
दिल्ली में प्रदूषण का दृश्य (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
(चीन में प्रदूषण का दृश्य : फाइल फोटो)
अब सवाल है कि आखिर तीन दिन के भीतर बीजिंग की आबो हवा सुधरी कैसे? कंस्ट्रक्शन बंद, कारखाने बंद, हाइवे बंद, गाड़ियां बंद, स्कूल बंद।
क्या दिल्ली में भी ये संभव है?
दरअसल प्रदूषण को लेकर एक ग्लोबल पैमाना होता है जिसमें रंग और रेंज के जरिए। 6 मानकों पर एयर क्वालिटी बताई जाती है। हर पैमाने पर कुछ निर्देश होते हैं, लेकिन हमारे देश में ऐसा कुछ भी नहीं है।
जब सांसों में घुटन हो और दम घोंटू हवा बीमार कर रही हो तो सवाल है कि क्या बीजिंग की तर्ज पर हम इस तरह का अलार्म सिस्टम अपना सकते हैं? इसमें वक्त लग सकता है, लेकिन क्या वाकई हमारे पास कोई दूर की सोच है जिसपर अमल आज से अभी से मुमकिन हो सके।
प्रदूषण को लेकर चीन की राजधानी बीजिंग की हालत कम खतरनाक नहीं थी। एक वक्त बीजिंग का एयर क्वालिटी इंडेक्स 450 तक पहुंच चुका था जो बेहद खतरनाक था। कुछ एहतियात बरतने के बाद अब ये महज 30 तक आ चुका है, जो अपने आप में आदर्श है।
चीन की राजधानी बीजिंग की हालत सुधर रही है, लेकिन भारत की राजधानी दिल्ली की हालत बिगड़ रही है। दिल्ली के सबसे प्रदूषित इलाके आनंद विहार का एयर क्वालिटी इंडेक्स 703 है। वहीं बीजिंग के सबसे प्रदूषित इलाके लियू लियानज़िन का एयर क्वालिटी इंडेक्स 74 है। यानी दिल्ली का प्रदूषण तकरीबन 9 गुना है। दिल्ली के सबसे कम प्रदूषित इलाके मंदिर मार्ग का एयर क्वालिटी इंडेक्स 290 है। तो बीजिंग के हुआइरऊ इलाके का 30, यानी दिल्ली से तकरीबन 9 गुना कम।

अब सवाल है कि आखिर तीन दिन के भीतर बीजिंग की आबो हवा सुधरी कैसे? कंस्ट्रक्शन बंद, कारखाने बंद, हाइवे बंद, गाड़ियां बंद, स्कूल बंद।
क्या दिल्ली में भी ये संभव है?
दरअसल प्रदूषण को लेकर एक ग्लोबल पैमाना होता है जिसमें रंग और रेंज के जरिए। 6 मानकों पर एयर क्वालिटी बताई जाती है। हर पैमाने पर कुछ निर्देश होते हैं, लेकिन हमारे देश में ऐसा कुछ भी नहीं है।
वायु गुणवत्ता | रेंज | रंग |
अच्छा | 0- 50 | हरा |
ठीक-ठाक | 51-100 | पीला |
संवेदनशील लोगों के लिए ख़राब | 101-150 | नारंगी |
सेहत के लिए ख़राब | 151-200 | लाल |
सेहत के लिए बहुत खराब | 201-250 | बैंगनी |
सेहत के लिए खतरनाक | 251-300 | मरून |
जब सांसों में घुटन हो और दम घोंटू हवा बीमार कर रही हो तो सवाल है कि क्या बीजिंग की तर्ज पर हम इस तरह का अलार्म सिस्टम अपना सकते हैं? इसमें वक्त लग सकता है, लेकिन क्या वाकई हमारे पास कोई दूर की सोच है जिसपर अमल आज से अभी से मुमकिन हो सके।