
दिल्ली अवैध निर्माणों की वजह से खतरनाक शहरों की सूची में दर्ज हो गया है
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अनाधिकृत निर्माण के कारण दिल्ली रहने के लिहाज से खतरनाक
दिल्ली के तीनों नगर निगमों का एकीकरण करने की जरूरत
दिल्ली को तीन हिस्सों में बांटने से स्थिति में सुधार नहीं हुआ
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दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि अंधाधुंध अनाधिकृत निर्माण के कारण दिल्ली रहने के लिहाज से खतरनाक शहर बन गई है और तीनों नगर निगमों का एकीकरण करने की जरूरत है क्योंकि इसे तीन हिस्सों में बांटने से स्थिति में सुधार नहीं हुआ है.
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कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी. हरिशंकर की खंडपीठ ने दिल्ली के तीनों नगर निगमों को फटकार लगाते हुए कहा कि अदालत में अवैध एवं अनाधिकृत निर्माण के खिलाफ ढेरों जनहित याचिकाएं पड़ी हैं जिनसे पता चलता है कि नगर निगमों ने किसी भी विनियम का पालन नहीं किया. अदालत ने कहा कि अनाधिकृत निर्माणों के कारण दिल्ली अब खतरनाक शहर बन गयी है.
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अदालत ने कहा कि समय-समय पर संशोधित किए गए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली कानून (विशेष प्रावधान) अधिनियम की आड़ में पूरी तरह से अवैध तथा अंधाधुंध अनाधिकृत निर्माण जारी हैं. आखिरी बार दिसंबर, 2014 में लोकसभा में संशोधित किया गया अधिनियम एक जून, 2014 तक हुए सभी अनाधिकृत निर्माणों को दंडात्मक कार्रवाई से बचाता है.
VIDEO: अवैध इमारतों से कैसे रहें होशियार? इस संशोधन से पहले आठ फरवरी, 2007 तक किए गए अनाधिकृत निर्माण ही कार्रवाई के दायरे में नहीं आते थे. अदालत ने दक्षिण दिल्ली के महरौली इलाके में कुछ संपत्तियों में अनाधिकृत निर्माण जारी होने के आरोप लगाने वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के विभाजन से स्थिति नहीं सुधरी और तीनों नगर निगमों का एकीकरण करने की जरूरत है.
(इनपुट भाषा से)
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