
पिछले 6 महीने में दिल्ली पुलिस ने कई ऐसे सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया है, जो अवैध बांग्लादेशियों को बांग्लादेश से देश में अवैध तरीके से घुसने से लेकर उन्हें राजधानी तक पहुंचने, यहां तक की जाली दस्तावेज बनवाने और नौकरी दिलाने तक में मदद करता है. दिल्ली पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अबतक पुलिस ने करीब 838 अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों को विदेशी पंजीकरण कार्यालय (FRRO) की मदद से बांग्लादेश डिपोर्ट कर दिया है. जबकि करीब 500 अवैध बांग्लेशियों पहचान की जा चुकी है. उनके डिपोर्टेशन की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है.
- अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ दिल्ली पुलिस के एक्शन में आई तेजी
- छह महीने से कम समय में करीब 838 घुसपैठिये डिपोर्ट
- घुसपैठियों का नेटवर्क तोड़ने में जुटी है दिल्ली पुलिस
- दिल्ली पुलिस ने अवैध बांग्लादेशी घुसपैठ को बढ़ावा देने वाले सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया
- दिसंबर 2024 में अवैध-बांग्लादेशों के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने ड्राइव शुरू की थी
- पहलगाम में आतंकी हमले के बाद ड्राइव में और तेजी आई है.
- दिल्ली के सभी 15 जिलों में ड्राइव चल रही है.
- कई बांग्लादेशी हत्या और आतंकी मामलों में भी शामिल रहे हैं
"बोर्डर से लेकर यहां तक किसी ने नहीं रोका"
एनडीटीवी के कैमरे पर अवैध बांग्लादेशी घुसपैठिए ने कई राज खोले हैं और बताया कि कूच बोर्डर से पहले वो नूंह पहुंचे. मजदूरी यहां ज्यादा मिलती है, इसलिए यहां आए. ट्रेन से नूंह पहुंचे के बाद कई महीने रहे. फिर पुलिस ने धरपकड़ की तो डर के मारे दिल्ली आए गए. बांग्लादेशी घुसपैठिए ने आगे कहा IMO एप से बांग्लादेश में अपने घरवालों से बात करते थे, जो कि IMO एप भारत में बैन है. हमें वहां से एक शख्स ने भेजा. हमारे पास भारत का कोई दस्तावेज नहीं. हमें बोर्डर से लेकर यहां तक किसी ने नहीं रोका.
दिल्ली पुलिस ने हाल में ही एक सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया था और इस दौरान ही पुलिस को पता लगा कि अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों की जड़ें बेहद गहरी जम चुकी है. जब पुलिस ने जांच की तो पता लगा कि अवैध घुसपैठी कहीं एयरलाइन में और कहीं प्राइवेट नौकरी कर रहे. बंग्लादेशी को जाली दस्तावेज के सहारे एयरलाइन में नौकरी मिली. यहां तक की इनके बच्चे ईडब्ल्यूएस (EWS) कोटे से नामी स्कूलों में पढ़ रहे हैं.
जानकारी के मुताबिक दक्षिणी दिल्ली से अब तक 67 अवैध-बांग्लादेशों को डिपोर्ट किया गया है, जबकि दक्षिण पश्चिम जिला से 60, दक्षिण पूर्वी जिला से 64 उत्तर पूर्वी जिला से नौ, बाहरी दिल्ली से 99, नई दिल्ली से चार, रोहिणी से 15, सेंट्रल से 58, उत्तरी से 68, पूर्वी से 7, पश्चिम से 27, शाहदरा से 6, द्वारका से 48, उत्तर पश्चिम से 31, जबकि सबसे ज्यादा उत्तरी बाहरी दिल्ली से 127 अवैध बांग्लादेशी को अब तक डिपोर्ट किया जा चुका है. हालांकि पुलिस सूत्रों का कहना है कि इससे कहीं ज्यादा की पहचान की जा चुकी है और उनका रिपोर्ट करने की प्रक्रिया भी शुरू की जा चुकी है.
