा किया है.

CSE के विशेषज्ञों ने अक्टूबर और नवंबर के दौरान प्रदूषण के स्तर की तुलना दिसंबर ( "post-farm fire" period) से की, जब पराली जलाने का प्रभाव दिल्ली-एनसीआर में नगण्य हो जाता है. अक्‍टूबर-नवंबर में खेतों में पराली ज्‍यादा जलाई जाती है. इस जांच से पता चला कि पराली जलाने की अवधि की तुलना में दिसम्बर महीने के दौरान पूरे एनसीआर में तीव्र, व्यापक स्मॉग का अनुभव हुआ है, जो पराली जलाने से होने वाले संकट से ज्‍यादा गंभीर है.

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CSE ने 31 दिसम्बर को जारी अपनी रिपोर्ट में कहा कि दिल्ली का शीतकालीन प्रदूषण (winter pollution) पराली जलाने की घटनाओं के रुकने के बाद और तीव्र हो जाता है.

CSE के आंकलन रिपोर्ट के मुताबिक, "पीएम 2.5 के स्तर में पराली के योगदान में तेजी से गिरावट के बावजूद दिसंबर में औसत PM2.5 स्तर वास्तव में बढ़ गया है. दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण का प्रभाव और बढ़ता स्तर इसके स्थानीय और क्षेत्रीय स्रोतों की तरफ संकेत देता है जैसे वाहन, उद्योग, अपशिष्ट जलाना (waste burning), घरेलू खाना पकाने और हीटिंग के लिए ठोस ईंधन.

हालांकि इस साल दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का औसत स्तर हाल के वर्षों की तुलना में कुछ कम रहा है.

दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषण पर नज़र रखने वाली संस्था वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (Commission for Air Quality Management) ने साल के आखिरी दिन जारी अपनी रिपोर्ट में कहा कि कोविड प्रभावित साल 2020 को छोड़कर इस साल 2025 के दौरान दो सबसे खतरनाक प्रदूषण पीएम 10 और पीएम 2.5 का औसत स्तर दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में सबसे कम रिकॉर्ड किया गया है.

CAQM ने अपनी रिपोर्ट में कहा, "साल 2025 में सभी हितधारकों के निरंतर, ठोस और लगातार प्रयासों ने दिल्ली में सामान्य वायु गुणवत्ता में सुधार करने में मदद की है. 2025 के दौरान 79 दिन दिल्ली-एनसीआर में AQI 100 या उससे नीचे रिकॉर्ड किया गया यानी 'अच्छी' और 'संतोषजनक' श्रेणियों में AQI दर्ज किया गया. ये सिर्फ COVID वर्ष 2020 के दौरान दर्ज AQI से कम है. वर्ष 2025 में "गंभीर से गंभीर+" AQI दिनों की संख्या सिर्फ 08 रही, जो 2018 के बाद रिकॉर्ड की गई दूसरी सबसे कम संख्या है".

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग 2021 से दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए जरूरी दिशा-निर्देश जारी करता रहा है.

साल 2018 के बाद फरवरी और जुलाई, 2025 के दौरान दिल्ली-एनसीआर इलाके में औसत AQI स्तर सबसे कम दर्ज किया गया.

साथ ही, CAQM के मुताबिक कोरोना साल '2020' को छोड़कर 2018 के बाद इस साल जनवरी, मई और जून के दौरान AQI की औसत स्तर दूसरी सबसे कम रहा. वर्ष 2020 को छोड़कर, वर्ष 2025 में 'अच्छे' से 'संतोषजनक' AQI (0-100) वाले दिनों की संख्या सबसे अधिक देखी गई.

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