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जगह भी तय, समय भी तय, जानिए दिल्ली में कब और कहां होगी पहली आर्टिफिशियल बारिश

IIT कानपुर ने क्लाउड सीडिंग के लिए खासतौर पर आईआईटी सेशना विमान को तैयार किया है. दिल्ली सरकार ने आईआईटी कानपुर से एक MOU साइन किया है, जिसमें क्लाउड सीडिंग पर तीन करोड़ का खर्च आएगा.

जगह भी तय, समय भी तय, जानिए दिल्ली में कब और कहां होगी पहली आर्टिफिशियल बारिश
(प्रतीकात्मक तस्वीर)
  • दिल्ली में पहली बार क्लाउड सीडिंग से बारिश कराने की योजना की अनुमति मिली है
  • क्लाउड सीडिंग का ट्रायल आईआईटी कानपुर के सहयोग से किया जाएगा
  • इस परियोजना के तहत कुल पांच ट्रायल किए जाएंगे
  • क्लाउड सीडिंग के लिए विशेष रूप से तैयार सेशना विमान का प्रयोग होगा
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नई दिल्ली:

दिल्ली में आखिरकार पहली बार क्लाउड सीडिंग से बारिश कराई जाएगी और इसके लिए डीजीसीए की परमीशन भी मिल गई है. दरअसल, दिल्ली में एयर पॉल्यूशन को कम करने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है और आईआईटी कानपुर की मदद से क्लाउड सीडिंग का ट्रायल कराया जाएगा. इतना ही नहीं इसके लिए आईआईटी कानपुर ने एमओयू भी साइन कर दिया है. इसके तहत कुल पांच ट्रायल किए जाएंगे. जानकारी के मुताबिक रोहिणी बवाना के इलाके में पांच उड़ाने भर के क्लाउड सीडिंग किया जाएगा. 

VT सेशना विमान से होगी क्लाउड सीडिंग 

IIT कानपुर ने क्लाउड सीडिंग के लिए खासतौर पर आईआईटी सेशना विमान को तैयार किया है. दिल्ली सरकार ने आईआईटी कानपुर से एक MOU साइन किया है, जिसमें क्लाउड सीडिंग पर तीन करोड़ का खर्च आएगा. पर्यायवरण मंत्री मनजिंदर सिंह ने कहा कि दिल्ली में बादल के नीचे से क्लाउड सीडिंग की जाएगी. AQI लेवल को नीचे लाने के लिए दिल्ली सरकार ने कई कदम उठाए हैं. मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि विमान से फोटो शूट नहीं किया जाएगा. 

मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि क्लाउड सीडिंग कराने के लिए कई एजेंसियों से परमीशन लेने लिए उनको बहुत भागदौड़ करनी पड़ी है. 

कब होगी आर्टिफिशिल बारिश

जानकारी के मुताबिक 30 अगस्त से 10 सितंबर के बीच होगी क्लाउड सीडिंग के जरिए आर्टिफिशियल बारिश का ट्रायल किया जाएगा. 

क्या है क्लाउड सीडिंग?

क्‍लाउड सीडिंग को सरल शब्‍दों में समझें तो जब आसमान में बादल होंगे, सरकार विमान भेजेगी, जो बादलों में नमक और रासायनिक कण छोड़ेंगे, ताकि कृत्रिम बारिश हो जाए. अगर ऐसा हुआ तो दिल्ली की प्रदूषित हवा थोड़ी साफ हो सकेगी.

कैसे होगा क्लाउड सीडिंग ट्रायल?

  • ये परियोजना IIT कानपुर और IMD पुणे की तकनीकी निगरानी में होगी.
  • प्रत्येक ट्रायल में 90 मिनट की 5 उड़ानें होंगी.
  • हर उड़ान 100 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को कवर करेगी.
  • ट्रायल के लिए Cessna विमान को विशेष रूप से तैयार किया गया है.
  • ये विमान नैनो सिल्वर आयोडाइड और नमक का मिश्रण हवा में छोड़ेगा.
  • उड़ानें दिल्ली के उत्तर-पश्चिम और बाहरी क्षेत्रों में होंगी, जहां हवाई क्षेत्र अपेक्षाकृत कम सुरक्षा वाले हैं

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