क्या है प्रक्रिया
दिल्ली पुलिस जब भी अपनी कोई ड्राइव चलती है तो उन जगहों पर पुलिस की टीम रेड करती है, जहां पर अवैध-बांग्लादेशों के छिपे होने की जानकारी मिलती है. एक बार जब पुलिस किसी को पकड़ती है, तो उसके पास से बरामद दस्तावेजों की जांच की जाती है. कई के दस्तावेज फर्जी पाए जाते हैं और कई के पास से बांग्लादेश का कार्ड भी बरामद होता है. एक बार जब यह तय हो जाता है कि सामने वाला अवैध तरीके से देश में घुसा है, तो फिर पुलिस उन्हें FRRO के हवाले कर देती है जहां से उन्हें बांग्लादेश डिपोर्ट किया जाता है.
जांच के दौरान दिल्ली पुलिस ने कई ऐसे सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया है. जो अवैध-बांग्लादेशों को देश के अंदर एंट्री कराने से लेकर के उन्हें बंगाल, असम के रास्ते दिल्ली लाने और फिर यह यहां बसाने का काम करते थे.
क्या है डंकी रुट
घुसपैठ में जुटे सिंडिकेट दो तरीके से काम करते है. इसका एक तार बांग्लादेश में जुड़ा हुआ होता है. बांग्लादेश का जो मॉड्यूल होता है वह वहां पर उन लोगों से बात करता है, जो अवैध तरीके से भारत आना चाहते है. फिर उनसे अपना कमीशन लेकर बंगलादेशी मोड्यूल उन्हें बोर्डर पार करवाती है.
मोड्यूल 1
पहले मॉड्यूल बांग्लादेश के अंदर काम करता है. इसका काम उन लोगों की पहचान करना होता है जो अवैध तरीके से भारत आना चाहते हैं. इसके बाद वह उन्हें बॉर्डर पर करवा देता है. ये लोग बांग्लादेश से भारत में जंगल के अलग-अलग रास्तों से डंकी रूट से बांग्लादेशियों को घुसपैठ करवाता है.
मोड्यूल 2
भारत में एंट्री कर लेने के बाद मॉड्यूल 2 सक्रिय हो जाता है और वह अवैध घुसपैठियों को किसी तरीके से पास के रेलवे स्टेशन या बस स्टेशन पहुंचता है. लोकल टिकट कटा कर उन्हें आगे भेज दिया जाता है.
मोड्यूल 3
तीसरे पड़ाव में भारत पहुंचने के बाद इन घुसपैठियों को ट्रेन के जरिए या तो कोलकाता ले जाया जाता है या फिर बस के जरिए ले जाया जाता था. और फिर दिल्ली की ट्रेन या बस में बिठा दिया जाता है.
मोड्यूल 4
चौथे मॉड्यूल का काम दिल्ली में आते ही रहने के लिए कोई सुरक्षित जगह दिलाना और साथ ही छोटे-मोटे काम दिलाना- जैसे कूड़े बिना या फिर कबाड़ इकट्ठा करना... शुरुआत में ज्यादातर अवैध घुसपैठी यही काम करते हैं. इसके बाद उनके अवैध तरीके से दस्तावेज बनवा जाते है.
अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ यह तेजी तब देखी गई जब 10 दिसंबर को दिल्ली निजामुद्दीन इलाके के रहने वाले मोहम्मद नौशाद अनवर शाहिद और उनके कुछ साथियों ने अवैध-बांग्लादेशों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर के दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर को एक चिट्ठी लिखी थी. लेफ्टिनेंट गवर्नर ने उस चिट्ठी को दिल्ली पुलिस को फॉरवर्ड कर दिया था और उसके बाद से ही दिल्ली में अवैध घुसपैठियों का खिलाफ कार्रवाई में तेजी आई.
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