
- हुमायूं के मकबरे के पास स्थित एक दरगाह की दो कमरों की छत गिरने से पांच लोगों की मौत हो गई और कई घायल हुएय
- हुमायूं का मकबरा 1569-70 में उनकी विधवा बीगा बेगम द्वारा बनवाया गया था और इसकी लागत करीब डेढ़ मिलियन रुपए थी.
- मकबरे में लगभग एक सौ पचास कब्रें हैं जो मुगल वंश के शासकों और राज परिवार के सदस्यों की हैं.
Delhi Humayun Tomb:16वीं शताब्दी में बना हुमायूं का मकबरा दिल्ली का एक प्रसिद्ध टूरिस्ट प्लेस है. यहां हर रोज सैलानियों का तांता लगा रहता है. शुक्रवार को बीते दो दिनों से हो रही बारिश के बीच हुमायूं के मकबरे के पास स्थित एक दरगाह के दो कमरों की छत गिर गई. इस हादसे में 3 महिला सहित 5 लोगों की मौत हो गई. जबकि कई लोग घायल हो गए. हादसे के बाद हुमायूं के मकबरा सहित दिल्ली की अन्य ऐतिहासिक सालों पुरानी इमारतों की सुरक्षा, रखरखाव और भविष्य पर सवाल खड़े हो गए हैं. हुमायूं का मकबरे की बनावट और इससे जुड़ी कई कहानियां सैलानियों को आकर्षित करती है. आज हुमायूं के मकबरे की एक ऐसी ही कहानी हम आपको बताने जा रहे हैं.
यह कहानी है हुमायूं के मकबरे में स्थित 150 कब्रों की. आइए जानते हैं, हुमायूं के मकबरे में स्थित 150 कब्रों की कहानी क्या है?
1569-70 के बीच हुआ थी हुमायूं के मकबरे का निर्माण
दरअसल भारत के द्वितीय मुगल बादशाह हुमायूं के मकबरे का निर्माण उनकी विधवा बीगा बेगम (हाज्जीग बेगम) द्वारा कराया गया था. यह निर्माण कार्य हुमायूं की मौत के 14 साल बाद साल 1569 से 70 के बीच कराया गया था. उस समय इस मकबरे के निर्माण में करीब 1.5 मिलियन रुपए की लागत आई थी.
मुगल वंश के कब्रिस्तान के रूप में जाना जाता है हुमायूं का मकबरा
इस मकबरे केवास्तुकार मीराक मिर्जा धीयाथ थे. बाद में इसका इस्तेमाल शाही परिवार के विभिन्न सदस्यों को दफनाने के लिए किया गया था और इसमें लगभग 150 कब्र हैं. इसे मुगल वंश के कब्रिस्तान के रूप में उपयुक्त रूप से वर्णित किया गया है. जिसमें मुगल वंश के कई शासक, राज परिवार के कई सदस्यों का कब्र हैं.

एक बड़े पार्क के बीचों-बीच स्थित है मकबरा
यह मकबरा एक बड़े पार्क के सेंटर में है. इसके निर्माण की योजना चार-बाह शैली में बनाई गई थी. यह ताल जल प्रवाहिकाओं से युक्त हैं. मकबरे का मुख्य प्रवेश द्वार दक्षिण की ओर है और पश्चिम की ओर एक अन्य प्रवेश द्वार भी है. एक मंडप और एक स्नान गृह क्रमश: पूर्वी और उत्तरी दीवार के मध्य में अवस्थित हैं.
मुगलकालीन स्थापत्य कला का नायाब उदाहरण
यह मकबरा स्वयं एक ऊंचे, चौड़े, इसके सभी ओर छोटे-छोटे मेहराबदार प्रकोष्ठ के साथ सीढ़ीदार चबूतरा पर स्थित है. हुमायूं के मकबरे को मुगलकालीन स्थापत्य कला शैली के नायाब उदाहरण के रूप में जाना जाता है. यह पत्थर के फर्श और जल प्रवाह के साथ उद्यान मकबरा संबंधी पहले की मौजूद नमूने का भी उदाहरण प्रस्तुत करता है.

सैलानियों का लगा रहता तांता, मरम्मत जरूरी
दिल्ली में रहने वाले लोगों के साथ-साथ देश की राजधानी घूमने आने वाले लोग भी हुमायूं का मकबरा घूमने आया करते हैं. यहां हर रोज सैलानियों की चहल-पहल बनी रहती है. आज इस मकबरे कैंपस के पास हुए हादसे ने दिल्ली की अन्य ऐतिहासिक इमारतों की मरम्मत की जरूरत को फिर से बता दिया है.
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