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'20 करोड़ तक का जुर्माना और बिना वारंट अरेस्ट...'- क्रिप्टो बिल ड्राफ्ट में क्या-क्या हो सकता है; 10 बातें

Cryptocurrency Bill Draft : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जता चुके हैं कि सरकार का रुख क्रिप्टोकरेंसी को लेकर सख्त ही रह सकता है. वहीं, पिछले हफ्ते आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, पीएम मोदी क्रिप्टोकरेंसी के रेगुलेशन के ढांचे के लिए जल्द ही फैसला लेने वाले हैं.

Cryptocurrency Bill in India : जल्द हो सकती है क्रिप्टो बिल पर सरकार की घोषणा. (प्रतीकात्मक तस्वीर)

नई दिल्ली:

Cryptocurrency Bill Draft : क्रिप्टोकरेंसी बिल लाने की तैयारी चल रही है. भारत में क्रिप्टोकरेंसी में निवेश, इससे जुड़े नियम-कायदों के विनियमन और सजा वगैरह पर सरकार ने ड्राफ्ट तैयार किया है. ऐसी जानकारी है कि क्रिप्टो बिल ड्राफ्ट में ऐसा प्रस्ताव दिया जा सकता है कि भारत में क्रिप्टो फाइनेंस पर भारत सरकार की ओर से लागू किए गए कानूनों को तोड़ने वाले व्यक्ति और संस्था पर 20 करोड़ तक का जुर्माना और 1.5 साल की जेल हो सकती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जता चुके हैं कि सरकार का रुख क्रिप्टोकरेंसी को लेकर सख्त ही रह सकता है. उन्होंने बीते शुक्रवार को एक कार्यक्रम में कहा था कि क्रिप्टोकरेंसी जैसी उभरती तकनीक का इस्तेमाल लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए किया जाना चाहिए. वहीं, पिछले हफ्ते आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, पीएम मोदी क्रिप्टोकरेंसी के रेगुलेशन के ढांचे के लिए जल्द ही फैसला लेने वाले हैं. हालांकि इसको लेकर असमंजस कायम है. नीति-निर्माताओं का कहना है कि रेगुलेशन से बाहर डिजिटल करेंसी अर्थव्यवस्था और वित्तीय स्थिरता के लिए खतरा है.

10 अहम बातें

  1. भारत में क्रिप्टोकरेंसी में निवेश, इससे जुड़े नियम-कायदों के विनियमन और सजा वगैरह पर सरकार ड्राफ्ट तैयार कर रही है. जानकारी है कि क्रिप्टो बिल ड्राफ्ट में ऐसा प्रस्ताव दिया जा सकता है कि भारत में क्रिप्टो फाइनेंस पर भारत सरकार की ओर से लागू किए गए कानूनों को तोड़ने वाले व्यक्ति और संस्था पर 20 करोड़ तक का जुर्माना और 1.5 साल की जेल हो सकती है.
  2. पहले जो प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी को बैन करने की बात चल रही थी, उसकी जगह सरकार इस बिल में सभी प्राइवेट क्रिप्टो को रेगुलेशन के दायरे में ला सकती है.
  3. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में जानकारी दी थी कि सरकार एक नए ड्राफ्ट पर काम कर रही है, यानी कि पुराना ड्राफ्ट बनाया गया था और उसमें संशोधन किया जा रहा है. इसके बाद ये जानकारी सामने आई थी कि सरकार ने ड्राफ्ट में 'क्रिप्टोकरेंसी' शब्द को 'क्रिप्टो असेट' से बदल देगी. 
  4. सूत्रों ने ये भी जानकारी दी थी कि सरकार क्रिप्टो को लीगल टेंडर का दर्जा नहीं देगी, न ही इसे करेंसी का दर्जा दिया जाएगा. इन्हें असेट यानी संपत्ति की तरह देखा जाएगा, जैसे कि प्रॉपर्टी, गोल्ड, या बॉन्ड वगैरह को देखा जाता है. इस बिल का लक्ष्य दूसरे फॉर्मल फाइनेंशियल सेक्टर्स को क्रिप्टो असेट से अलग रखकर वित्तीय जोखिम को कम करने पर होगा.
  5. सरकार की योजना किसी भी शख्स द्वारा डिजिटल करेंसी को आदान-प्रदान के माध्यम, स्टोर ऑफ वैल्यू या यूनिट ऑफ अकाउंट के तौर पर इसकी माइनिंग करना, जेनरेट यानी पैदा करना, पास में क्रिप्टो रखना या इसमें डील करने पर किसी भी गतिविधि पर रोक लगाने की है.
  6. बिल का उद्देश्य उपभोक्ता और निवेशकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है. साथ ही टैक्स चोरी और क्रिप्टो के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग पर काबू पाने के लिए भी प्रावधान लाया जाएगा.  जानकारी ये भी है कि इन कानूनों का उल्लंघन करने वाले को बिना वारंट के अरेस्ट किए जाने का प्रावधान होगा. और अगर कोई क्रिप्टोकरेंसी के लेन-देन से आतंकी गतिविधियों में लिप्त पाया गया तो ऐसी स्थिति में मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट उचित संशोधन के साथ लागू होगा.
  7. देश में क्रिप्टो असेट को बाजार नियामक सेबी विनियमित करेगी. इस बिल के जरिए सरकार को ये शक्ति दी जाएगी कि वो जनहित को देखते हुए कुछ गतिविधियों को छूट दे सके.
  8. ये भी जानकारी है कि आरबीआई की ओर से संभावित रूप से जारी की जाने वाली वर्चुअल करेंसी को इस बिल से अलग रखा गया है. डिजिटल करेंसी से जुड़ा कोई भी मसला आरबीआई रेगुलेट करेगा. 
  9. जानकारी है कि बिल में आरबीआई की ओर से ऑफिशियल डिजिटल करेंसी (डिजिटल रुपया) जारी करने के लिए एक ग्राउंडवर्क तैयार किया जाएगा, वहीं एक 'डिस्ट्रिब्यूटेड लेजर टेक्नोलॉजी' यानी विकेंद्रित बहीखाता तैयार करने के लिए एक फ्रेमवर्क की नींव रखी जाएगी. इस करेंसी को आरबीआई एक्ट के तहत रेगुलेट किया जाएगा.
  10. आखिर में एक और अहम बात, जो लोग क्रिप्टो असेट में डील कर रहे हैं, उनके लिए एक कटऑफ डेट रखी जाएगी, जिसके तहत उन्हें अपना असेट डिक्लेयर करना होगा. इस बिल में ये प्रस्ताव होगा कि ऐसे लोगों को छूट दी जाए जो इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल वैध गतिविधियों में कर रहे हैं. हालांकि, अगर इस तकनीक का इस्तेमाल एक्सपेरिमेंट और रिसर्च का हवाला देकर किया जा रहा है, तो उससे किसी को पेमेंट करना या पेमेंट लेना, वैध नहीं होगा.

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