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This Article is From May 19, 2025

फर्जी वेबसाइट, सरकारी नौकरी का झांसा... 500 लोगों से ठगी का पर्दाफाश, मास्‍टरमाइंड समेत 2 गिरफ्तार

सरकारी नौकरी के नाम पर ठगने का मामला 22 मार्च को ग्रामीण विकास मंत्रालय की शिकायत के बाद सामने आया. आरोपियों ने सरकारी वेबसाइट्स जैसी दिखने वाली नकली वेबसाइट्स बनवाईं और सरकारी नौकरियों देने के नाम पर लोगों को ठगा.

फर्जी वेबसाइट, सरकारी नौकरी का झांसा... 500 लोगों से ठगी का पर्दाफाश, मास्‍टरमाइंड समेत 2 गिरफ्तार
पुलिस ने इस मामले में मास्‍टरमाइंड सहित दो लोगों को गिरफ्तार किया है.
नई दिल्‍ली:

सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर लोगों को अपना शिकार बनाने वाले एक रैकेट का दिल्‍ली पुलिस ने पर्दाफाश किया है. पुलिस ने लोगों को सरकारी नौकरी के नाम पर ठगने वाले रैकेट के मास्‍टरमाइंड को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है. यह रैकेट अब तक करीब 500 लोगों को अपना शिकार बना चुका है. यह गैंग "नेशनल रूरल डेवलपमेंट एंड रिक्रिएशन मिशन (NRDRM)" के नाम से लोगों को ठग रहा था और खुद को ग्रामीण विकास मंत्रालय का हिस्सा बताकर फर्जी भर्तियों के नाम पर पैसे वसूल रहा था. 

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यह मामला 22 मार्च 2025 को ग्रामीण विकास मंत्रालय की शिकायत के बाद सामने आया. शिकायत में बताया गया कि www.nrdrm.com और www.nrdrmvacany.com नामक फर्जी वेबसाइट्स के जरिए लोगों को नौकरी का झांसा देकर ठगा जा रहा है. इन वेबसाइट्स पर केंद्र सरकार के मंत्रियों और अधिकारियों की तस्वीरें लगाकर भरोसा पैदा किया जा रहा था. शिकायत की जांच के बाद 23 मार्च को नई दिल्‍ली के जिले के साइबर थाने में एफआईआर दर्ज की गई.  

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लोगों को इस तरह से बनाया ठगी का शिकार

जांच के दौरान इन वेबसाइट्स पर लगे QR कोड से 299 रुपये और 399 रुपये की फीस ली जा रही थी, जो असम स्थित एक बैंक खाते में जमा हो रही थी. बाद में यह पैसा कई खातों में ट्रांसफर होकर एटीएम से निकाला जा रहा था. सैकड़ों सीसीटीवी फुटेज खंगालने और तकनीकी निगरानी के बाद पुलिस को एक आरोपी की लोकेशन दिल्‍ली के लक्ष्‍मी नगर इलाके में मिली. 

सरगना सहित दो लोगों को किया गिरफ्तार 

पुलिस की टीम ने छापेमारी के बाद 18 मई को इकबाल हुसैन नाम के आरोपी को गिरफ्तार किया, जिसने पूछताछ में खुलासा किया कि वह एटीएम से कैश निकालकर रैकेट के सरगना राशिद चौधरी को देता था. इसके बाद पुलिस ने मुख्य आरोपी राशिद चौधरी को भी लक्ष्मी नगर से गिरफ्तार किया गया. पूछताछ में उसने बताया कि वह एक संगठित गैंग चला रहा था, जिसमें वेबसाइट डेवलपर्स, विज्ञापन प्रचारक और बैंक खाते-सिम कार्ड मुहैया कराने वाले लोग शामिल थे. 

आरोपियों की पहचान हैदराबाद के राशिद चौधरी और असम के करीमगंज के रहने वाले इकबाल हुसैन के रूप में हुई है.  

सरकारी वेबसाइट जैसी दिखने वाली वेबसाइट

आरोपियों ने असली सरकारी वेबसाइट्स जैसी दिखने वाली नकली वेबसाइट्स बनवाईं. इन पर सरकारी नौकरियों के झूठे विज्ञापन डाले जाते और सोशल मीडिया और अखबारों में प्रचार कर लोगों को लुभाया जाता. नौकरी के नाम पर वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन फीस ली जाती थी, जो सीधे आरोपियों के खातों में जाती और फिर कैश में बदल जाती थी. 

आरोपियों के पास से पुलिस ने 11 मोबाइल फोन, 15 सिम कार्ड, 15 डेबिट कार्ड, 21 चेकबुक, 5 पोर्टेबल Wi-Fi डोंगल, 1 POS मशीन, 4 फर्जी स्टैंप और 6 अन्य फर्जी वेबसाइट्स की डिटेल्स बरामद हुई है. 

अन्‍य आरोपियों की तलाश में भी जुटी पुलिस

पुलिस ने सभी डिजिटल सामान और बैंक खातों की जानकारी इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर को भेज दी है, जिससे पता लगाया जा सके कि क्या देश के अन्य हिस्सों में भी इसी तरीके से लोगों को ठगा गया है. अन्य आरोपियों की तलाश जारी है.

नई दिल्ली पुलिस डीसीपी देवेश महला ने जनता से अपील की है कि किसी भी सरकारी भर्ती की जानकारी केवल आधिकारिक वेबसाइट्स से ही लें और किसी भी संदिग्ध वेबसाइट या नंबर की सूचना तुरंत पुलिस को दें.

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