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This Article is From Mar 13, 2015

भारत बनाम जिम्बाब्वे : टीम इंडिया के सामने सिक्सर लगाने का मौका

भारत बनाम जिम्बाब्वे : टीम इंडिया के सामने सिक्सर लगाने का मौका
नई दिल्ली:

वर्ल्ड कप में टीम इंडिया अपना आखिरी लीग मुक़ाबला जिम्बाब्वे के खिलाफ शनिवार को ऑकलैंड में खेलने उतरेगी। महेंद्र सिंह धोनी की अगुवाई में टीम इंडिया लगातार पांच मैच जीत चुकी है, ऐसे में टीम इंडिया के सामने जीत का सिक्सर लगाने का बेहतरीन मौका होगा।

इस मैच के नतीजे का इस टूर्नामेंट पर कोई असर नहीं होगा। भारत पहले ही क्वार्टर फ़ाइनल में पहुंच चुका है जबकि जिम्बाब्वे की टीम टूर्नामेंट से बाहर हो चुकी है, लेकिन जिम्बाब्वे की टीम कम से कम आखिरी मैच जीत कर अपनी साख बचाने के साथ साथ ब्रैंडन टेलर को यादगार विदाई देना चाहेगी।

दूसरी ओर टीम इंडिया के बल्लेबाज़ इस मुक़ाबले को अभ्यास के तौर पर लेना चाहेगी। ऑकलैंड की बाउंड्री काफी छोटी है, ऐसे में उम्मीद ये भी है कि भारतीय बल्लेबाज़ चौके और छक्कों की बरसात करेंगे। टीम इंडिया को अब तक वर्ल्डकप के लीग मुक़ाबलों में 300 से ज्यादा रन बनाने का मौका नहीं मिल पाया है। ऐसे में ऑकलैंड में भारतीय बल्लेबाज़ एक बड़ा स्कोर बनाने के इरादे से उतरेंगे।

हालांकि ऑकलैंड की छोटी बाउंड्री से ये अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है कि यहां बल्लेबाज़ी इतनी आसान होगी, क्योंकि इसी मैदान पर ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड के बीच रोमांचक मुक़ाबला खेला गया था, जिसमें 303 रन के भीतर दोनों टीमों के 19 विकेट गिर गए थे। इसी मैदान पर दक्षिण अफ्रीका और पाकिस्तान के बीच मुक़ाबला हुआ था, जिसमें दक्षिण अफ्रीकी टीम जीत के लिए 222 रन तक नहीं पहुंच सकी थी।

शिखर धवन और विराट कोहली के मौजूदा फॉर्म को देखते हुए टीम इंडिया से बड़े स्कोर की उम्मीद तो है, लेकिन चुनौती बेहद मुश्किल होगी। टीम के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी टीम में बदलाव के मूड में नहीं हैं, ऐसे में बहुत संभव है कि लगातार जीत हासिल करने वाली टीम ही ऑकलैंड में खेलने उतरे।

वर्ल्ड कप में अब तक जिम्बाब्वे के खिलाफ टीम इंडिया को जीत हासिल करने में ज्यादा मुश्किल नहीं हुई है। दोनों टीमों के बीच अब तक वर्ल्ड कप के दौरान आठ मैच हुए हैं और टीम इंडिया सात मैच जीतने में कायमाब रही है, महज एक मैच टीम हारी है, लेकिन क्रिकेट प्रेमियों को मालूम है कि जिम्बाब्वे की ही क्रिकेट टीम ने 1999 में टीम इंडिया को हराया था। इतना ही नहीं, 1983 के वर्ल्ड कप में महज 17 रन पर भारत की आधी टीम पवेलियन भेज दिया था, जिसमें कपिल देव ने नॉटआउट 175 रनों की पारी खेली थी। तो टीम इंडिया के सामने जीत का सिक्सर लगाने का मौका है, लेकिन धोनी के धुरंधरों को संभलकर भी रहना होगा।

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