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This Article is From Oct 06, 2016

सुप्रीम कोर्ट ने BCCI से कहा- वक्त बरबाद न करें, जस्टिस लोढ़ा की मानें, अन्यथा हम आदेश देंगे

सुप्रीम कोर्ट ने BCCI से कहा- वक्त बरबाद न करें, जस्टिस लोढ़ा की मानें, अन्यथा हम आदेश देंगे
बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर बैठक करते हुए (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: BCCI में सुधारों पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट BCCI पर और सख्त हो गया है. कोर्ट ने बीसीसीआई से साफ कहा है कि लोढ़ा कमेटी के सुधार लागू करने ही होंगे. इतना ही नहीं कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जो राज्य सुधारों को लागू न करें उनका पैसा रोक दिया जाए. कोर्ट ने यह भी निर्देश दिए कि जो सुधारों को लागू न करें, उनसे पैसा वापस भी ले लिया जाए. कोर्ट ने बीसीसीआई से अंडरटेकिंग भी मांगी कि वह साफ कहे कि लोढ़ा कमेटी द्वारा सुझाए गए सुधार कब तक लागू हो जाएंगे. सुप्रीम कोर्ट यह भी कहा कि हमारा वक़्त बरबाद न करें, जस्टिस लोढ़ा कमेटी की मानें.

सुप्रीम कोर्ट में बीसीसीआई की ओर कहा गया कि वह अंडरटेकिंग देने में असमर्थ है. इस पर कोर्ट ने कहा कि वह मामले में आदेश देगा. अब उम्मीद की जा रही है कि कोर्ट शुक्रवार को इस मामले में अपना फैसला सुनाएगा.

इससे पहले बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाए. कोर्ट ने पूछा कि क्या अनुराग ठाकुर क्रिकेटर हैं? कोर्ट ने अदालत मित्र गोपाल सुब्रह्मण्यम को नए प्रशासक ढूंढने को कहा. ऐसा इसलिए क्योंकि कोर्ट का मानना है यदि अधिकारी हटाए जाएं, तो विकल्प होना चाहिए.

कोर्ट ने कहा कि BCCI को 'कथनी' से नहीं, बल्कि 'करनी' से कोर्ट का सम्मान का सम्मान करना चाहिए. कोर्ट ने साफ किया कि बीसीसीआई को बड़े भुगतान से पहले इजाज़त लेनी होगी. सर्वोच्च कोर्ट ने यह भी कहा कि राज्य संघों को पैसे देने में पारदर्शिता होनी चाहिए और इसके लिए एक पॉलिसी होनी चाहिए. आप रातोंरात सीधे 400 करोड़ का फंड यूं ही ट्रांसफर नहीं कर सकते. कोर्ट ने फंड ट्रांसफर के लिए लोढ़ा समिति की इजाजत लेने के लिए कहा है. फिलहाल सुनवाई जारी है.

बता दें कि जस्टिस आरएम लोढ़ा पैनल और बीसीसीआई के बीच कई दिनों से तनातनी चल रही है. लोढ़ा पैनल की कुछ सिफ़ारिशों को बीसीसीआई मानने के लिए तैयार नहीं है, जिसे लेकर बीसीसीआई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट कड़ी कार्रवाई कर सकता है.

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) और लोढ़ा पैनल शुरुआत से ही टकराव के रास्ते पर दिखे है. जब से लोढ़ा कमेटी बनी है बीसीसीआई ने पूरी तरीके से न तो लोढ़ा पैनल के सुझावों को माना है न ही इनकी मदद करती नज़र आई. यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट के सख़्त रवैये के चलते इन सिफ़ारिशों को क्रिकेट बोर्ड पर जबर्दस्ती मनवाने जैसी बात सामने आ गई है.

तीन दिनों पहले लोढ़ा कमेटी ने बीसीसीआई के रूटीन खर्च के अलावा बाक़ी के खर्च पर रोक लगाकर भारतीय क्रिकेट बोर्ड को रास्ते पर लाने की कोशिश की. मगर बीसीसीआई ने तीखे तेवर अपनाकर आर-पार की लड़ाई मोल ली है. दरअसल लोढ़ा और बीसीसीआई के बीच शुरुआत से ही टकराव का रुख़ दिखा है.

 दोनों के बीच की जंग कुछ इस तरह शुरू हुई.
  • 14 अप्रैल, 2015: लोढ़ा कमेटी ने 82 सवाल लिखकर बीसीसीआई से जवाब मांगे कि भारत में क्रिकेट कैसे चलता है.
  • 4 जनवरी, 2016: लोढ़ा कमेटी ने बीसीसीआई में सुधारों के लिए अपनी सिफ़ारिशें सुप्रीम कोर्ट में पेश कीं.
  • 7 जनवरी, 2016:  तब बीसीसीआई के सचिव अनुराग ठाकुर ने राज्य क्रिकेट संघों से लोढ़ा की रिपोर्ट पर राय मांगी.
  • 4 फ़रवरी, 2016: सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई से लोढ़ा की सिफ़ारिशों पर अपना रुख़ साफ़ करने को कहा.इसके लिए
  • 3 मार्च 2016 की डेडलाइन भी तय की और फिर लोढ़ा सिफ़ारिशों को लेकर बोर्ड के रवैये पर उसकी ख़िचाई की.
  • 13 अप्रैल, 2016: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि क्या वो कानून बनाकर भारत में क्रिकेट चला सकती है.
  • 2 मई, 2016: सुप्रीम कोर्ट ने BCCI और राज्य क्रिकेट संघों को लोढ़ा पैनल की सिफ़ारिशों को मानने का आदेश दिया और फिर अगले ही दिन बीसीसीआई पर कई सवाल खड़े किये.
  • 18 जुलाई, 2016: सुप्रीम कोर्ट ने लोढ़ा की ज़्यादातर सिफ़ारिशों को माना और मंत्रियों, नौकरशाहों और 70 साल से ज़्यादा के लोगों के पदाधिकारी बनने पर रोक लगाई.
  • 28 सितंबर, 2016: लोढ़ा पैनल ने अनुराग ठाकुर सहित टॉप अधिकारियों को हटाने की मांग की.लोढ़ा ने कहा कि बीसीसीआई कोर्ट के आदेश के ख़िलाफ़ बर्ताव कर रही है.

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