मोहम्मद मताबुर का आधार कार्ड.
नई दिल्ली:
दिल्ली के सुभाष नगर में बुधवार को तड़के 5.40 बजे हुई दुर्घटना के बाद 6 बजकर 9 मिनट तक यानि करीब तीस मिनट में 140 कारें, 82 तिपहिया वाहन और 45 लोग सुबह की सैर पर निकले. यानि कि वहां से कम से कम 200 लोग गुजरे लेकिन किसी ने रुककर हादसे के शिकार मोहम्मद मताबुर की मदद करने की कोशिश नहीं की. इस हादसे में मताबुर की मौत हो गई. यदि समय पर इलाज मिल जाता तो संभव है कि वह बच जाता.
पड़ोसी चंदा करके गांव पहुंचा रहे मताबुर का शव
यह वाकया सुभाष नगर के बाजार में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गया. जब एनडीटीवी ने सीसीटीवी के फुटेज की पड़ताल की तो उक्त तथ्य सामने आया. पश्चिम बंगाल के निवासी मताबुर के परिवार में चार बच्चे हैं. परिवार इतना गरीब है कि वह उसका शव लेने के लिए दिल्ली तक नहीं आ पा रहा है. अब पड़ोसी आपस में पैसा इकट्ठा करके उसका शव उसके गांव उत्तरी मिनाजपुर पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं.
आरोपी ड्राइवर ने उतरकर मदद के बजाय वाहन की जांच की
मताबुर अपनी नाईट ड्यूटी खत्म करके सुभाष नगर से पैदल डीडीयू हॉस्पिटल की ओर अपने घर जा रहा था. इस दौरान पीछे से आए एक तेज रफ्तार टैम्पो ने उसे जोरदार टक्कर मारी. इससे वह सड़क पर गिर गया. टक्कर मारने वाले तिपहिया का ड्राइवर वाहन से तो उतरा लेकिन मताबुर की मदद के लिए नहीं बल्कि यह देखने के लिए कि कहीं उसकी गाड़ी में खरोंच तो नहीं आई है. सुबह 5.40 पर यह हादसा हुआ और 5.45 पर एक पीसीआर भी गुजरी लेकिन उसने भी घायल मताबुर की मदद नहीं की. हद तो तब हो गई जब 6 बजे एक रिक्शे पर सवार तीन लोग वहां पहुंचे. उन्होंने देखा कि एक घायल शख्स पड़ा है और मताबुर का मोबाइल चुराकर चलते बने.
आरोपी ड्राइवर को गिरफ्तार नहीं कर सकी पुलिस
पश्चिम बंगाल का निवासी मताबुर सुबह रिक्शा चलाता था और रात में चौकीदार करता था. बुधवार की सुबह वह चौकीदारी की ड्यूटी करके लौट रहा था. इसी दौरान यह हादसा हो गया. इस घटना के बाद अब तक आरोपी ड्राइवर की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है. गौरतलब है कि हमारे देश में हर मिनट पर दो हादसा होते हैं. इनमें घायल लाखों लोगों की जान महज इसलिए चली जाती है क्योंकि उनको समय रहते मदद नहीं मिल पाती है.
पड़ोसी चंदा करके गांव पहुंचा रहे मताबुर का शव
यह वाकया सुभाष नगर के बाजार में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गया. जब एनडीटीवी ने सीसीटीवी के फुटेज की पड़ताल की तो उक्त तथ्य सामने आया. पश्चिम बंगाल के निवासी मताबुर के परिवार में चार बच्चे हैं. परिवार इतना गरीब है कि वह उसका शव लेने के लिए दिल्ली तक नहीं आ पा रहा है. अब पड़ोसी आपस में पैसा इकट्ठा करके उसका शव उसके गांव उत्तरी मिनाजपुर पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं.
आरोपी ड्राइवर ने उतरकर मदद के बजाय वाहन की जांच की
मताबुर अपनी नाईट ड्यूटी खत्म करके सुभाष नगर से पैदल डीडीयू हॉस्पिटल की ओर अपने घर जा रहा था. इस दौरान पीछे से आए एक तेज रफ्तार टैम्पो ने उसे जोरदार टक्कर मारी. इससे वह सड़क पर गिर गया. टक्कर मारने वाले तिपहिया का ड्राइवर वाहन से तो उतरा लेकिन मताबुर की मदद के लिए नहीं बल्कि यह देखने के लिए कि कहीं उसकी गाड़ी में खरोंच तो नहीं आई है. सुबह 5.40 पर यह हादसा हुआ और 5.45 पर एक पीसीआर भी गुजरी लेकिन उसने भी घायल मताबुर की मदद नहीं की. हद तो तब हो गई जब 6 बजे एक रिक्शे पर सवार तीन लोग वहां पहुंचे. उन्होंने देखा कि एक घायल शख्स पड़ा है और मताबुर का मोबाइल चुराकर चलते बने.
आरोपी ड्राइवर को गिरफ्तार नहीं कर सकी पुलिस
पश्चिम बंगाल का निवासी मताबुर सुबह रिक्शा चलाता था और रात में चौकीदार करता था. बुधवार की सुबह वह चौकीदारी की ड्यूटी करके लौट रहा था. इसी दौरान यह हादसा हो गया. इस घटना के बाद अब तक आरोपी ड्राइवर की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है. गौरतलब है कि हमारे देश में हर मिनट पर दो हादसा होते हैं. इनमें घायल लाखों लोगों की जान महज इसलिए चली जाती है क्योंकि उनको समय रहते मदद नहीं मिल पाती है.
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