दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
क्या दिल्ली में आम आदमी पार्टी के 21 विधायक दिल्ली सरकार में संसदीय सचिव होने के नाते लाभ के पद पर हैं? इस पर चुनाव आयोग 21 जुलाई को सुनवाई करेगा लेकिन इससे जो दस्तावेज सामने आ रहे हैं उससे लगातार आप विधायकों के दावे पर सवाल उठ रहे हैं। लेकिन अब जो दस्तावेज सामने आये हैं उससे दिल्ली सरकार और दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष रामनिवास गोयल के दावे पर सवाल उठ रहे हैं।
दिल्ली विधानसभा के केअरटेकिंग ब्रांच के डिप्टी सेक्रेटरी मंजीत सिंह की ओर से 23 फरवरी 2016 को एक चिट्ठी लिखकर उपराज्यपाल नजीब जंग के सचिव को सूचित किया गया कि 'दिल्ली सरकार के निवेदन पर संसदीय सचिवों को विधानसभा में कुछ कमरे और फर्नीचर देना निर्धारित किया गया है।'
दिल्ली विधानसभा की तरफ से एलजी सचिवालय को ये चिट्ठी दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष रामनिवास गोयल के उस दावे पर सवाल उठाती है जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्होंने विधानसभा के अंदर 21 संसदीय सचिवों को कमरे खुद अपनी तरफ से आवंटित किए थे, दिल्ली सरकार या संसदीय सचिवों के मांगने पर नहीं।
14 जून 2016 को रामनिवास गोयल ने एनडीटीवी से बात करते हुए दावा किया था कि 'ये कमरे मैंने ही आवंटित किए हैं और ऐसा करना विधानसभा अध्यक्ष के अधिकार में आता है। मुझे दिल्ली सरकार से इस बारे में कोई संदेश नहीं मिला, मैंने खुद ही दिल्ली के लोगों के लिए काम कर रहे विधायकों को ये कमरे विधानसभा में आवंटित किये हैं।"
इस चिट्ठी से दिल्ली सरकार के उस दावे पर भी सवाल उठते हैं कि विधायकों को संसदीय सचिव होने के नाते लाभ नहीं मिला इसलिये ये लाभ के पद का मामला नहीं। क्योंकि मार्च 2015 में जिस नोटिफिकेशन के तहत 21 संसदीय सचिव बनाये गए उसमें साफ़ लिखा था कि जिस मंत्री के साथ संसदीय सचिव जुड़ा होगा उसके दफ़्तर में ही काम करने के लिए संसदीय सचिव को जगह मिलेगी, लेकिन विधानसभा में कमरे के लिए सरकार के निवेदन का मतलब है कि संसदीय सचिवों को अलग से कमरे दिए जाने को कहा गया, साथ फर्नीचर देने का मतलब है कि इसमें पैसा भी लगेगा।
चुनाव आयोग में 21 संसदीय सचिव की शिकायत करने वाले प्रशांत पटेल ने ये दस्तावेज चुनाव आयोग में जमा कर दिये हैं। प्रशांत पटेल का कहना है कि 'विधानसभा सचिवालय के खुद साफ़ शब्दों में ये स्वीकार कर लेने से दिल्ली सरकार के इस झूठ का पर्दाफाश हो गया है कि 21 संसदीय सचिवों को कोई सुविधा नहीं दी गई।
दिल्ली विधानसभा के केअरटेकिंग ब्रांच के डिप्टी सेक्रेटरी मंजीत सिंह की ओर से 23 फरवरी 2016 को एक चिट्ठी लिखकर उपराज्यपाल नजीब जंग के सचिव को सूचित किया गया कि 'दिल्ली सरकार के निवेदन पर संसदीय सचिवों को विधानसभा में कुछ कमरे और फर्नीचर देना निर्धारित किया गया है।'
दिल्ली विधानसभा की तरफ से एलजी सचिवालय को ये चिट्ठी दिल्ली विधानसभा के अध्यक्ष रामनिवास गोयल के उस दावे पर सवाल उठाती है जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्होंने विधानसभा के अंदर 21 संसदीय सचिवों को कमरे खुद अपनी तरफ से आवंटित किए थे, दिल्ली सरकार या संसदीय सचिवों के मांगने पर नहीं।
14 जून 2016 को रामनिवास गोयल ने एनडीटीवी से बात करते हुए दावा किया था कि 'ये कमरे मैंने ही आवंटित किए हैं और ऐसा करना विधानसभा अध्यक्ष के अधिकार में आता है। मुझे दिल्ली सरकार से इस बारे में कोई संदेश नहीं मिला, मैंने खुद ही दिल्ली के लोगों के लिए काम कर रहे विधायकों को ये कमरे विधानसभा में आवंटित किये हैं।"
इस चिट्ठी से दिल्ली सरकार के उस दावे पर भी सवाल उठते हैं कि विधायकों को संसदीय सचिव होने के नाते लाभ नहीं मिला इसलिये ये लाभ के पद का मामला नहीं। क्योंकि मार्च 2015 में जिस नोटिफिकेशन के तहत 21 संसदीय सचिव बनाये गए उसमें साफ़ लिखा था कि जिस मंत्री के साथ संसदीय सचिव जुड़ा होगा उसके दफ़्तर में ही काम करने के लिए संसदीय सचिव को जगह मिलेगी, लेकिन विधानसभा में कमरे के लिए सरकार के निवेदन का मतलब है कि संसदीय सचिवों को अलग से कमरे दिए जाने को कहा गया, साथ फर्नीचर देने का मतलब है कि इसमें पैसा भी लगेगा।
चुनाव आयोग में 21 संसदीय सचिव की शिकायत करने वाले प्रशांत पटेल ने ये दस्तावेज चुनाव आयोग में जमा कर दिये हैं। प्रशांत पटेल का कहना है कि 'विधानसभा सचिवालय के खुद साफ़ शब्दों में ये स्वीकार कर लेने से दिल्ली सरकार के इस झूठ का पर्दाफाश हो गया है कि 21 संसदीय सचिवों को कोई सुविधा नहीं दी गई।
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