वर्ल्ड कप फ़ाइनल में कुमार धर्मसेना की अंपायरिंग एक बार फिर चर्चा में है। शुरुआती झटकों के बाद रॉस टेलर और ग्रांट इलिएट जब न्यूज़ीलैंड की पारी को संभालने की कोशिश कर रहे थे, तब जेम्स फॉकनर की ऑफ़ स्टंप से बाहर जाती गेंद पर रॉस टेलर अपना बल्ला अड़ा बैठे, लेकिन न तो बल्ले का एज और न ही हैडिन का कैच बहुत स्पष्ट नजर आ रहा था।
ऐसे में कुमार धर्मसेना ने थर्ड अंपायर से रिव्यू लेने का फ़ैसला लिया और इसके बाद रॉस टेलर को आउट करार दिया गया। धर्मसेना ने अपनी ओर से कोई संकेत नहीं दिया, लेकिन टेलर बाद में कैच आउट साबित हुए।
धर्मसेना के रिव्यू लेने के फैसले ने साबित किया है कि फ़ाइनल मैच में उन्होंने कोई गफलत नहीं की। इससे पहले वर्ल्ड कप के मुक़ाबले में उन्होंने बड़ी गलती की थी, जिसके चलते इंग्लैंड के जेम्स टेलर अपने शतक से केवल 2 रन से चूक गए थे।
ये गलती उन्होंने पहले ही मैच में की थी, जब जेम्स टेलर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 98 रन पर खेल रहे थे। उन्होंने लेग स्पिनर के तौर पर रन आउट की अपील पर रिव्यू लिया था, जबकि उस दौरान मेन अंपायर टेलर के खिलाफ एलबीडब्ल्यू के फ़ैसले को खारिज कर चुके थे।
बहरहाल, श्रीलंका के कुमार धर्मसेना ने फ़ाइनल में अंपायरिंग के साथ नया रिकॉर्ड बना दिया। वे पहले ऐसे क्रिकेटर अंपायर बन गए हैं, जिन्होंने वर्ल्ड कप जीतने के साथ-साथ वर्ल्ड कप फ़ाइनल में अंपायरिंग की जिम्मेदारी भी निभाई है।
धर्मसेना 1996 में वर्ल्ड कप का खिताब जीतने वाली श्रीलंकाई टीम में शामिल थे। धर्मसेना ने 1993 से 2004 के अपने इंटरनेशनल करियर में 31 टेस्ट मैच में 868 रन बनाने के साथ 69 विकेट लिए, जबकि 141 वनडे मैच में उन्होंने 138 विकेट लिए। वैसे कुमार धर्मसेना अंपायरिंग में बेहद कामयाब रहे हैं। उन्हें 2012 में आईसीसी ने साल का अंपायर चुना था।
वर्ल्ड कप फ़ाइनल बतौर अंपायर धर्मसेना का 65वां वनडे मैच है। इसके अलावा उन्होंने 29 टेस्ट और 17 टी-20 मैच में भी अंपायरिंग की है।
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