फाइल फोटो
नई दिल्ली:
दिल्ली के प्रदूषण को लेकर राजनीति तेज है. प्रदूषण को लेकर जहां ट्विटर वार छिड़ी हुई है और दिल्ली सरकार आरोप प्रत्यारोप में उलझी है. वहीं अब आरटीआई के एक खुलासे ने प्रदूषण से लड़ने को लेकर दिल्ली सरकार की संजीदगी पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
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दरअसल, अक्टूबर 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में दाखिल होने वाले ट्रकों पर एनवायरमेंट कंपनसेशन चार्ज लगाने के आदेश दिए थे. छोटे ट्रकों से 700 और बड़े ट्रकों से 1300 रुपये दिल्ली नगर निगम को वसूलकर दिल्ली परिवहन विभाग को देने थे. इन पैसों का उपयोग पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बेहतर बनाने और सड़कों को सुधारने के लिए करना था.
वहीं एक आरटीआई कार्यकर्ता संजीव जैन ने बताया कि दो सालों में दिल्ली सरकार ने ट्रकों से 787 करोड़ 12 लाख 67 हजार रुपये की वसूली लेकिन उसमें से कुछ लाख ही दिल्ली सरकार ने स्टिकर के लिए खर्च किए.
2015 में एनवायरमेंट कंपनसेशन चार्ज से दिल्ली सरकार के खजाने में करीब 50 करोड़ 65 लाख आए और ये रकम 2016 में बढ़कर 386 करोड़ तक पहुंच गई और अब ये कमाई 787 करोड़ 12 लाख तक जा पहुंची है.
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इसमें से दिल्ली सरकार ने पिछले दो साल में जमा हुए खजाने में से महज 0.0011 फीसदी रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन के लिए खर्च किया. इससे पहले मंगलवार को एनजीटी ने प्रदूषण के मसले पर दिल्ली सरकार को फटकार लगाई थी. ये भी पूछा कि आपने प्रदूषण कम करने के लिए क्या कदम उठाए कितनी नई बसें जुटाईं.
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वहीं एक आरटीआई कार्यकर्ता संजीव जैन ने बताया कि दो सालों में दिल्ली सरकार ने ट्रकों से 787 करोड़ 12 लाख 67 हजार रुपये की वसूली लेकिन उसमें से कुछ लाख ही दिल्ली सरकार ने स्टिकर के लिए खर्च किए.
2015 में एनवायरमेंट कंपनसेशन चार्ज से दिल्ली सरकार के खजाने में करीब 50 करोड़ 65 लाख आए और ये रकम 2016 में बढ़कर 386 करोड़ तक पहुंच गई और अब ये कमाई 787 करोड़ 12 लाख तक जा पहुंची है.
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इसमें से दिल्ली सरकार ने पिछले दो साल में जमा हुए खजाने में से महज 0.0011 फीसदी रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन के लिए खर्च किया. इससे पहले मंगलवार को एनजीटी ने प्रदूषण के मसले पर दिल्ली सरकार को फटकार लगाई थी. ये भी पूछा कि आपने प्रदूषण कम करने के लिए क्या कदम उठाए कितनी नई बसें जुटाईं.
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