अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने कहा है कि मध्य अफ्रीकी गणराज्य द्वारा बिटकॉइन (Bitcoin) को करेंसी के रूप में अपनाने से कई चुनौतियां सामने आएंगी. IMF ने मैक्रोइकॉनमिक और कानूनी चिंताएं व्यक्त की हैं. ऐसा ही कुछ उसने अल साल्वाडोर को लेकर भी कहा था. दुनिया के सबसे गरीब देशों में रैंकिंग में आने वाले मध्य अफ्रीकी गणराज्य ने पिछले हफ्ते क्रिप्टोकरेंसी को लीगल टेंडर का दर्जा दिया था. ऐसा करने वाला वह अल साल्वाडोर के बाद दूसरा देश बन गया है, जबकि पहला अफ्रीकी मुल्क है.
आईएमएफ ने ब्लूमबर्ग से बातचीत में कहा कि आईएमएफ ने कहा है कि मध्य अफ्रीकी गणराज्य (CAR) के बिटकॉइन को लीगल टेंडर के रूप में अपनाने से कानूनी और आर्थिक चुनौतियां पैदा होंगी.
वहीं, अल साल्वाडोर की तरह से मध्य अफ्रीकी गणराज्य का भी मानना है कि बिटकॉइन को लीगल टेंडर के रूप में अपनाने से उसकी अर्थव्यवस्था को मदद मिलेगी. यह बिटकॉइन को करेंसी के रूप में स्वीकार करने वाले देशों की एक नई लहर की शुरुआत हो सकती है. हालांकि देश के इस फैसले का अर्थ समझ में नहीं आता, क्योंकि WorldData के अनुसार साल 2019 में CAR में सिर्फ 4 फीसदी लोगों की इंटरनेट तक पहुंच थी.
मध्य अफ्रीकी गणराज्य की सरकार ने कहा है कि बिटकॉइन को अपनाने से उसकी अर्थव्यवस्था की रिकवरी होगी और विकास को गति मिलेगी, साथ ही देश को स्थिर करने में मदद मिलेगी. याद रहे कि एक दशक से चल रहे गृह युद्ध की वजह से यह देश लगभग तबाह हो गया है.
CAR के अध्यक्ष फॉस्टिन अर्चेंज टौडेरा ने पिछले हफ्ते एक सर्वसम्मत संसदीय वोट के बाद क्रिप्टोकरेंसी को वैध बनाने और देश में बिटकॉइन को कानूनी रूप से मान्य करेंसी बनाने के लिए कानून पर हस्ताक्षर किए. CAR के अधिकारियों ने यह भी कहा कि उनका देश क्रिप्टो को लेकर और भी कई योजनाओं पर आगे बढ़ रहा है.
गौरतलब है कि अल साल्वाडाेर बिटकॉइन को करेंसी के रूप में अपनाने वाला दुनिया का पहला देश है. वहां के राष्ट्रपति नायब बुकेले क्रिप्टोकरेंसी के बड़े समर्थक माने जाते हैं. बिटकॉइन में लेनदेन के लिए वह एक वॉलेट भी शुरू करवा चुके हैं. इस कड़ी में अब अगला नाम जुड़ गया है CAR का.
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