दिल्ली सरकार ने लोकनिर्माण विभाग (PWD) और अन्य एजेंसियों के नियंत्रण वाली सड़कों एवं क्षेत्रों से भवन निर्माण सामग्री एवं मलबा और अन्य अपशिष्ट पदार्थों को हटाने में विफल रहने पर उनके संबंधित कार्यकारी अभियंताओं की तनख्वाह में कटौती करने का शुक्रवार को निर्णय लिया. दिल्ली के मुख्य सचिव विजय देव की अध्यक्षता में यहां एक उच्च स्तरीय बैठक में यह निर्णय लिया गया. बैठक में देव ने संबंधित विभागों और नगर निगमों को यह भी निर्देश दिया कि शहर में प्रदूषण के सबसे बड़े 13 स्थानों के संबंध में कार्ययोजना को उच्च प्राथमिकता दी जाए और इसे दो सप्ताह में पूरा किया जाए. उन्होंने कहा कि इन स्थानों पर फेंकी गई निर्माण सामग्री एवं मलबे और अपशिष्टों को 24 घंटे के अंदर हटाया जाए तथा मलबा फेंकने से रोकने के लिए वहां दिन रात गश्त तेज की जाए.
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बैठक का हिस्सा रहे एक अधिकारी ने कहा, ‘तय किया गया कि पीडब्ल्यूडी और अन्य एजेंसियों के जो भी कार्यकारी अभियंता अपने नियंत्रण वाली सड़कों और क्षेत्रों से मलबा हटाने में लापरवाह हैं, उन्हें व्यक्तिगत तौर पर जिम्मेदार ठहराया जाएगा और उनकी तनख्वाह से उपयुक्त कटौती की जाएगी ताकि यह स्पष्ट संदेश जाए कि ऐसी स्थिति में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी.' देव ने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) को उसके अधिकार क्षेत्रों में आने वाले इलाकों में अवैध रूप से मलबा डालने के लिए जिम्मेदार निजी एवं सरकारी एजेंसियों पर जुर्माना लगाने का निर्देश दिया. DPCC निजी और सरकारी एजेंसियों पर पहले ही 12.5 करोड़ रूपए जुर्माना लगा चुकी है.
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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं