
- इतने सालों को धोनी ने टीम के लिए क्या किया-योगराज
- सौरव की तुलना में एमएस ने कुछ नहीं किया
- संन्यास का फैसला खुद धोनी करेंगे
अब यह तो आप जानते ही हैं कि दिग्गज बल्लेबाज युवराज सिंह के पिता और पूर्व क्रिकेटर योगराज सिंह कैसे धोनी के प्रति अपनी पूर्व में अपनी भावनओं का इजहार करते रहे हैं! जब-जब मौका मिला है, योगराज का गुस्सा एमएस धोनी पर जमकर फूटा और अब तो हाल ही में योगराज ने विराट कोहली को भी लपेटे में ले लिया था. बहरहाल, अब एक एक बार फिर से योगराज सिंह धोनी पर बरसे हैं. और उन्होंने कहा कि एमएस धोनी ने टीम इंडिया के लिए कुछ नहीं किया और न ही खिलाड़ियों का समर्थन किया.
Yuvraj Singh Was Supposed To Become Captain But MS Dhoni Got The Captaincy Because Of Destiny: Yograj Singh Yuvraj Singh's father and former cricketer Yograj Singh had from time to time blamed the Indian team management for being biased with his son. H... https://t.co/nulXz3WNvc pic.twitter.com/BG0ZFKWLlH
— HAFEEZ PARDESI (@VOICE_2U) May 7, 2020
योगराज सिंह ने एक निजी वेबसाइट से बातचीत में कहा कि मैं एमएस से पूछना चाहता हूं कि वह इतने साल तक भारत के लिए खेला है, लेकिन उसने टीम के लिए क्या किया है, उसने किसी खिलाड़ी के लिए क्या किया है? अगर धोनी ने खिलाड़ियों के लिए कुछ किया होता, तो वे उसकी प्रशंसा करते. योगराज ने कहा कि सौरव गांगुली के मुकाबले एमएस धोनी ने भारतीय टीम व खिलाड़ियों के लिए कुछ नहीं किया. सौरव का कद इतना ऊंचा है कि उन्होंने अपने, देश के बारे में और टीम के बारे में भी सोचा. योगराज ने पिछले दिनों संकट के समय युवराज का साथ न देने के लिए एमएस धोनी और विराट पर जमकर गुस्सा उतारा था.
धोनी के संन्यास के सवाल पर योगराज ने कहा कि संन्यास लेने या न लेने का फैसला धोनी को करना है. उन्होंने कहा कि एमएस धोनी भारत के सर्वकालिक सबसे महान क्रिकेटरों में से एक है. जो कुछ भी उसने हासिल किया है, वह उसकी महानता दर्शाता है. योगराज ने कहा कि भारत में पक्षपात अभी भी जिंता है. जब तक आप जूते चाहटे रहोगे या अपने शीर्ष बॉसों के सात आपके रिश्ते अच्छे रहेंगे, तो तब तक आपकी इच्छाएं पूरी होती रहेंगी.
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युवराज के पिता ने कहा कि धोनी आगे खेलना चाहता है या नहीं, वह इस पर भी निर्भर करता है कि सेलेक्टर और बोर्ड क्या सोचता है. अगर वह खेलना चाहता है, तो वह टीम में आएगा. और हीं चाहता, तो नहीं आएगा.
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