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रवि शास्त्री ने कहा, सौरव गांगुली को किसी चीज की परवाह नहीं है
आगे से जिस काम की जिम्मेदारी दी गई है, उसे पूरा करें सौरव
सौरव गांगुली ने इस पूरे विवाद पर प्रतिक्रिया देने से किया इनकार
टीम इंडिया के कोच पद के लिए इंटरव्यू देने के बावजूद नहीं चुने गए शास्त्री ने कहा, 'मैं खफ़ा नहीं हूं, नाराज़ नहीं हूं। बस निराश हूं और वह इसलिए क्योंकि उन्होंने (गांगुली ने) उस व्यक्ति का अनादर किया है जिसका वे साक्षात्कार ले रहे थे या लेना चाहिए था। उन्होंने अपनी ज़िम्मेदारी के प्रति अपने पद के प्रति अनादर दिखाया जो उन्हें सौंपी गई थी।' शास्त्री से जब गांगुली के बारे पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'मैं बस इतना कहूंगा कि अगली बार वे इस तरह के इंटरव्यू में उपस्थित रहें। खासकर जब जिम्मेदारी इतनी बड़ी है। वैसे इस सबके बावजूद शास्त्री ने अनिल कुंबले की तारीफ करते हुए कहा कि वे बहुत बेहतरीन क्रिकेटर हैं और उनके पास एक तैयार टीम है जिसे वे नई ऊंचाइयों तक ले जा सकते हैं।
वहीं सौरव गांगुली ने रवि शास्त्री द्वारा उठाए जा रहे किसी भी सवाल पर जवाब देने से पहले ही मना कर दिया है। टीम इंडिया के पूर्व कप्तान और सलाहकार समिति के सदस्य गांगुली का इस बारे में साफ जवाब था, 'रवि शास्त्री को जो कहना है, कहने दीजिए। मुझे उस पर कुछ नहीं कहना है।' गांगुली ने कहा कि कोच चयन की प्रक्रिया गोपनीय होती है और मैं इस पर कुछ नहीं कहना चाहूंगा!
खबरें आईं कि सौरव गांगुली को उस दिन अन्य कार्यक्रमों का हिस्सा होना था, जिसकी जानकारी पहले से ही सलाहकार समिति को दे दी गई थी। कोच पद के लिए इंटरव्यू 21 जून को दोपहर डेढ़ बजे से शुरू हुए थे और गांगुली दिन में दो बार 1 से 2 बजे तक और फिर शाम 5 से 6:30 बजे तक मौजूद नहीं थे। बताया जा रहा है कि गांगुली को शाम को बंगाल कार्यकारी समिति की बैठक में हिस्सा लेना था और रवि शास्त्री का इंटरव्यू शाम में ही करीब 5 बजे शुरू हुआ था।
दोनों के बीच आखिर क्यों टकराव है, इस पर अलग-अलग तरह की बातें सामने आई हैं। कुछ इसको दोनों के बीच हुए कोच पद के टकराव की वजह मानते हैं। शास्त्री और गांगुली के बीच इससे पहले कोच बनने की रेस में जंग हुई थी, जिसमें शास्त्री ने बाजी मार ली थी।
कुछ सूत्रों का यह भी कहना है कि गांगुली मानते हैं कि शास्त्री भारतीय क्रिकेट में उनके योगदान का पूरा सम्मान नहीं करते। उन्होंने (गांगुली ने) जो टीम खड़ी की और भारत को टॉप तक लेकर गए, शास्त्री ने कभी उसका सम्मान नहीं किया। बताया जाता है कि इससे भी गांगुली नाराज़ हैं। वहीं कुछ पक्षों का मानना है कि ये बस रवि शास्त्री के बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष एन. श्रीनिवासन के करीबी होने के चलते है, लेकिन ये सभी बातें अटकलें हैं..सच क्या है ये तो महज़ ये दोनों खिलाड़ी ही जानते हैं, या फिर सच महज़ जितना दिखाई दे रहा है उतने तक ही सीमित हैं..।
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